• भाजपा का प्लान सरकार
  • महाराष्ट्र में भाजपा ने तैयार किया प्लान सरकार
  • नाराज शिवसेना के बगैर चाणक्य शाह ने बनाया प्लान
  • 2014 के फार्मूले पर चल कर भाजपा बनाएगी सरकार
  • NCP पर टिकी भाजपा की नजर, शरद अभी है चुप

महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को जीते छ दिन बीते गए हैं लेकिन वहां अभी तक सरकार का गठन नहीं हो पाया है जिसकी मूल वजह भाजपा और शिवसेना की राजनीतिक खींचतान और महत्वकांक्षा है .. चुनाव जीतने के बाद शिवसेना मंत्रमंडल में आधे मंत्री और ढाई साल के लिए सीएम पद का दावा कर रही है जिसे भाजपा नकार चुकी है .. अब बात बनती न देख बीजेपी ने अपना सरकार बनाने का मास्टर प्लान तैयार कर लिया जिसके केंद्र में भाजपा के चाणक्य अमित शाह ही माने जा रहे हैं .. सभी को ये उम्मीद है कि अमित शाह की रणनीति से भाजपा महाराष्ट्र में शिवसेना के बगैह अपने दम पर भी सरकार बना सकती है जिसके वो प्लान 2014 का नाम द रही है .. वैसे महाराष्ट्र में 9 नवंबर तक सरकार गठन हो जाना चाहिए नहीं तो वहां संवैधानिक संकट खड़ा हो जाएगा .. 9 नवंबर में अभ ज्यदा समय नहीं बचा है और शिवसेना के रूख में की नरमी नजर नहीं आ रही है इसलिए भाजपा अब प्लान 2014 क तहत सरकरा बनाने की जुगत में लग गई है .. पार्टी सूत्रों का कहना है कि जिस तरह 2014 में बीजेपी ने अकेले सरकार बनाई थी उसी तरह इस बार भी बन सकती है लेकिन इस बार आंकड़ो उसको थोड़ा मुश्किल में डाल सकते हैं .. 2014 में इसी तरह क संकट में भाजपा ने अकेले दम पर सरकरा बनाई थी जिसमें उसे शरद पवार की पार्टी एनसीपी का अप्रत्क्ष साथ मिला था . .तब सदन में बहुमत परीक्षम के समय एनसीपी ने सदन स वाक आऊट  कर दिया था तब आखिरी समय तक भाजपा के खिलाफ खड़ी शिवसेना को भाजपा का साथ देना पड़ा .. इसी तरह इस बार भी भाजपा इसी फार्मूले पर सरकार बना सकती है .. इस बार एनसीपी के 54 विधायक हैं और अगर वो बहुमत परीक्षम के समय वाकआऊट करते हैं तो सदन की संख्या 288 से घटकर 234 रह जाएग जिसमें बहुमत का आंकड़ा घटकर 118 हो जाएगा ..लेकिन भाजपा के पास इस बार केवल 105 सीटें है तो उसे 13 विदायक और चाहिए होंगे .. इसपर भाजपा 13 निर्दलीय विधायकों को अपने साथ लाने की कोशिश करेग इसके अलाला कई छोटे दल भी हैं जो भाजपा से मिल सकत हैं .. इस प्लान क तहत भाजपा महाराष्ट्र में सरकरा बनाने का अमित शाह प्लान तैयार कर चुकी है .. क्योंकि भाजपा में ये बात आम है कि अमित शाह हैं तो मुमकिन हा .. लेकिन बड़ा दारोमदार एनसीपी पर है ..क्योंक कभी वो शिवसेना का साथ देने की बात करत हैं तो कभी विपक्ष में बैठने की .. ये भी याद रखना होगा की शरद राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं ..