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अयोध्या फैसले में ASI की अहम भूमिका

  • बढ़ी ASI की विश्वसनीयता
  • अयोध्या फैसले में ASI ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
  • खोदाई टीम के डिप्टी टीम लीडर डॉ मिश्रा ने याद किए दिन
  • खोदाई के दिनों को बताया चुनौतीपूर्ण, रोज बनती थी रिपोर्ट
  • समस्यांए सामने आई लेकिन कोर्ट के सहयोग की सराहना की

देश के सबसे विवादित आयोध्या मुद्दे पर देश की सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में पुरात्तव विभाग की खुदाई में मिले साक्ष्यों को सबसे बड़ा आधार बनाया है ..इस फैसले से भारत के वैज्ञानिक अध्ययनो पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगाई है .. फैसला आने के बाद पुरातत्व विभाग की खुदाई टीम के प्टी टीम लीडर डॉ. सीबी मिश्रा ने अपने उस समय के विचार साझा किये .. उंहोंने कहा कि ये पूरी टीम के लिए ही बुहत ही चुनौती पूर्ण काम था .. हर रोज मुश्किलों से सामना होता था। तमाम तरह के आरोपों की सफाई देने के लिए कोर्ट में खड़ा होना पड़ता था.. लेकिन मिश्र ने इस मामल में कोर्ट की सराहनी की और कहा कि कोर्ट से पूरा सहयोग मिला.. डॉ. मिश्रा ने कहा कि एएसआइ उत्खनन साइंटिफिक स्टैंडर्डस के आधार पर किया जाता है.. एक-एक लेयर का अध्ययन कर उसकी साइंटिफिक डेटिंग की जाती है..

टीम को दो साल में अध्ययन पूरा करना था इसलिए दिन-रात काम किया और फाइडिंग के आधार पर रिपोर्ट दी.. मिश्र ने कहा कि इस दौरान कई दिक्कते भी आईं .. आरोप लगा की टीम में मुस्लिम स्टाफ नहीं है तो फिर स्टाफ में मुस्लिम स्टाफ शामिल किया गया और फिर मुस्लिम मजदूर भी लगाए गए .. पहले जियो राडार सर्वे कर स्ट्रक्चर की पहचान की गई.. उसके बाद खुदाई का काम शुरू किया गया… हर रोज किए गए कार्य की रिकार्डिंग कर उसे सील किया जाता था और उसे कोर्ट भेजा जाता था। कोर्ट ने पूरे काम में सहयोग देकर हमारा हौसला बनाए रखा। मिश्रा कहते हैं कि उन्हें खुशी है कि फैसले से एएसआइ की विश्वसनीयता तो बढ़ी ही है.. साथ ही पुरातत्व विज्ञान का भी महत्व एक बार फिर साबित हुआ है.. एएसआई के ही अधीक्षण आर्केयोलोजिसट डॉ. इंदु प्रकाश कहते हैं कि हम जो पुरातात्विक खुदाई करते हैं, वह पूरी तरह से साइंटिफिक है.. यही वजह है कि इसमें किसी तरह की कोई गुंजाइश नहीं रहती और यही वजह है कि कोर्ट ने भी इसे अपने फैसले का आधार बनाया है

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