नई दिल्ली, 18 दिसम्बर (आईएएनएस)। निर्भया सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्या मामले में मृत्युदंड की सजा पाए चार में से एक दोषी अक्षय की समीक्षा याचिका बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अक्षय की समीक्षा याचिका अन्य दोषियों की याचिकाओं के समान थी, जिन्हें शीर्ष अदालत 2018 में ही रद्द कर चुकी है।
कोर्ट ने कहा, सजा की समीक्षा में हमें कोई आधार नहीं दिखा।
न्यायमूर्ति भानुमति ने कहा कि पीठ ने उस तर्क पर उचित विचार किया, जिसमें यायिकाकर्ताओं ने सबूत इकट्ठे करने की मांग की थी, और इसकी अनुमति नहीं दी गई।
कोर्ट ने कहा, इन तर्को पर पहले विचार किया जा चुका है। इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। इन सभी पर ट्रायल कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में विचार हो चुका है।
न्यायमूर्ति भानुमति ने कहा कि कोर्ट ने समीक्षा के लिए नियत नियमों के मापदंडों के अंतर्गत मामले की समीक्षा की और वह अब मामले पर दोबारा सुनवाई नहीं कर रही है।
अन्य तीन दोषियों की याचिकाओं को खारिज करने का उल्लेख करते हुए कोर्ट ने कहा, उसके (दोषी) द्वारा जांच में कमियों और तर्को को पहले खारिज किया जा चुका है।
अक्षय के वकील ने कोर्ट में कहा कि उनका मुवक्किल राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करना चाहता है। उन्होंने इसके लिए तीन सप्ताह का समय मांगा।
केंद्र सरकार के वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इसके लिए नियत समय सिर्फ एक सप्ताह है। शीर्ष अदालत ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका के लिए समयसीमा पर आदेश देने से इंकार कर दिया।
कोर्ट ने कहा, इस संबंध में हम अपने विचार नहीं बता रहे हैं, और दोषी कानून के अनुसार दिए गए समय के भीतर दया याचिका दायर कर सकते हैं।
–आईएएनएस