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Akhilesh Yadav किन्हे कह रहे ‘आपसी गुटबाजी’ खत्म करना होगा

अखिलेश को बार बार क्यों कह रहे हैं… 24 की लड़ाई जीतना है… तो गुटबाजी खत्म करना होगा
अखिलेश जहां भी जा रहे हैं… वही कह रहे हैं… सपा में गुटबाजी को खत्म करना जरूरी है
सपा के अंदर कौन कौन हैं गुटबाज… जिसपर अखिलेश को है अंदेशा… दे रहे उन्हें संदेश

Akhilesh Yadav किन्हे कह रहे 'आपसी गुटबाजी' खत्म करना होगा | The Rajneeti



करीब करीब 15 दिनों से सपा मुखिया अखिलेश यादव एक ही बात कार्यकर्ता के सामने कह रहे हैं… 2024 लोकसभा चुनाव जीतना है… तो गुटबाजी को खत्म करना होगा… अब बहुतों को ये बात समझ नहीं आई… कार्यकर्ताओं के बीच क्या गुटबाजी… गुटबाजी करने के लिए तो कद होना चाहिए… अनुभव होना चाहिए… नेताओं की पहुंच सीधे सीधे मुखिया तक होनी चाहिए…. जिसके आधार पर उसके साथ कार्यकर्ताओं की फौज चले… शायद सपा में मौजूद उन्ही बड़े नेताओं को अखिलेश कह रहे हैं… आपसी गुटबाजी खत्म कर लीजिए…. तो वो नेता को कौन हो सकते हैं… जिसकी वजह से अखिलेश को लग रहा उनकी गुटबाजी का खामियाजा कही 2024 में सपा को उठाना ना पड़ जाए…
इसलिए सियासी मोर्चे पर बाहरी लड़ाई लड़ने से पहले सपा मुखिया अखिलेश यादव पार्टी और संगठन में आंतरिक लड़ाई को खत्म करने में जुटे हैं..15 जून को पार्टी कार्यालय पर आयोजित बैठक में अखिलेश ने साफ कहा कि
सपा में अब आपसी गुटबंदी नहीं चलेगी… समाजवादी कार्यकर्ता इस बार चूक न करें… बूथ स्तर पर लोकतंत्र को बचाना है… लोकसभा चुनाव बहुत ही गंभीरता से लड़ना और जीतना है
अखिलेश की कही बात में जिक्र आपसी गुटबाजी… अब ये आपसी गुटबाजी कौन अंजाम दे रहे हैं… क्या शिवपाल यादव के समर्थक नेता हैं… क्या रामगोपाल के समर्थक नेता हैं… मनोज पाण्डेय, आजम खान, स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे कद्दावर नेताओं के समर्थक नेता और कार्यकर्ता हैं… कोई ना कोई तो जरूर है… जिसकी वजह से अखिलेश को कहना पड़ रहा है… आपसी गुटबाजी ना करें… अखिलेश ने कहा कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव बहुत महत्वपूर्ण हैं…ये चुनाव आने वाली पीढ़ी और देश का भविष्य भी तय करने वाले साबित होंगे…सपा यूपी में भाजपा को पराजित कर जनता की उम्मीदों को पूरा करेगी… हमारे पास भविष्य का विजन और विकास का मॉडल है… जनता सपा पर ही उसके सपनों को पूरा करने की क्षमता पर भरोसा रखती है…
एकजुटता, निष्ठा और ईमानदारी से बूथ मजबूत करने के लिए अखिलेश एक बार नहीं कई बार अपील कर चुके हैं… बार बार कह रहे हैं… ऐसी चूक इस बार लोकसभा चुनाव में नहीं होनी चाहिए… इसके लिए 2022 विधानसभा चुनाव का हवाला दे रहे हैं… वो कह रहे हैं… 2022 के विधानसभा चुनाव में जनता सपा की सरकार बनाना चाहती थी, लेकिन भाजपा ने सत्ता के दुरुपयोग, झूठ, छल और बल से परिणाम को प्रभावित किया… इस बार ऐसा न होने पाए, इसके लिए जमीन पर पूरी मेहनत से जुटें…सपा सरकार में विकास के जो मानक तय किए थे, वही ‘समाजवादी मॉडल’ है, जिससे लोक कल्याणकारी राज्य का निर्माण होता है…
गुटबंदी दूर करने की नसीहत को नीचे तक पहुंचाने के लिए अखिलेश खुद भी समन्वय और समायोजन की राह पर हैं… मैनपुरी उपचुनाव के समय परिवार में उपजी एकता को आगे बढ़ाने पर ध्यान है, इसलिए शिवपाल यादव को भी ठीक से अहमियत दी जा रही है, जिससे नीचे तक समर्थकों में सब कुछ ठीक होने का संदेश जाए… मंचों और कार्यक्रमों में मौजूदगी के साथ ही संगठन में भागीदारी की राह भी खुल रही है… मेरठ में शिवपाल के करीबी विपिन चौधरी को अखिलेश ने जिलाध्यक्ष बनाया है… विपिन शिवपाल के साथ उनकी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी में चले गए थे और तीन साल तक प्रसपा के मेरठ जिलाध्यक्ष भी रहे। अब विपिन सपा के कोर संगठन की कमान संभालेंगे… अखिलेश ने निकाय चुनाव के पहले जयवीर सिंह को मेरठ का जिलाध्यक्ष बनाया था, लेकिन उन्होंने सपा को झटका देते हुए भाजपा का दामन थाम लिया

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