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अचानक धर्म पर कैसे शिफ्ट हो गई बिहार की राजनीति

अचानक धर्म पर कैसे शिफ्ट हो गई बिहार की राजनीति? क्या बिहार में बीजेपी को मिल गई है अपनी फेवरट राजनीतिक जमीन?

अचानक धर्म पर कैसे शिफ्ट हो गई बिहार की राजनीति | The Rajneeti Bihar

बिहार में क्यों मचा हुआ राजनीतिक घमासान?
अचानक धर्म पर कैसे शिफ्ट हो गई बिहार की राजनीति?
पहले बागेश्वर बाबा फिर बजरंग दल और फिर बजरंग बली तक कैसे पहुंची राजनीति?
क्या बिहार में बीजेपी को मिल गई है अपनी फेवरट राजनीतिक जमीन?

बिहार में इन दिनों अलग ही राजनीतिक बयार बह रही है अब तक जिस बिहार में पिछड़े वंचितों शोषितों की राजनीति हो रही थी अब अचानक से बाबा बागेश्वर बजरंग दल और बजरंग बली पर राजनीति होने लगी है…नहीं देखिए पहले बागेश्वर धाम को लेकर खूब राजनीति हुई फिर बजरंग दल को लेकर शुरू हो गई और फिर बजरंग बली को लेकर राजनीति चल रही है…अब कई लोगों के मन में ये सवाल है कि आखिर जाति से राजनीति सीधे धर्म पर क्यों शिफ्ट हो रही है…और कौन चाह रहा है कि बिहार में राजनीति धर्म पर होने लगे…दरअसल बिहार की राजनीति पिछड़े वंचितों और शोषितों के मुद्दों पर ना होकर धर्म पर होने से एक पार्टी को फायदा है तो दूसरी को नुकसान…अब किसे फायदा और किसे नुकसान और कौन चाहता है कि बिहार में धर्म की राजनीति…इन्हीं कुछ सवालों की आज हम करेंगे पड़ताल इस वीडियो में…बस आप हमारे इस वीडियो को आखिर तक देखते रहें

दरअसल कुछ महीने पहले तक बिहार में जातिगत जनगणना पर राजनीति चल रही थी लेकिन इसी बीच धार्मिक घेरेबंदी का भी खेल चुनौतियों के मार्फत खेला जाने लगा। पहले बागेश्वर धाम पर राजनीति फिर बजरंगदल और बजरंबली पर राजनीति शुरू हो गई जिसमें बीजेपी की तरफ से बढ़चढ़कर बयान आने लगे…वैसे भी बीजेपी के पास नीतीश कुमार से अलग होने के बाद हिंदुत्व पर कॉन्सेंट्रेट करना एक राजनीतिक जरूरत बन गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछड़ों की राजनीति के सहारे जेडीयू और आरजेडी मुस्लिम मतों की प्राप्ति के साथ बीजेपी को परास्त करने का समीकरण तैयार कर रही है। सो, बीजेपी अब हिंदुत्व के हर मसले पर संवेदनशील और मुखर भी हो गई है।

बजरंग दल पर बैन की बात और राजनीति

मौजूदा वक्त में धार्मिक मुद्दों को बिहार में लपकने की ऐसी चाहत है कि बयान किसी और राज्य में दिया जाता है लेकिन उसे लपक लिया जाता है बिहार में….जैसे बजरंग दल पर बैन की बात कांग्रेस ने कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान कही थी लेकिन इस बयान ने बिहार की धरती पर धार्मिक कट्टरता की कहानी लिखनी शुरू कर दी। बिहार में जेडीयू के नालंदा सांसद कौशलेंद्र कुमार ने बजरंग दल पर बैन लगाने की बात को हवा दी। फिर क्या था बीजेपी भी आरजेडी और जदयू नेताओं के बयानों पर चढ़ कर सियासी संग्राम पर उतर आई…हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बयान पर कुछ भी टिप्पणी नहीं की। इतना जरूर कहा कि सभी दलों के साथ बैठेंगे तो इसपर चर्चा करेंगे। लेकिन सीएम नीतीश कुमार के इस बयान पर भी बीजेपी खुलकर सामने आ गई…जिसके बाद बीजेपी के नेताओं के धड़ाधड़ बयान आने लगे….
बजरंग दल पर बैन के सवाल पर बीजेपी के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने मोर्चा खोलते कहा कि

अगर प्रतिबंध लगाया गया तो मस्जिदों को भी बंद करना होगा।
नीतीश कुमार टोपी पहनें, नमाज पढ़ें इससे उन्हें कोई ऐतराज नहीं है।
लेकिन उन्हें सनातन धर्म के साथ खिलवाड़ करने नहीं देंगे।
क्या देश को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की चाह रखने वाले PFI
की सरकार बिहार में है? जब तक एक-एक सनातनी बच्चा जिंदा है
बजरंगबली और बजरंग दल पर रोक लगाने नहीं देंगे।

वहीं कभी नीतीश कुमार के कंधे से कंधा मिला कर राज्य की सत्ता में शामिल पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी भी बजरंगदल पर बैन से खासे नाराज नजर आए…सुशील मोदी ने साफ कहा कि

अगर सरकार में दम है तो बजरंग दल पर बैन लगा कर दिखाए।
सत्ता में लौटते ही आरजेडी एक तरफ हिंदू संस्कृति, राम मंदिर,
रामचरित मानस, धीरेंद्र शास्त्री जैसे संतों और ब्राह्मणों पर
अमर्यादित टिप्पणी कर रही है। दूसरी तरफ एम-वाई समीकरण के दुर्दांत अपराधियों तक को जेल
से रिहा करवा रही है। आरजेडी के मंत्रियों-पदाधिकारियों में अगर
हिम्मत है, तो वे इस्लाम और ईसाई पंथ के प्रचारकों पर भी टिप्पणी करें।

ये तो थे बीजेपी नेताओं के बयान अब आप चिराग पासवान का बयान भी देखिए जिससे काफी कुछ अंदाजा लगाया जा सकता है कि चिराग पासवान की राजनीति किस तरफ चल रही है

अगर हिम्मत है तो बजरंग दल पर बैन लगाकर देख लें। किसी भी संगठन
को सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए उसके नाम का इस्तेमाल करना, इस
तरह बयानबाजी करना बिल्कुल गलत है। क्या विपक्ष के पास मोदी सरकार
से चुनाव जीतने के लिए और दूसरा विकल्प नहीं रहा जो इस तरह का बयान
दिया जा रहा है। जेडीयू बताए कि किस घटना के आधार पर बजरंग दल
को बैन करने की मांग कर रहे।

बता दें कि बिहार में अब तक महागठबंधन काफी मजबूत दिख रही थी क्योंकि उसे उम्मीद थी कि मुस्लिम और पिछड़े वर्ग के लोग उन्हें वोट देंगे ही…और इसी वजह से बीजेपी कमजोर नजर आ रही थी लेकिन अब बीजपी फ्रंटफुट पर खेल रही है क्योंकि अब उसे अपनी मनपसंद जमीन मिल गई है…अब देखना ये है कि महागठबंधन के नेता नीतीश कुमार और लालू यादव बीजेपी के इस हथियार का क्या तोड़ निकालते हैं….आपको हमारी ये खबर कैसी लगी हमें कमेंट कर जरूर बताएं साथ ही राजनीति से जुड़ी हर खबर के लिए हमारा चैनल सब्सक्राइब कर लें….शुक्रिया

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