बात कश्मीरी हिंदु पंडितों की दुर्दशा की… उनके साथ हुई बर्बरता की… उनके साथ हुई हैवानियत की… उनके साथ हुए अत्याचार की… ऐसी क्या वजह है कि अनुच्छेद 370 हटाने के बावजूद भी, कश्मीरी पंडितों की घर वापसी नहीं हो रही है… देश के नागरिक अपने ही देश में पिछले 34-35 सालों में न्याय की आशा लिए दर दर की ठोकरें खा रहे है… राज्य और केंद्र सरकारों ने आज तक कश्मीरी हिंदुओं की घर वापसी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है… हाल ही में एक SIT एजेंसी जरूर बनाई गयी है, जो एक Retired Judge की अध्यक्षता में गुनहगारों पर कार्रवाई करेगी, लेकिन क्या सही में कार्रवाई होगी… क्या वास्तव में कश्मीरी हिंदुओं को अन्याय मिलेगा… फिल्हाल की स्थिति में तो कश्मीरी हिंदुओं की घर वापसी असम्भव सी लगती है…. कश्मीरी हिंदुओं का न केवल कत्लेआम हुआ था बल्कि महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं भी हुईं थी… और ये सब जानते हैं कि उन घटनाओं में उस वक्त के कश्मीरी नेताओं और स्थानीय लोगों का सहयोग था… राज्य सरकारों और केन्द्र सरकारों ने आज तक उन लोगों की घर वापसी का कदन उठाना तो दूर बल्कि कभी गंभीर रूप से चर्चा करना भी जरूरी नहीं समझा है… आज भी वो लोग कश्मीर जाने से डरते हैं… और आखिर डरे भी क्यों न…  अनुच्छेद 370 हटने के बावजूद कश्मीर में टारगेट किलिंग रूकने का नाम नहीं ले रही है… अनुच्छेद 370 हटने के बाद से अभी तक कश्मीर में 22 जुलाई 2022, यहां मैं केवल 22 जुलाई 2022 तक की ही बात कर रहा हूं… 118 लोग आतंकी हमले में मारे जा चुके हैं… इनमें 6 कश्मीरी पंडित और 16 अन्य सिख और हिंदु समुदाय के लोग शामिल हैं… और ये हम ऐसे ही हवा में नहीं बोल रहे हैं… ये केन्द्र सरकार द्वारा जारी किए गए आंकडे हैं..  दरअसल… एक आरटीआई कार्यकर्ता अजय बोस ने कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से अब तक आतंकी हमलों में मारे गए लोगों की जानकारी मांगी थी, जिसके जवाब में गृह मंत्रालय ने यह जानकारी दी है… अनुच्छेद 370 हटने के बाद से कश्मीर में सारे कानून केंद्र सरकार के लागू हैं… लेकिन क्या केवल कानून लागू होने से सब कुछ ठीक हो जाता है… क्या केवल भाषण बाजी करने से हालात सामान्य हो जाते हैं… क्या केवल राजनीति करने से इन कश्मीरी हिंदुओं के दुख दूर हो जाएंगे… समस्या गंभीर है, लेकिन समाधान कब होगा पता नहीं….