गाजियाबाद: आज अयोध्या से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के संभावित फैसले के मद्देनजर गाजियाबाद की सुरक्षा व्यवस्था और कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए मंडलायुक्त अनीता मेश्राम और आईजी मेरठ जोन आलोक सिंह की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित हुई। फैसले के बाद स्थिति पर नजर बनाये रखने के लिए कलेक्ट्रेट स्थित अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व के कार्यालय में कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है, जिसका दूरभाष संख्या 0120- 2821 250 है। फोन कॉल की मॉनिटरिंग के लिए लगातार 24 घंटे कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। इस अवसर पर मंडलायुक्त ने कहा कि अयोध्या प्रकरण पर आने वाले फैसले पर विस्तार से चर्चा और तैयारियां कर ली गई है।


उन्होंने विभिन्न संप्रदायों से आए हुए धर्मगुरुओं से आह्वान किया कि शासन-प्रशासन की मंशा के अनुरूप जो भी निर्णय इस प्रकरण में आएगा उसका स्वागत करते हुए उस पर सभी निष्पक्ष आचरण रखें। किसी भी जातिगत, वर्णगत परंपराओं एवं बातों में न उलझ कर निर्णय पर पूरी तरह से प्रतिबद्धता एवं शांति बनाए रखें। उन्होंने समस्त जनपद वासियों और धर्मगुरुओं से आह्वान किया कि कहीं भी सड़क, धार्मिक स्थल इत्यादि पर हमें अपना विरोध व्यक्त नहीं करना है एवं श्रेष्ठ जनों, महानुभव की मूर्तियों की भी सुरक्षा हमें खुद करनी है। सोशल मीडिया पर कोई भी धर्म विरोधी मैसेज या वीडियो को आगे फॉरवर्ड नहीं करना है जिससे कि आपसी मत-भेद की स्थिति उत्पन्न हो सके। उन्होंने जनपद वासियों की सराहना करते हुए कहा कि जनपद गाजियाबाद से पूर्व में भी बड़े-बड़े पर्व एवं कार्यक्रमों में जनपद वासियों द्वारा कानून व्यवस्था बनाए रखी गई थी, उसी तरह इस बार भी माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का भी सम्मान करते हुए कोई भी अप्रिय हिंसा वाद-विवाद नही पैदा होने देना है। उन्होंने कहा कि जनपद में ठीक कानून व्यवस्था विकास का मूलभूत आधार होता है।


इस अवसर पर आई0जी0 मेरठ जोन आलोक सिंह ने कहा कि कानून व्यवस्था को लेकर सभी तैयारी पूर्ण करा ली गई हैं। सोशल मीडिया पर भी सर्विलेंस रखी जा रही है, इसलिए कोई भी व्यक्ति आपत्तिजनक मैसेज या वीडियो आगे फॉरवर्ड ना करें वरना कठोरतम कार्रवाई कराते हुए सजा सुनिश्चित कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि पूरे जिले में धारा 144 लागू है अतः सभी जाति-धर्म के लोग सावधान रहें, साथ ही प्रतिबंधित गतिविधियों में न शामिल हों। बैठक में जनपद के विभिन्न धर्मगुरुओं एवं संभ्रांत नागरिकों व्यापारियों ने हिस्सा लिया।