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पिता के फॉर्म्युले से हट रहे थे Tejashwi Yadav, Lalu Yadav ने कह दिया- नो

पिता के फॉर्म्युले से हट रहे थे Tejashwi Yadav, Lalu Prasad Yadav ने कह दिया- नो, RJD के अंदर की बात जान लीजिए….

पिता के फॉर्म्युले से हट रहे थे Tejashwi Yadav, Lalu Yadav ने कह दिया- नो | The Rajneeti Bihar

नीतीश कुमार के साथ घूम रहे तेजस्वी यादव को लगा बड़ा झटका
पिता के फॉर्म्यूले से हट रहे थे तेजस्वी तो लालू यादव ने दिखा दिया आईना
अपनी चलाना चाह रहे थे तेजस्वी यादव लेकिन लालू ने कहा, “नहीं”
तेजस्वी की नहीं चली अब पुरानी रणनीति पर ही चलेगी RJD

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों 2024 की तैयारी में जुटे हुए हैं और उसके लिए नीतीश कुमार ने बिखरे विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश शुरू कर दी है और इस मुश्किल काम में उनका साथ दे रहे हैं बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव …तेजस्वी जी जान से नीतीश कुमार के साथ सभी विपक्षी नेताओं से मिल रहे हैं….और इसे तेजस्वी की अपनी स्टाइल की राजनीति कहा जा रहा था जबकि लालू और उनकी पार्टी आरेजेडी का अब तक चुनावी फॉर्म्यूला M-Y समीकरण ही रहा है लेकिन तेजस्वी इससे आगे बढ़कर राजनीती करना चाहते थे और कर भी रहे थे लेकिन अब आरजेडी की तरफ फरमान आया है कि पार्टी पुराने फॉर्म्यूले से ही आगे बढ़ेगी और तेजस्वी यादव को भी यही फॉर्म्यूला मानना पड़ेगा…वहीं तेजस्वी जिस फॉर्म्यूले से आगे बढ़ रहे थे वो सीएम नीतीश कुमार का फॉर्म्यूला है लेकिन अब लालू और आरेजेडी ने साफ कर दिया है कि पार्टी अपने पुराने फॉर्म्यूले से ही आगे बढ़ेगी….वैसे क्या है आरजेडी का पुराना फॉर्म्यूला और क्या है नीतीश कुमार का फॉर्म्यूला बताएंगे आपको पूरी खबर ये भी बताएंगे कि किसका फॉर्म्यूला इस चुनाव में ज्यादा सीटें दिलवाने में कामयाब हो पाएगा….बस आप हमारे इस वीडियो को आखिर तक देखते रहें…

दरअसल RJD अबतक अपनी पुरानी लीक पर ही चल रही है लेकिन उस वक्त तेजस्वी यादव ने सभी को चौंका दिया था जब पार्टी की कमान संभालने के बाद तेजस्वी यादव ने कहा था कि

आरजेडी सिर्फ M-Y समीकरण के सहारे अपनी ताकत को सीमित दायरे में नहीं रखना चाहता।
अब इसका स्वरूप A टू Z पार्टी का होगा। यानी हर जाति के लोगों को साथ लेकर पार्टी चलेगी।

ये बात तेजस्वी यादव ने जब कही थी उसके कुछ समय तक आरजेडी में ये देखन को भी मिला था लेकिन मंगलवार को प्रकोष्ठ प्रमुखों, जिला अध्यक्षों और जिला महासचिवों की आरजेडी की सूची देख कर तो यही लगता है पार्टी अब भी लालू यादव के आजमाए रास्ते पर ही चल रही है। चलिए एक नजर इस लिस्ट पर डालते हैं जिससे और स्थिति और साफ हो जाएगी

आधे पर M-Y फॉर्म्यूला

दरअसल सांगठनिक रूप से आरजेडी ने बिहार को 47 जिलों में बांटा है। इन जिलों में जिलाध्यक्ष और जिला महासचिव के 94 नामों की मंगलवार को घोषणा की गई। इसमें 51 पदाधिकारी मुस्लिम और यादव समाज के हैं। सूची जारी करते समय जो सबसे अहम बात कही गयी वो यह थी कि पार्टी पुराने रास्ते पर लौट रही है। यानी तेजस्वी का ए टू जेड का फार्मुला नहीं चलेगा। इसे दूसरे ढंग से कहें तो पार्टी के पदाधिकारियों में लालू यादव और जगदानंद की चली है, न कि तेजस्वी यादव की वैसे उसके पीछे वजह भी है

आरजेडी को अपने M-Y समीकरण पर है भरोसा

दरअसल आरजेडी को अब लगने लगा है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव और 2025 में विधानसभा चुनाव में नई कोशिश में कहीं धोखा न हो जाए। इसीलिए पार्टी पुराने समीकरण पर ही चलेगी क्योंकि

बिहार में मुस्लिम वोट 20 प्रतिशत माना जाता है। यादव वोटर भी 16 प्रतिशत बताए जाते हैं।
यानी एकमुश्त 36 प्रतिशत वोटों को छोड़ कर आरजेडी ए टू जेड की पार्टी बनने का जोखिम मोल लेना नहीं चाहती।

वैसे भी बीजेपी जिस तरह पिछड़े और दलित वोटों को गोलबंद करने की कोशिश कर रही है और सवर्ण बीजेपी के पारंपरिक वोट माने जाते रहे हैं, वैसे में आरजेडी कोई नया प्रयोग करने से परहेज करेगी ही…वहीं इसके अलावा एक वजह और भी है और वो ये कि आरजेडी को यह भी पता है कि नीतीश कुमार भले महागठबंधन के साथ हैं और सीएम बने हुए हैं, पर उनका वोट आधार खिसक चुका है। नीतीश के स्वजातीय कुर्मी वोट भी उन्हें पूरे मिल जाएं, इसमें अब संदेह दिखने लगा है। इसलिए कि आरसीपी सिंह कुर्मी वोटरों को तोड़ सकते हैं। इससे भी बड़ी बात कि जिस लालू यादव के विरोध के लिए 1994 में लव-कुश समीकरण बना और नीतीश कुमार उसके नेता के रूप में उभरे, वह समीकरण अब ध्वस्त हो चुका है। लालू विरोध के नाम पर जो लोग गोलबंद हुए, वे अब ठगे महसूस कर रहे हैं। नीतीश की पोल पट्टी खोलने के लिए उपेंद्र कुशवाहा और आरसीपी सिंह ने मोर्चा खोल ही दिया है। ऐसे में नीतीश के 10-12 प्रतिशत वोट का आधार तो अब रहा नहीं। दलित और मुसलमानों ने भी नीतीश का साथ छोड़ ही दिया है…और ये बात उस वक्त सही साबित हो गई जब 2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी को सिर्फ 43 सीटें ही मिलीं….

दरअसल कहा तो ये तक जा रहा है कि अपनी रणनीति से बीजेपी ने नीतीश का आधार वोट छीन लिया है। इसलिए आरजेडी कोई भी नया प्रयोग कर अपना नुकसान नहीं करना चाहती और यही वजह है कि पार्टी ने अपनी पुरानी रणनीति पर ही चलने का फैसला किया है….आपको हमारी ये खबर कैसी लगी हमें कमेंट कर जरूर बताएं साथ ही राजनीति से जुड़ी हर खबर के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब कर लें….शुक्रिया

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