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Akhilesh Yadav ने BJP को 2024 में इस तरह से निपटाने का बनाया प्लान !

Akhilesh Yadav ने BJP को 2024 में इस तरह से निपटाने का बनाया प्लान !… थर्ड फ्रंट से ऊपर की बात सोच रहे हैं अखिलेश … बीजेपी में मची हलचल !

Akhilesh Yadav ने BJP को 2024 में इस तरह से निपटाने का बनाया प्लान ! | The Rajneeti

अखिलेश की राजनीति का अबतक का सबसे बड़ा प्रण… बीजेपी को 2024 में इस तरह से निपटाने का बनाया प्लान !
अभी अखिलेश की राजनीति जैसी दिख रही है… वो उससे कही ज्यादा दूर की राजनीति है !
अखिलेश की इस रणनीति से बीजेपी आलाकमान में हलचल है… मोदी, शाह, नड्डा जैसे दिग्गज को हरी इस प्लान से सिरदर्दी !

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी को यूपी की सभी 80 सीट पर हराने की बात कहकर माहौल गरमा दिया है…. वहीं एक ऐलान कांग्रेस को लेकर किया है. जिससे साफ हो गया है कि जो मोर्चा अखिलेश यादव और ममता बनर्जी बना रहे हैं उसमें कांग्रेस नहीं होगी… ऐसे में ये कैसे थर्ड फ्रंट होगा…ये हम क्यों कह रहे हैं… इस रिपोर्ट को आखिर तक देखिए… सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव 2024 लोकसभा चुनाव के लिए इस अंदाज में राजनीति कर रहे हैं… उनके समर्थक तो ये दावा कर रहे हैं… 2024 में अखिलेश बीजेपी को पूरी तरह से निपटा देंगे… बीजेपी को ना सिर्फ यूपी बल्कि यूपी बाहर कई राज्यों में बीजेपी का पत्ता साफ हो जाएगा…क्योंकि अखिलेश एक ऐसे फ्रंट की बात कह रहे हैं… जो अदृश्य है… लेकिन बीजेपी की सियासत के लिए हानिकारक है… 2024 से पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव एक ऐसे फ्रंट की बात कर रहे हैं… जो केन्द्र की सत्तारुढ़ पार्टी बीजेपी से बेहतर तरीके से लड़ सके… इसके लिए अखिलेश ने कोलकाता दो अहम बाते कही… कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को अपनी-अपनी भूमिका तय करने का संदेश दिया… अखिलेश ने तेलंगाना के सीएम केसीआर, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के प्रयासों का जिक्र किया… अखिलेश ने डंके की चोट पर कहा कि यूपी में बीजेपी को सभी 80 सीटों पर शिकस्ता का सामना करना पड़ेगा. अब सवाल है कि जब कांग्रेस नहीं थर्ड फ्रंट कैसे अस्तित्व में आएगा… सवाल ये भी उठ रहा है कि आखिर कौन से फ्रंट की अखिलेश यादव बात कर रहे हैं?

अब अखिलेश जो इशारा कर रहे हैं… उसे समझने के लिए सियासत की सीमाओं से खुद को बाहर ले जाना पड़ेगा… सियासी गलियारे में थर्ड फ्रंट की बात है… लेकिन अखिलेश ने तो थर्ड फ्रंट की बात नहीं कही… थर्ड फ्रंट क्या है… इसका मतलब है… नॉन BJP और नॉन कांग्रेस मिलाकर तीसरा मोर्चा…लेकिन इस तीसरे मोर्चे के लिए एक ऐसी पार्टी का केन्द्र की धुरी से होना जरूरी है, जिसका पैन इंडिया प्रजेंस हो, जैसा जनता दल हुआ करता था…. जनता दल का नेशनल लेवल पर वोट एक नेशनल प्रोस्पेक्टिव में रीजिनल पार्टियों के साथ म्युचुअली ट्रांसफर होता था…. यानी, रीजिनल पार्टियों का वोट नेशनल पार्टी जनता दल को जाता था… जनता दल का वोट रिजीनल पार्टियों को ट्रांसफर होता था… इसलिए नॉन बीजेपी और नॉन कांग्रेस बोलकर एक तीसरा मोर्चा अस्तित्व में था. आज कोई भी ऐसा राष्ट्रीय पार्टी नहीं है, जिसके इर्द-गिर्द क्षेत्रीय पार्टियां इकट्ठी हो पाए.

