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बेटी Sanghamitra Muarya के लिए Swami Prasad Maurya बन गए Akhilesh Yadav के ‘बागी’ !

बेटी Sanghamitra Muarya के लिए Swami Prasad Maurya बन गए Akhilesh Yadav के 'बागी' ! | The Rajneeti

बेटी Sanghamitra Muarya के लिए Swami Prasad Maurya बन गए Akhilesh Yadav के 'बागी' ! | The Rajneeti

बीजेपी की चाल में फंसे ‘स्वामी’ !… बेटी संघमित्रा मौर्य के लिए स्वामी प्रसाद मौर्य बन गए अखिलेश के ‘बागी’ !
स्वामी प्रसाद मौर्य और संघमित्रा मौर्य के बीच लगी थी ‘शर्त’ ! बेटी से पिता शर्त हार गए तो अखिलेश के खिलाफ हो गए !
पिता ने बेटी के भविष्य के लिए अपनी राजनीति की दी कुर्बानी !… अखिलेश के ‘PDA’ के ‘जादू’ को रोकने के लिए स्वामी हो गए बेकाबू !

एक सियासी परिवार, परिवार के दो सदस्य लेकिन सियासत दो अलग अलग विचारधाराओं की पार्टियों से… पिता स्वामी प्रसाद मौर्य सपा में अपनी राजनीति के लिए रास्ते तैयार कर रहे थे… अखिलेश की राजनीति के साथ चल रहे थे…. तो बेटी संघमित्रा मौर्य पिता की राजनीति के विपरीत, उनकी विचारधारा के खिलाफ बीजेपी का साथ देती नजर आई… बावजूद इसके संघमित्रा मौर्य की राजनीति ठहरती दिखी… पिता स्वामी प्रसाद मौर्य की ओर से बीजेपी के खिलाफ सख्त रुख अख्तियार करने की वजह से संघमित्रा मौर्य की राजनीति पर बहुत बड़ा असर दिख रहा था…साल गुजरे लोकसभा चुनाव का वक्त आया… तो ऐसा महसूस होने लगा… अटकले लगने लगी… स्वामी प्रसाद मौर्य, अपनी बेटी संघमित्रा मौर्य को अपने खेमे में लाने में कामयाब होंगे… अपनी बेटी संघमित्रा मौर्य की राजनीति को सपा से ऊंचाइयां देते नजर आएंगे… लेकिन कहा जाता है… संघमित्रा मौर्य को एहसास हो गया था… सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की ओर से राजनीतिक कृपा उनपर नहीं बरसने वाली है… ऐसा एहसास संघमित्रा मौर्य को तब ही हो गया था… जब उनके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट से चुनाव लड़ रहे थे… उस दौरान संघमित्रा मौर्य ने अपने पिता स्वामी प्रसाद मौर्य का पक्ष लेते हुए अपनी ही पार्टी बीजेपी के खिलाफ झंडा बुलंद किया था… हालांकि विधानसभा चुनाव का परिणाम आया तो स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ गया… वो चुनाव हार गए थे… माना जा रहा था… संघमित्रा मौर्य अब सपा में जाने वाली है… लेकिन ऐसा नहीं हुआ… धीरे धीरे संघमित्रा मौर्य बीजेपी में रम गई… बावजूद इसके बीजेपी के आला नेताओं को शायद ट्रस्ट नहीं हुआ… उनकी ओर से संघमित्रा मौर्य को उस तरह से तवज्जों नहीं मिला…

बेटी Sanghamitra Muarya के लिए Swami Prasad Maurya बन गए Akhilesh Yadav के 'बागी' ! | The Rajneeti

