Afzal Ansari के मामले में Mayawati की चुप्पी… सपा और बीजेपी के लिए क्यों बन रही है खतरे की घंटी ?
अफजाल अंसारी के मामले में मायावती की चुप्पी… सपा और बीजेपी के लिए क्यों बन रही है खतरे की घंटी ?
मायावती के सियासत में आया मुस्लिमों पर दांव… मुस्लिम समाज पर पड़ रहा है प्रभाव !
मुस्लिम कार्ड पर जोरशोर से बीएसपी कायम… मायावती के अफजाल अंसारी मामले पर कुछ नहीं बोलने की सामने आई बड़ी वजह ?
यूपी नगर निकाय चुनाव में बीएसपी प्रमुख मायावती अपने मुस्लिम कार्ड पर दमदारी से कायम है… एक तरफ मायावती मुसलमानों को ज्यादा टिकट दे रही है… साथ ही अपने सियासी विरोधियों पर निशाना साध भी रही है… लेकिन अपने सांसद अफजाल अंसारी की सजा पर अबतक उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की… तो ऐसा क्यों किया… अगर वजह जानेंगे तो हैरान हो जाएंगे… हालांकि बीएसपी सांसद दानिश अली ने अफजाल की सजा को लेकर बीजेपी पर निशाना साधते हुए इसे ‘मुस्लिम मुक्त विधायिका योजना’ करार दिया है…लेकिन इन सबके बीच फिर से वही सवाल है… कि अब तक मायावती ने कुछ क्यों नहीं कहा…. चलिए इसे सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं…
दरअसल यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के बाद से ही बीएसपी मुसलमानों को अपने पाले में लाने के लिए पूरा प्रयास कर रही है… उसका प्रयास है… कि विधानसभा चुनाव से छिटका मुसलमान वोट किसी तरह 2024 तक उसकी तरफ आ जाए… नगर निकाय चुनाव में मुसलमानों को ज्यादा टिकट देना बसपा की इसी रणनीति का हिस्सा है… कुल 17 नगर निगमों में 11 में बसपा ने मुसलमान प्रत्याशी उतारे हैं… अब मायावती अपने इस फैसले को भुनाने की कोशिश में हैं… उन्होंने ट्वीट कर लिखा..
17 नगर निगमों में मेयर पद के लिए हो रहे चुनाव में बीएसपी की ओर से मुस्लिम समाज को भी उचित भागीदारी देने को लेकर यहां राजनीति गरमाई हुई है… इससे खासकर जातिवादी और साम्प्रदायिक पार्टियों की नींद उड़ी हुई है.. ‘बीएसपी सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ की नीति व सिद्धांत पर चलने वाली आम्बेडकरवादी पार्टी है। उसी आधार पर यूपी में चार बार अपनी सरकार चलाई… मुस्लिम और अन्य समाज को भी हमेशा उचित प्रतिनिधित्व दिया… अत: लोगों से अपने हित पर ज्यादा व विरोधियों के षड्यंत्र पर ध्यान न देने की अपील है…
बसपा प्रमुख मायावती के इस बयान से साफ है कि वो नगर निकाय चुनाव में मुस्लिम कार्ड को खुलकर खेलने के मूड में हैं… यही वजह है कि अफजाल अंसारी को सजा हो जाने के बावजूद वह मौन हैं… इससे भी यही इशारा दिया है कि भले ही उनकी सांसदी चली जाए लेकिन पार्टी फिलहाल कोई कार्रवाई करने नहीं जा रही… यहां तक कि बीएसपी सांसद दानिश अली ने तो अफजाल के मुद्दे पर भाजपा सरकार को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है…उन्होंने ट्वीट किया… लिखा…
विपक्ष मुक्त भारत और मुस्लिम मुक्त विधायिका’ योजना के तहत शीघ्र ही अब अफज़ाल अंसारी की सदस्यता छीन ली जाएगी लेकिन सत्ताधारी पार्टी के सांसदों और विधायकों के मुकदमे सदियों तक चलते रहेंगे… न किसी को सजा होगी और न किसी की सदस्यता छीनी जाएगी। ये है ‘नये भारत’ का नया दस्तूर…
इससे पहले अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता के मुद्दे पर भी मायावती लंबे समय तक मौन रहीं… अंत में जब नामांकन शुरू हो गया और लगा कि वह अब चुनाव नहीं लड़ सकतीं तब मायावती ने कहा कि उनको टिकट नहीं दिया जाएगा… पार्टी से अब भी नहीं निकाला। कुल मिलाकर बसपा का मुस्लिम कार्ड लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी है… यदि नगर निकाय चुनाव में कुछ भी मुस्लिम उनके साथ आ जाते हैं तो इसका लाभ लोकसभा चुनाव में मिलेगा… ऐसे में सवाल है कि मायावती के इस कदम से मुस्लिम समाज के बीच क्या संदेश जा रहा है.. मायावती की ओर से उठाए जा रहे इस कदम को किस तरह से लिया जा रहा है…