- अब विध्वंस पर आएगा फैसला
- सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर दे दिया है फैसला
- लेकिन विवादित ढांचा विध्वंस में फैसला आना बाकी
- कई बड़े नेता हैं नामजद अज्ञात कारसेवको पर भी मुकदमा
- 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने गिरा दिया था ढांचा
अयोध्या विवाद में पक्षों की चल रह आदलती लड़ाई पर फैसला आ गया है .. विवादित जमीन रामलला को सौंप दी गई है और मुस्लिम पक्षकारो को अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन दिए जाने का आदेश सरकरा को दिया है .. लेकिन इस मुद्दे से जुड़ा अभी एक और विवाद कोर्ट के सामने विचाराधीन है जो अयोध्या में विवादित जमीन पर बनी स्ट्रक्चर के विध्वंस क लेकर है .. 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों की एक बड़ी भीड़ में विवादति ढांचा गिरा दिया था जिसपर पहला मुकदमा क्राइम संख्या 197/92 दायर हुआ था .. कारसेवकों के विध्वसं के बाद इसकी सुनवाई भी कोर्ट मे चल रही है ..विध्वंस के बाद उसी दिन शाम को ही पुलिस ने एफआईआर दर्ज करन के बाद कानूनी प्रक्रिया की पहल कर दी थी और आज 27 साल बाद भी सभी को उस पर फैसले का इंतजार है ..उस वक्त बड़े बड़े नेता कानूनी शिकंज में आ गए थे .. जिनमें शिवसेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे और विहिप अध्यक्ष अशोक सिंहल का देहांत हो चुका है ..
6 दिसंबर 1992 को जब शाम के वक्त विवादित ढांचा गिराया तब विवादित ढांचा विध्वंस का पहला मुकदमा क्राइम नंबर 197/92 कायम हुआ था. उस वक्त के थानाध्यक्ष प्रियमवदा नाथ शुक्ला की ओर से लाखों अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई… डकैती, धार्मिक स्थल को क्षति पहुंचाने, धार्मिक सौहार्द बिगाडऩे समेत आठ धाराओं में रिपोर्ट लिखी गई.. ठीक दस मिनट बाद इसी थाने में तत्कालीन चौकी प्रभारी गंगा प्रसाद तिवारी ने दूसरा मुकदमा क्राइम नंबर 198/92.. दर्ज कराया था, जिसमें अशोक सिंघल, मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेता गिरिराज किशोर, भाजपा के पूर्व अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी व मुरली मनोहर जोशी, विहिप के नेता विष्णु हरि डालमिया, भाजपा सांसद विनय कटियार, उमा भारती व साध्वी ऋतंधरा को नामजद किया गया था..
इसी थाने में मीडिया कर्मियों ने भी अलग 47 मुकदमें दर्ज कराए थे .. इस तरह थाना रामजन्म भूमि में 49 मुकदमों दर्ज हैं.. 13 दिसंबर को केंद्र सरकार ने रामजन्म भूमि थाने में दर्ज पहली एफआइआर की सीबीआइ जांच की मंजूरी दे दी थी.. इसके बाद सीबीआइ ने पूरे प्रकरण में कुल 49 केस दर्ज कर अपनी पड़ताल को सिलसिलेवार आगे बढ़ाया..इसके केस झांसी और लखनऊ में चले लेकिन वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि विवादित ढांचा विध्वंस प्रकरण से जुड़े सभी केसों का ट्रायल लखनऊ में ‘स्पेशल जज अयोध्या प्रकरण’ की कोर्ट में ही चलाया जाये। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दो साल की समयावधि तय करते हुए यह भी कहा था कि मामले के निस्तारण तक स्पेशल जज अयोध्या प्रकरण का तबादला न किया जाए। प्रकरण की दिन-प्रतिदिन सुनवाई हो रही है। अब तक करीब 347 गवाहों की गवाही हो चुकी है। जल्द इस केस का फैसला आने की भी उम्मीद है….