- 2022 के मिशन पर आगे निकले अखिलेश
- अखिलेश अब ना रुकेंगे, ना झुकेंगे !
- वो ना समझौते करेंगे, बस बढ़ते चले जाएंगे !
- सावधान ! मायावती, साइकिल की रफ्तार बढ़ गई है !
बीएसपी में खुद के फैसलों से खलबली है… खलबली ही खलबली है… साइकिल की रफ्तार से शायद हाथी की मुखिया इस कदर बेचैन हुई… कि अपनों पर ही गाज गिरा रही है…. उन्हें अपने घर बेघर करने के लिए फरमान सुना रही है…. बीएसपी के हर घर में शोर है…. कही ना कही वहां रहने वाले नेता पर बीएसपी प्रमुख मायावती को शक है… अंदेशा है… कही उन नेताओं की सियासी भक्ति डोल तो नहीं गई….सपा की ओर बढ़ तो नहीं रही है…. कही उनकी वफादारी से वफा गायब तो नहीं हो गई… उस वफा की जगह वेबफाई तो नहीं आ गई…. शायद बीएसपी प्रमुख मायावती को ऐसा ही लग रहा है…. तभी तो एक के बाद एक ऐसे फैसले ले रही है… जिससे बीएसपी में खलबली ही खलबली है
सबसे पहले मेरठ बीएसपी में खलबली मची… खलबली यही थी… बीएसपी के कद्दावर नेता योगेश वर्मा को पार्टी विरोधि गतिविधियों के लिए निकाल दिया गया… उनकी पत्नी और मेयर सुनीता वर्मा को भी निलंबित किया गया…. योगेश वर्मा मायावती के उन विश्वासपात्रों में रहे…. जिनके बारे में ये कहा जाए… कि बीएसपी प्रमुख उनपर आंख मूंदकर विश्वास करती रही है…. योगेश वर्मा वही है… जो साल 2019 में हुए आम चुनाव में बुलंदशहर से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं… 2 अप्रैल 2018 की हिंसा में भी योगेश वर्मा ने अपनी पार्टी बीएसपी के स्टैंड के लिए बढ-चढकर हिस्सा लिया.. यही नहीं योगेश की पत्नी सुनीता वर्मा जो कि मौजूदा वक्त में मेरठ नगर निगम की मेयर हैं… वो भी वंदे मातरम को लेकर काफी चर्चित रही थी… कांटे की लड़ाई में बीजेपी से मेयर की ये सीट जीती… बीएसपी को गर्व करने का मौका दिया… इस जीत में योगेश वर्मा ने बड़ी जिम्मेदारी निभाई थी… अचानक से दोनों पति पत्नी के लिए बसपा के दरवाजे को बंद कर देना…. राजनीति के जानकारों की समझ से परे हैं…. मायावती की ये रणनीति…. अबूझ पहेली सी दिखती है
भला कोई कैसे अपने जनाधार वाले नेताओं को बिना किसी जानकारी के पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा सकता है… बीएसपी अगर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की बात समझती है… तो कम से कम उन्हें इस बारे अपना पक्ष रखने का मौका तो देते….. हालांकि जो चिट्ठी जारी की गई है… उसमे बीएसपी ने कहा है कि उन्होंने दोनों को कई बार चेतावनी दी… अगर चेतावनी दी तो जानकारी कैसे नहीं….. अगर जानकारी होती तो बसपा से निष्कासन की खबर सुनकर दोनों यूं सन्न नहीं रह जाते…. बसपा के प्रदेशाध्यक्ष बाबू मुनकाद अली इस मामले में कुछ बताते जरूर… इधर उधर बगले नहीं झांकते….. बसपा के जिलाध्यक्ष मोबाइल स्विच आफ नहीं कर देते
आगरा में भी ऐसा ही हुआ…. एक लेटर, जिसे मौजूदा जिला अध्यक्ष संतोष कुमार आनंद ने जारी किया… बसपा के मौजूदा जिला अध्यक्ष संतोष कुमार आनंद के इस लेटर पैड पर पूर्व एमएलसी सुनील कुमार चित्तौड़, पूर्व एमएलए कालीचरन सुमन, पूर्व मंत्री नारायण सिंह सुमन, पूर्व एमएलए स्वदेश कुमार, पूर्व जिलाध्यक्ष डॉ भारतेंदु अरुण, पूर्व जिला अध्यक्ष डॉ मलखान सिंह, पूर्व जिला अध्यक्ष विक्रम सिंह को पार्टी से निष्कासित करने की सूचना दी गई है… वजह बताई गई पार्टी विरोधी गधिविधियों में शामिल होना…. इन सब में कईयों को पहले भी पार्टी विरोधी गधिविधियों के लिए बाहर का रास्ता दिखाया गया था… ऐसे में सवाल उठता है… जब पहले पार्टी से निकाला गया था… तो फिर क्यों शामिल किय़ा गया… ऐसी क्या मजबूरी रही… जो इन्हें फिर से पार्टी में लाया गया… ये बीएसपी प्रमुख ही जानती होंगी… आखिर सियासी जानकार जो उन्हें अबूझ पहेली मानते हैं… जिन्हें समझना आसान नहीं है…. लेकिन उनके इस कदम से सपा क्या फायदा मिल रहा है…. अब वो बताने जा रहा हूं