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सांसद और विधायक के तेवरों से खतरे में पालिका अध्यक्ष की कुर्सी

फर्रुखाबादः बसपा की पालिका अध्यक्षा वत्सला अग्रवाल अब सांसद मुकेश राजपूत के साथ ही विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी की आंखों की किरकिरी बन गयी हैं। हर चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ ताल ठोंक देने के कारण अब सांसद और विधायक ने उन्हें सीधे टारगेट पर ले लिया है। दोनों नेताओं के तेवर देख कर यह कहा जा सकता है कि नगर पालिका अध्यक्षा की उलटी गिनती कभी भी शुरू हो सकती है। गठबंधन उम्मीदवार के रूप में लोक सभा चुनाव हारने के बाद पूर्व पालिका अध्यक्ष मनोज अग्रवाल का शहर के विकास से मोह भंग हो गया है। लेकिन जब कभी घेराबंदी होती है तो वे सभासदों को ढाल के रूप में इस्तेमाल करके बच जाते हैं।


ट्रैक्टर व्यापारी से नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ने आए मनोज अग्रवाल को स्थापित करने में भाजपा, सपा और कांग्रेस के कई नेताओं का ख़ास रोल रहा है. लेकिन उनकी बढ़ती राजनितिक महत्वाकांक्षा ने परदे की पीछे गद्दारी करने वाले इन सभी नेताओं की अकल ठिकाने लगा दी है. पिछले विधायकी और लोकसभा के सभी चुनाव वह लड़े हैं. वह विधायकी हार जाते हैं तो विधान परिषद् की टिकट खरीद लाते हैं और जीत भी जाते हैं. सपा- बसपा गठबंधन की टिकट लाकर वह सांसद बनने की गारंटी मान रहे थे. वह बसपा उम्मीदवार थे पर जुगाड़ से सपा प्रमुख अखिलेश यादव की सभा कराने में कामयाब हो गए. लेकिन चुनाव हारने के बाद उनका नजरिया बदल गया है. वह कुरता- पहजामे से शर्ट – पेण्ट में आ गए हैं. शहर में सभी तरह के छोटे- बड़े सभी काम बंद हैं. शासन के प्राथमिकता वाले कार्यक्रम भी ठेंगे पर उढ़ाये जाते हैं. कोई गड़बड़ी पकड़ जाए तो उसे निपटाने में एक्सपर्ट हैं. यह सारे अनुभव मेरे नहीं भाजपा नेताओं के हैं. विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी की माने तो पटेल पार्क के सुंदरीकरण की फ़ाइल ही काफी दिनों तक लटका कर रखी गई. सांसद मुकेश राजपूत ने कहा है कि अगर पालिका अध्यक्ष का ढर्रा न बदला और शासन की मंशा के अनुरूप काम न किया गया तो शासन से पालिका भंग कराने की भी कार्रवाई कराई जा सकती है.


विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी कहते हैं कि पूर्व पालिका अध्यक्ष मनोज अग्रवाल केवल चुनाव में ही जागते हैं और फिर कुम्भकर्णी नींद में सो जाते हैं. इसके अलावा उन्हें हर चुनाव लड़ना होता है.

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