शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी आज इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म कबूल करेंगे। डासना मंदिर में पुजारी यति नरसिंहानंद गिरि महाराज उन्हें सनातन धर्म ग्रहण करवाएंगे। डासना मंदिर में पूरे रीति-रिवाज से रिजवी को हिंदू धर्म ग्रहण कराने की तैयारी हैै। इस बीच वसीम रिजवी ने कहा है कि धर्मपरिवर्तन के बाद नरसिंहानंद गिरि महराज ही उनका नया नाम तय करेंगे।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही वसीम रिजवी ने अपनी वसीयत जारी की थी। इस वसीयत में उन्होंने ऐलान किया था कि मरने के बाद उन्हें दफन करने की बजाए हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया जाए। उन्होंने यह भी कहा था कि यति नरसिम्हानंद उनकी चिता को आग दें। इस वसीयत के बाद वसीम रिजवी का एक वीडियो भी सामने आया था जिसमें उन्होंने खुद की हत्या की साजिश की आशंका जताई थी।
उन्होंने कहा था कि उनकी गर्दन काटने की साजिश रची जा रही है। वसीम रिजवी ने कहा था कि उनका गुनाह सिर्फ इतना है कि उन्होंने कुरान की 26 आयतों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने कहा कि कुछ लोग मुझे मारना चाहते थे और घोषणा की थी मुझे किसी कब्रिस्तान में जगह नहीं दी जाएगी। इसी वजह से उन्होंने हिंदू रीति रिवाज से खुद के अंतिम संस्कार की वसीयत की है।
कट्टरपंथियों के निशाने पर रहे हैं रिजवी
शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन रह चुके वसीम रिजवी काफी समय से कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं। वे कट्टरपंथ के खिलाफ लंबे समय से खुलकर आवाज उठाते रहे हैं। कई बार उन्हें जान से मारने की धमकियां मिल चुकी हैं। कुछ समय पहले वसीम रिजवी ने कुरान के कथित रूप से विवादित आयतों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट को याचिका दाखिल की थी। उनकी याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी थी। साथ ही उन पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था।
कौन है यति नरसिम्हानंद
गाजियाबाद के शिव शक्ति धाम डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती अक्सर अपने विवादास्पद बयानों की वजह से सुर्खियों में रहते हैं। बताया जाता है कि उन्होंने रूस में पढ़ाई की है और मॉस्को व लंदन समेत कई जगहों पर काम भी किया है। वह ‘हिन्दू स्वाभिमान’ नामक संस्था भी चलाते हैं। उन्होंने हिन्दू युवाओं और बच्चों को आत्मरक्षा के प्रशिक्षण के लिए ‘धर्म सेना’ का गठन भी किया था। कुछ महीने पहले वह डासना मंदिर में लड़के की पिटाई का वीडियो वायरल होने के बाद चर्चा में आए थे। इस साल तीन अप्रैल को एक प्रेस वार्ता के दौरान यति नरसिंहानंद सरस्वती ने कथित रूप से एक आपत्तिजनक टिप्पणी की थी जिस पर मुस्लिम समुदाय के धर्मगुरु नाराज हो गए थे। तब मुस्लिम धर्मगुरुओं ने यती नरसिंहानंद सरस्वती के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।