नई दिल्ली, 6 दिसम्बर (आईएएनएस)। इक्वाडोर सरकार ने शुक्रवार को इस बात से इनकार किया कि उसने दुष्कर्म और अपहरण के मामले में भारत में वांछित स्वयंभू संत नित्यानंद को शरण दिया है या दक्षिण अमेरिकी देश में जमीन खरीदने में उसे किसी भी तरह की मदद की है।
इक्वाडोर सरकार का बयान ऐसे समय आया है, जब भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने नित्यानंद का पासपोर्ट रद्द कर दिया है और अपने सभी विदेशी दूतावासों को उसके आवाजाही पर नजर रखने के लिए अवगत करा दिया है।
इक्वाडोर दूतावास ने एक बयान में कहा कि देश ने नित्यानंद के शरण के आग्रह को ठुकरा दिया था और उसने हैती जाने के लिए देश छोड़ दिया है।
बयान के अनुसार, इक्वाडोर दूतावास स्पष्ट रूप से उन प्रकाशित बयानों को खारिज करता है, जिसमें स्वयंभू संत नित्यानंद को इक्वाडोर द्वारा शरण देने या दक्षिण अमेरिकी द्वीप में या इक्वाडोर से दूर किसी भी जगह जमीन खरीदने में मदद देने की बात कही गई है।
बयान के अनुसार, इसके अलावा, नित्यानंद द्वारा इक्वाडोर के समक्ष किए गए अंतर्राष्ट्रीय निजी संरक्षण (शरणार्थी) आग्रह को ठुकरा दिया गया था, जिसके बाद वह संभवत: हैती चले गए।
बयान में कहा गया है कि डिजिटल या प्रिंट मीडिया घरानों से आग्रह है कि नित्यानंद से संबंधित किसी भी तरह की सूचना का इस्तेमाल करते वक्त इक्वाडोर का संदर्भ न दे।
बयान के अनुसार, भारत में प्रिंट या डिजिटल मीडिया में प्रकाशित सभी खबरें कथित रूप से कैलाशा डॉट आर्गनाइजेशन वेबसाइट से ली गई थी, जोकि संभवत: नित्यानंद या उनके समर्थकों द्वारा चलाई जाती है।
नित्यानंद ने इससे पहले घोषणा कर कहा था कि उसने इक्वाडोर से खरीदे गए द्वीप पर एक हिंदू राष्ट्र-कैलाशा का निर्माण किया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने नित्यानंद के दावे वाले हिंदू राष्ट्र कैलाशा पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि जब मंत्रालय को नित्यानंद के मामलों के बारे में सूचित किया गया तो मंत्रालय ने उसका पासपोर्ट रद्द कर दिया।
कुमार ने कहा कि संत ने नए पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था, जिसे खारिज कर दिया गया और प्रतिकूल पुलिस रपट की वजह से इसे होल्ड पर रख दिया गया।
उन्होंने कहा, हमने अपने दूतावसों को इस बाबत अवगत करा दिया है कि वह भारत में कई अपराधों के लिए वांछित है, इसलिए अगर वह किसी देश से दूसरे देश जाता है या किसी देश में रहता है, तो हमें सूचित किया जा सके।
कुमार ने कहा कि नित्यानंद के पास 2008 में जारी किया गया 10 वर्षो की वैधता वाला पासपोर्ट था, लेकिन इसे 2018 से पहले रद्द कर दिया गया। उसने नए पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया।
नित्यानंद को कर्नाटक में उसके खिलाफ दुष्कर्म के एक मामले की वजह से कथित रूप से बिना पासपोर्ट के ही देश छोड़कर भागना पड़ा था।
नित्यानंद का असली नाम राजशेखरन है और वह तमिलनाडु का रहने वाला है। उसने 2000 की शुरुआत में बेंगलुरू के समीप एक आश्रम खोला था। कहा जाता है कि उसकी शिक्षाएं ओशो रजनीश की शिक्षाओं पर आधारित होती हैं।
रपटों के अनुसार, नित्यानंद के खिलाफ फ्रांस के अधिकारी भी चार लाख डॉलर के कथित धोखाधड़ी मामले में जांच कर रहे हैं।
बीते महीने, नित्यानंद के खिलाफ उसके अहमदाबाद स्थित आश्रम से दो लड़कियों के लापता होने के संबंध में एफआईआर दर्ज कराई गई थी।
–आईएएनएस