गाजियाबाद पुलिस के दो इंस्पेक्टरों के लाखों डकारने की अपार सफलता के बाद खाकी की मुफ्तखोरी सामने आयी है… बिना पूछे आते हैं… रेस्टोरेंट में घुस जाते हैं… पेट भरकर खाते… मिठाई भी ले जाते हैं… पैसा मांगने पर आंख दिखाते हैं… गाजियाबाद पुलिस पर ये गंभीर आरोप लगाए हैं खाद्य व्यापारियों ने… आगे की पूरी कहानी बताने से पहले थोड़ा फ्लैशबैक में चलते हैं… पहले लिंक रोड थाना प्रभारी लक्ष्मी सिंह चौहान पर 70 लाख रुपये के गबन का आरोप लगा… उसके बाद इंदिरापुरम थाना प्रभारी दीपक शर्मा पर 38 लाख रुपए की हेरा-फेरी का आरोप लगा… उसके बाद एसएसपी के पीआरओ की ओर से एक व्हाट्सएप ग्रुप पर कप्तान पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए पोस्ट डाले गए और उसका स्क्रीनशॉट खूब वायरल हुआ… हालांकि बाद में पीआरओ ने इसे टेक्निकल कमी बताते हुए एक भूल करार दिया और सफाई दी कि इस तरह के पोस्ट वायरल हो रहे थे… जिन्हें वो डिलीट करना चाह रहे थे… लेकिन गलती से वो एक ग्रुप पर चले गए… यानी अभी गाजियाबाद पुलिस ठीक से इस मामले में सफाई दे नहीं पाई थी कि व्यापारियों के एक संगठन ने थाने और चौकी की पुलिस पर होली दिवाली के नाम पर उगाही का आरोप लगा दिया

एसोसिएशन ऑफ फूड ऑपरेटर के लेटर हेड पर एसएसपी को लिखे गए एक पत्र में अध्यक्ष अनिल कुमार गुप्ता ने आरोप लगाया है कि पुलिस अधिकारियों और पुलिसकर्मियों की ओर से खाद्य व्यापारियों का जबरदस्त उत्पीड़न किया जा रहा है… कभी चौकी तो कभी थाने के नाम पर मिठाइयां और खाने-पीने की चीजें ले ली जाती हैं… लेकिन उसका बिल अदा नहीं किया जाता… रेस्टोरेंट में भी फ्री का खाना पुलिस के नाम पर खाया जाता है और बिल अदा नहीं किया जाता… यही नहीं कई बार तो होटलों और रेस्टोरेंट में पुलिसकर्मी खाना पैक करा कर भी ले जाते हैं… और बिल के नाम पर धौंस दिखाते हैं… दिवाली के मौके पर भी शहर की कई मशहूर मिठाई की दुकानों से थाना प्रभारियों के नाम पर मिठाई और ड्राई फ्रूट के डिब्बे मुफ्त में लिए गए… जिनका बिल आज तक भी बकाया है… एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि अगर व्यवसाय खाने पीने की चीजें मिठाई या खाना देने से मना करते हैं… तो उन्हें फर्जी मामलों में फंसाने की धमकी दी जाती है… एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल कुमार गुप्ता ने आखिर में ये भी लिखा है कि क्योंकि व्यापारी एक अमन पसंद इंसान होता है… इसलिए वो थाने और अदालतों के चक्कर में नहीं पड़ना चाहता… लिहाजा उनकी ओर से किसी सुबूत की अपेक्षा पुलिस अधिकारी ना करें और इन तथ्यों को जान समझ कर थाना प्रभारियों को स्पष्ट आदेश दें कि व्यापारियों का उत्पीड़न न किया जाए… इन गंभीर आरोपों के बाद जिला गाजियाबाद के एसएसपी सुधीर कुमार सिंह को खुद सामने आना पड़ा

आखिर गाजियाबाद की स्थिति ऐसी क्यों हो गयी है… जहां पुलिस अधिकारियों का अपने कर्मचारियों पर कोई जोर नहीं चल रहा… और अनुशासन के लिए जाने वाली पुलिस फोर्स आज गाजियाबाद में मनमानी क्यों हो गयी है… ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब आना बाकी है