हिन्दू धर्म में तुलसी को सबसे अधिक महत्व दिया गया है… कहते हैं जिस घर में तुलसी का वास होता है वहां कभी किसी तरह का क्लेष नहीं होता… सिर्फ यही नहीं जिस घर में तुलसी रहती हैं उस घर से सभी नकारात्मक ऊर्जा भी खत्म हो जाती है… वहीं कार्तिक माह में तुलसी विवाह का भी हिन्दू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है… तुलसी विवाह को कन्यादान के बराबर माना जाता है… जिस घर में बेटियां नहीं हैं… वो दंपत्ति तुलसी विवाह करके कन्यादान का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं… विवाह आयोजन बिल्कुल वैसा ही होता है, जैसे हिन्दू रीति-रिवाज से सामान्य वर-वधु का विवाह किया जाता है

तुलसी विवाह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में एकादशी के दिन किया जाता है… इसे देवउठनी या देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है… ये एक श्रेष्ठ मांगलिक और आध्यात्मिक पर्व है… हिन्दू मान्यता के अनुसार इस तिथि पर भगवान श्रीहरि विष्णु के साथ तुलसी जी का विवाह होता है, क्योंकि इस दिन भगवान नारायण चार महिने की निद्रा के बाद जागते हैं… कहते हैं भगवान विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय है… तुलसी का एक नाम वृंदा भी है… और जब नारायण जागते हैं, तो सबसे पहली प्रार्थना हरिवल्लभा तुलसी की सुनते हैं… इसीलिए तुलसी विवाह को देव जागरण का पवित्र मुहूर्त माना गया है… सनातन धर्म के अनुसार तुलसी का विवाह शालिग्राम से करवाया जाता है जो भगवान विष्णु के अवतार माने जाते है

तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त

तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त
तुलसी विवाह तिथि- 9 नवंबर 2019
विवाह शुभ मुहूर्त- सुबह 8:05 मिनट से 9:20 मिनट तक
द्वादशी तिथि प्रारंभ- दोपहर 12:24 मिनट से (8 नवंबर 2019)
द्वादशी तिथि समाप्त- दोपहर 2:39 मिनट तक (9 नवंबर 2019)

चलिए अब आपको बताते हैं तुलसी विवाह का विधि-विधान

तुलसी पूजन की विधि

तुलसी विवाह वाले दिन सूर्योदय से पहले उठकर दैनिक कार्य कर साफ वस्त्र धारण करें
तुलसी के पौधे को लाल चुनरी ओढ़ा कर श्रृंगार करें
शालिग्राम को स्थापित करके विधिवत पंडित जी से उनका विवाह करवाएं
विवाह के बाद तुलसी और शालिग्राम की सात परिक्रमा करके तुलसी जी की आरती करें