शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसे मुहब्बत की नगरी आगरा में स्थित ताजमहल के बारे में न पता हो… वैसे तो ताजमहल अपनी खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है… लेकिन क्या आपको पता है इसी खूबसूरत ताज के आस-पास खतरनाक और जहरीले सांपों की दुनिया बसी है… ताजमहल के आसपास के गांवों में सैकड़ों अजगरों का बसेरा है… पिछले एक महीने में ताजमहल के आसपास के लगभग 25 किलोमीटर के एरिया में अजगर ही अजगर दिख रहे हैं… पिछले एक महीने में सौ से ज्यादा अजगर शहर से लेकर देहात तक देखे गए… अन्य सांपों को भी अगर इस संख्या में जोड़ दें तो दो सौ से ज्यादा खतरनाक जहरीले सांपों को वाइल्ड लाइफ संस्था अब तक रेस्क्यू कर चुकी है… ताजमहल के आसपास का इलाका शुरू से ही अजगरों के लिए मुफीद रहा है… यही वजह है कि जुलाई महीने से अजगरों का रुख आबादी वाले क्षेत्रों में शुरू हो जाता है और ये सिलसिला अक्टूबर तक चलता रहता है… खास बात तो ये है कि आगरावासी अजगर को मारते नहीं बल्कि उसे पकड़कर जंगलों में छोड़ देते हैं… विशेषज्ञ बताते हैं कि बारिश शुरू होने के साथ ही अजगर यमुना के किनारे के घने जंगलों को छोड़ इधर-उधर भागना शुरू कर देते हैं… जंगलों से सटे हाईवे, फैक्ट्री एरिया और ताजमहल के आसपास के इलाके में अजगर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं

ताजमहल के दीदार के लिए हर दिन हजारों की संख्या में सैलानी आते हैं… पिछले दिनों महताब बाग में भी दो बार अजगर निकला जिसे रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ दिया गया… बीते कुछ दिनों की बात करें तो 11 सितंबर को ताजमहल से 15 किलोमीटर दूर सिकंदरा स्थित एक फैक्ट्री में अजगर निकला… इसे रेस्क्यू करने में एक घंटे से ज्यादा का समय लग गया… 20 सितंबर को ताजमहल से चंद किलोमीटर की दूरी पर ग्वालियर हाईवे पर छह फीट लंबा अजगर दिखाई दिया… 10 अक्टूबर को पनवारी में जहरीले लंबे करैत ने लोगों को डराया… रेस्क्यू के बाद ग्रामीणों की जान में जान आई… 19 अक्टूबर को किरावली क्षेत्र के एक ट्यूबवेल में रेस्क्यू टीम ने छह फीट लंबे कोबरा का रेस्क्यू किया… बता दें कि आगरा में यमुना के किनारे अधिकतर स्मारक बने हैं… यमुना नदी और स्मारकों के बीच घने जंगलों में बड़ी संख्या में अजगर पाए जाते हैं… यही अजगर अकसर स्मारकों के आसपास के कॉलोनियों, बाजारों और कुछ दूरी पर बने फैक्ट्री एरिया में पहुंच जाते हैं… इंसानी आबादी में घुसपैठ करने वाले इन अजगरों को बचाने को लेकर ग्रामीणों के साथ-साथ संस्थाएं भी जागरूक रहती हैं… जिसकी वजह से यहां अजगरों और अन्य सांपों की अच्छी खासी संख्या है… शायद ये स्थानीय लोगों और संस्थाओं की जागरुकता का नतीजा है