नई दिल्ली, 18 दिसम्बर (आईएएनएस)। कांग्रेस नेता उदित राज ने बुधवार को आईएएनएस से कहा, हालांकि मैं बौद्ध हूं, फिर भी मैं नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का विरोध करता हूं।
बुधवार को सीएए के खिलाफ जंतर-मंतर पर धरना दे रहे पूर्व सांसद ने कहा कि नया नागरिकता कानून उस संविधान की आत्मा पर हमला है, जो समानता की गारंटी देता है।
उन्होंने कहा, मैं इस अधिनियम के खिलाफ हूं, क्योंकि यह भारतीय संविधान पर हमला है, विशेष रूप से अनुच्छेद 14 पर। भारतीय संविधान कहता है कि किसी भी व्यक्ति के साथ धर्म, जाति, लिंग, वंश या जन्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है। इसलिए मुझे लगता है कि यह अधिनियम भेदभावपूर्ण है।
पूर्व सांसद ने कहा, मैंने लगभग 10 साल पहले बौद्ध धर्म अपनाया था, क्योंकि मैंने उस जाति व्यवस्था को अस्वीकार कर दिया था, जिसमें मैं पैदा हुआ था। यह ठीक है कि बौद्धों को सीएए में शामिल किया गया है, लेकिन मैं केवल इसलिए कैसे आराम से बैठ सकता हूं कि इसमें बौद्ध शामिल हैं? यह संविधान की उस मूल संरचना पर हमला है, जो धर्मनिरपेक्षता है।
दलित नेता ने कहा, एससी/एसटी/ओबीसी और आदिवासी समुदाय के लोगों के लिए सरकारी नौकरियों की भर्ती में भारी कटौती की गई है। सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण पूरी तरह से जारी है। बेरोजगारी सर्वकालिक उच्च स्तर पर है, लेकिन अभी भी इस सरकार का ध्यान ध्रुवीकरण पर है।
आम चुनाव से पहले उत्तर पश्चिम दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से भाजपा ने गायक हंसराज हंस को टिकट दिया था, जिसके बाद उदित राज ने भगवा पार्टी को छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था।
–आईएएनएस