इस भावुकता की कीमत है…. इस अदा की इज्जत है… इस दहाड़… इस पुकार… इस फरियाद को सम्मान आखिरकार मिल ही गया है… सियासी वर्चस्व को तोड़ने के लिए बीजेपी ने जो सोचा था… उसे रामपुर की जनता ने झटका दिया… जबरदस्त झटका दिया….. आजम के सियासी किले की बुनियाद हिलाने की बीजेपी ने भरपूर कोशिश की…. आजम ने उतनी ही ताकत लगा दी…. अपने दशकों पुराने सियासी अनुभव की जोरअजमाइश कर ली….. शायद इसलिए सपा ने विधानसभा उपचुनाव में आजम की ओर से खाली की गई सीट पर किसी और उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा… बल्कि आजम की पत्नी तजीन फातिमा ही मैदान में उतरी…. इसके लिए अपने राज्यसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया… रामपुर के अलग अलग हिस्सों में जाकर प्रचार किया… जनता को बीजेपी की कमियों से वाकिफ कराया…. आजम भी अपनी पत्नी तजीन फातिमा को जीत दिलाने… जनता के दिलों में बसाने की पूरी कोशिश की…. बेटे अबदुल्ला आजम ने मां तजीन फातिमा का साथ दिया…. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तो 11 विधानसभा सीटों में से सिर्फ रामपुर को ही अपने प्रचार के लिए चुना…. वो कही और प्रचार के लिए नहीं गए… सिर्फ रामपुर में ही जमे रहे है…. आज उसी मेहनत का जनता ने इनाम दिया… तजीन फातिमा ने बीजेपी प्रत्याशी भरत भूषण गुप्ता को मात दे दी
रामपुर की सियासी लड़ाई भारत भूषण और ताजीन फातिमा से ज्यादा आजम खान बनाम बीजेपी के बीच थी… यूपी में बीजेपी की सरकार के आने से बाद से आजम खान के सितारे गर्दिश में हैं…. लोकसभा चुनाव के बाद आजम खान पर करीब 80 एफआईआर दर्ज हुई हैं…. इनमें बकरी चुराने से लेकर, मुर्गियां चुराने तक के आरोप लगे हैं…. आजम खान ने उपचुनाव में अपनी पत्नी का प्रचार करते हुए कहा था कि वे खुद को नहीं बेच सके हैं इसलिए उनपर केस दर्ज हुए हैं….
बता दें कि आजम खान के रामपुर से लोकसभा सांसद बन जाने के बाद रामपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ है… मुस्लिम बहुल रामपुर सीट पर आज तक कभी भी मुस्लिम समुदाय के अलावा कोई दूसरा नहीं जीत सका है…. इसीलिए बीजेपी को छोड़कर सभी ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे…. बीएसपी से जुबैर मसूद खान और कांग्रेस से अरशद अली खान मैदान में थे… रामपुर सीट पर लगभग 3 लाख 81 हजार मतदाता हैं, इनमें से करीब 57 फीसदी मुसलमान हैं…अब रामपुर में तजीन फातिमा की जीत पर बीजेपी की सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान और उनके परिवार के लिए अगली रणनीति क्या होगी… क्या बीजेपी प्रत्याशी की हार खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए बड़ी हार नहीं है…. क्या चूक हुई…. जिसकी वजह से बीजेपी आजम के बारे रामपुर की जनता को बताना चाहती थी… उसे रामपुर की जनता ने नकार दिया… क्या बीजेपी की आजम के लिए नकारात्मक राजनीति उनके प्रत्याशी की हार सबसे बड़ी वजह बनी…. बहरहाल रामपुर में बीजेपी की हार के बाद पार्टी रणनीतिकार उस पर विचार तो करेंगे ही… लेकिन रामपुर जीत के बाद आजम को अपने सियासी अस्तित्व बचाने में काफी हद तक कामयाबी मिली ही…. और शायद तजीन फातिमा की जीत से शासन-प्रशासन आजम को अपने घेरे में लेने की कोशिशों पर विराम लगाएंगे