इधर स्वामी प्रसाद मौर्य को अब भी यकीन था… कि वो अपनी बेटी संघमित्रा मौर्य के सियासी भविष्य को समाजवादी विचारधारा के झंडे तले उंचाईयां देने में कामयाब होंगे… लेकिन संघमित्रा मौर्य को यकीन था अखिलेश, स्वामी प्रसाद मौर्य की ख्वाहिश को तवज्जो नहीं देने वाले है… कहा जाता है… इसी बात को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य और उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य के बीच बहस हुई… संघमित्रा मौर्य ने एक तरह से ओपन चैलेंज अपने पिता स्वामी प्रसाद मौर्य को दिया… जो अखिलेश से आप मेरे लिए उम्मीद पाले बैठे हैं… वो वैसा नहीं करने वाले हैं… लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य को यकीन था… वो अपनी बेटी संघमित्रा की राजनीति को साइकिल के जरिए रफ्तार देने में कामयाब होंगे…. स्वामी प्रसाद मौर्य को विश्वास था कि वो संघमित्रा मौर्य को बदायूं से सपा के सिंबल पर फिर से लोकसभा उम्मीदवार के तौर पर टिकट दिला पाएंगे… लेकिन ऐसा हुआ नहीं… अखिलेश यादव ने अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव की राजनीति पर स्वामी के बजाए ज्यादा विश्वास किया… और लोकसभा चुनाव के लिए सपा की ओर से घोषित 16 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में धर्मेंद्र यादव को बदायूं से उम्मीदवार बनाया… अखिलेश के इस फैसले से स्वामी प्रसाद मौर्य हैरान, उदास तो हुए… लेकिन खामोश रहे… उन्हें अब भी विश्वास था… कि अखिलेश उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य की राजनीति को निखारने के लिए कुछ ना कुछ अपनी ओर से जरूर करेंगे… इधर संघमित्रा मौर्य की ओर से अपने पिता स्वामी प्रसाद मौर्य पर दबाव बढ़ रहा था… संघमित्रा मौर्य पिता स्वामी प्रसाद मौर्य पर बीजेपी विरोधी स्टैंड से पीछे हटने का दबाव बढ़ाने लगी… अब लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी ना सही स्वामी प्रसाद मौर्य एक और उम्मीद थी… वो उस वक्त का इंतजार कर रहे थे… वो वक्त आया… राज्यसभा के लिए उम्मीदवारों की लिस्ट में स्वामी प्रसाद मौर्य को यकीन था… उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य को जरूर जगह मिलेगी… लेकिन ऐसा हुआ नहीं… जब सपा ने राज्यसभा के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की… उस घोषणा ने एक तरह से स्वामी प्रसाद मौर्य की ख्वाहिशों को तहस नहस करके रख दिया… एक तरह से संघमित्रा मौर्य की राजनीति अधर में लटक चुकी है… क्योंकि माना जा रहा है… कि बीजेपी की ओर से संघमित्रा मौर्य को बदायूं से टिकट नहीं मिलने वाला है… इसी का परिणाम है कि अखिलेश यादव ने जिस पीडीए का फॉर्मूला बीजेपी को हराने के लिए निकाला… उसी पीडीए के खिलाफ स्वामी प्रसाद मौर्य ने इंडायरेक्टली सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को बता दिया…

एक और थ्योरी है… जो सियासी गलियारे में अटकलों के तौर पर तैर रही है… माना जा रहा है… बीजेपी यूपी में अखिलेश के पीडीए वाले फॉर्मूले से डरी हुई थी… एक तरह से अपने लिए खतरा मानकर चल रही थी… अब अखिलेश के पीडीए वाली थ्योरी को ध्वस्त करने के लिए एक रणनीति बनाई गई… इस रणनीति में पीडीए में पिछड़े समाज से आने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य का इस्तेमाल उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य के जरिए किया गया… शायद बीजेपी के रणनीतिकारों ने संघमित्रा मौर्य से वादा किया हो… अगर उनके स्वामी प्रसाद मौर्य सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के पीडीए पर सवाल उठाएंगे… तो उन्हें बदायूं टिकट मिल सकता है… अब चुकि अखिलेश ने ना तो बदायूं से स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य को टिकट दिया और ना ही राज्यसभा उम्मीदवार बनाया… तो जाहिर सी बात संघमित्रा मौर्य का दबाव अपने पिता स्वामी प्रसाद मौर्य पर बढ़ा होगा… इसी का परिणाम है… कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा के राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफा देने के बाद अखिलेश के पीडीए पर सवाल उठा दिया… इस तरह की बहस सोशल मीडिया के साथ ही राजनीति को समझने वाले लोगों के बीच चल रही है…

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