अब नीतीश, ममता बनर्जी, केसीआर में इतनी क्षमता नहीं है… कि वो एक भी सीट सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को यूपी में जीता दे… यही बात अखिलेश पर भी लागू होती है…ऐसे में इन दलों का गठबंधन कैसे तीसरा मोर्चा का स्वरूप ले सकता है? ये बातें सिर्फ अटकलबाजी है.

अब अखिलेश की ओर से फ्रंट वाली सियासत का मतलब समझिए… दरअसल, अखिलेश यादव ये चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश में उनका बेहतर परफॉर्मेंस कैसे हो सकता है… वो बीजेपी को कैसे रोकेंगे? इसके लिए चुनाव के बाद राष्ट्रीय स्तर पर क्षेत्रीय पार्टियों के सहयोग से एक अलग विकल्प हो… ये संदेश देना और कांग्रेस जैसी पार्टियों से उम्मीद करना कि ये उनकी मदद कर दे… ताकि इनका परफॉर्मेंस सुधरे, बिना चुनाव पूर्व गठबंधन किए हुए… अखिलेश यादव के कहने का सही मायने में यही मतलब है…. वो कांग्रेस से त्याग की उम्मीद कर रहे हैं…. कोई तीसरा मोर्चा नहीं है…. अगर तीसरा मोर्चा होगा तो फिर ये कांग्रेस से क्यों उम्मीद करेंगे या फिर बीजेपी से ही क्यों उम्मीद करेंगे…

निश्चित तौर पर अखिलेश जिस गठबंधन की बात कर रहे हैं, वो चुनाव लड़ने के लिहाज से बिल्कुल भी फ्रूटफुल नहीं है…. ये चुनाव के बाद सरकार बनाने के लिहाज से ये गठबंधन महत्वपूर्ण होगा…. चुनाव लड़ने और जीतने के लिए आपको राष्ट्रीय पार्टी इर्द-गिर्द म्युचुअली वोट ट्रांसफर जहां पर हों… वहां गठबंधन अगर करेंगे तो कुछ नतीजा वहां पर निकल पाएगा…. ममता बनर्जी, अखिलेश यादव या फिर टीआरएस हो, या अपने अलावा किसी अन्य पार्टी को चुनाव नहीं जीतवा सकती है… ऐसे में इनका किसी और के साथ गठबंधन के कोई मायने नहीं है…. 2024 चुनाव के नतीजे के बाद इसकी वैल्यू होगी… वो भी तब जब ये परफॉर्म करेंगे और परफॉर्म तब करेंगे जब कांग्रेस जैसी कोई भी राष्ट्रीय पार्टी म्युचुअल तरीके से वोटों को हस्तांतरित करके अपनी सीटें बढ़ा सके…
कांग्रेस ने वास्तविक स्तर पर बिहार और महाराष्ट्र जो दो बड़े राज्य हैं, वहां पर बीजेपी को शिकस्त देने के लिए गठबंधन कारगर होगा… इस चीज को वो समझ चुकी है… उसी हिसाब से कांग्रेस वहां पर रणनीति बना चुकी है… यूपी में अखिलेश यादव कांग्रेस से दूरी बना रहे हैं, चूंकि उनका अनुभव कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का अच्छा नहीं रहा था…कांग्रेस चाहती है कि उनके साथ गठबंधन हो. लेकिन अखिलेश के लिए ये बेहतर नहीं है क्योंकि उनको लगता है कि कांग्रेस का वोट उनको नहीं मिल पाता है… उल्टा कांग्रेस का वोट छिटककर बीजेपी के पास चला जाता है… लेकिन, आपस में संबंध राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में सहयोग की संभावना और एक दूसरे से नजदीकी कांग्रेस के साथ उनकी है…दोनों के संबंध खराब नहीं है…साफ है अखिलेश चुनाव से पहले और चुनाव के बाद दोनों स्थिति के आधार रणनीति बना रहे हैं… और अखिलेश की यही बात बीजेपी की राजनीति के लिए खतरे वाली है… इसलिए तो कहने वाले कह रहे हैं… अखिलेश बीजेपी को 2024 में निपटाकर ही छोड़ेंगे…

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