अखिलेश का एक और बड़ा सियासी दांव… अब मुस्लिमों के साथ हिंदुओं का भी मिलेगा बंपर वोट !

यूपी में निकाय चुनाव की तारीख घोषित हो रही थी घोषणा… उधर अखिलेश ने अपनी सियासत चल दी बड़ी चाल
अखिलेश के इस दांव से हिंदू-मुस्लिम एकता को मिलेगा बढ़ावा… सभी ये कहेंगे… देश इसी तरह से चलना चाहिए…
अखिलेश के इस अंदाज से बीजेपी हैरान… सोच में पड़ गई… अखिलेश ने ऐसा क्यों किया ?

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुस्लिम धर्म के मानने वालों को संदेश दे दिया… हम आपके हैं… आपके साथ देते रहेंगे… अखिलेश ने हिंदू धर्म के मानने वालों को बता दिया है… वो जिस धर्म से वास्ता रखते हैं… वही हैं… हम वो कर रहे हैं… जो हम सब करते आए थे… जनता ऐसे ही करती थी… पहले नेता ऐसा ही करते थे… हिंदू मुस्लिम अपने अपने धर्म का सम्मान करते हुए इसी तरह से संदेश देते थे… लेकिन अब भूल गए हैं… कौमी एकता को याद दिलाने के लिए हम संकेत के साथ आपके सामने पेश हैं… अखिलेश यादव ने जो संदेश दिया है… उससे तो ऐसा ही लगता है… ये खालिश समाजवादी सिद्धांत पर बेस्ड रोजा इफ्तार पार्टी है… जिसका फायदा अब बीजेपी ये साबित करने में नहीं कर पायी… अखिलेश सिर्फ एक धर्म विशेष लोगों के समर्थक हैं… इसलिए तो बीजेपी में रणनीतिकारों के बीच हलचल हैं… वो अखिलेश की इस रणनीति की काट में जुटे हुए हैं… लगे पड़े हैं…. तो अखिलेश ने क्या संदेश दिया… उसे बताएंगे…. बस 2 मिनट इस रिपोर्ट को देखिए पूरी बात समझ जाएंगे…
दरअसल निकाय चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही चुनावी सरगर्मियां बढ़ गई हैं…सभी पार्टियां जीत के लिए राजनीति के अहम हथियार साम दाम दंड भेद जो भी रणनीतियां बन सकती है… उसे बना रही है… उसपर अमल कर रही है… क्योंकि यूपी में होने वाले निकाय चुनाव को 2024 का सेमीफाइनल माना जा रहा है… ऐसे में सपा भी अपने एमवाई समीकरण को और मजबूत करने में लगी है… लेकिन कौमी एकता के साथ… निकाय चुनाव की तारीखों के एलान से ठीक पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव रोजा इफ्तार पार्टी में पहुंच गए… सपा नेता मोहम्मद यामीन के घर पर ये रोजा इफ्तार रखा गया था… जहां अखिलेश यादव के साथ साथ मौलाना खालिद रशीद और फजली मन्नान समेत कई मुस्लिम धर्मगुरू भी शामिल थे…तो वही सपा के कई और नेता भी…
इस रोजा इफ्तार की तस्वीरें सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने खुद अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किया…उन्होंने इन तस्वीरों को पोस्ट करते हुए लिखा… आज इफ्तार के दौरान लखनऊ में… आपको बता दें कि 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में मुसलमानों ने दिल खोलकर सपा को सपोर्ट किया था…सपा को उम्मीद से कई गुना ज्यादा मुस्लिम वोट मिले थे…लेकिन उसके बाद मुस्लिम मुद्दों पर ना बोलने समेत कई आरोप अखिलेश पर लगने लगे…कहा तो ये भी जाने लगा कि मुसलमान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से रुठ गया है…यहां तक कि सपा के मुस्लिम नेताओं में नाराजगी की खबरे आने लगी… हालांकि बीच बीच में अखिलेश यादव ने मुस्लिम वोटर्स को बड़ा संदेश देने की कोशिशे भी की…बजट सत्र के दौरान अखिलेश अपने मुस्लिम विधायकों के साथ शेरवानी पहनकर विधानसभा पहुंच गए… जिसकी काफी चर्चा भी हुई थी…एक ओर इसे आजम खान से जोड़कर देखा गया…दूसरी ओर इसे भगवा बनाम शेरवानी का भी नाम दिया गया…
लेकिन इन सबके बीच सबकी निगाहे इस बात पर भी है… क्या अखिलेश यादव सिर्फ रोजा इफ्तार पार्टी में जाएंगे…या खुद भी रोजा इफ्तार की मेजबानी करेंगे… फिलहाल सपा की इफ्तार पार्टी कब होगी? … इसे लेकर सपा से जुड़े मुस्लिम समाज के लोगों में उत्सुकता है, क्योंकि वर्षों से सपा भव्य पैमाने पर इफ्तार पार्टी का आयोजन करती रही है… लेकिन बदले राजनीतिक माहौल में सपा मुखिया अखिलेश यादव इफ्तार के आयोजनों में जा तो रहे हैं… उनकी तरफ से इफ्तार का आयोजन कब होगा? इसके लेकर उन्होंने ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है. इस वजह से तरह-तरह की राजनीतिक अटकलें लगाई जाने लगी हैं?… सवाल पूछा जा रहा है कि क्या अखिलेश समाजवादी पार्टी पर लगे मुस्लिम-यादव पार्टी होने के ठप्पा को खत्म करना चाहते हैं….अब फिर से इन चुनावी मौसम में अखिलेश यादव की इन रोजा इफ्तार की तस्वीरों पर खूब चर्चा है… क्योंकि एक और निकाय चुनाव की तारीखों का एलान हो चुका है…तो दूसरी ओर उपचुनाव भी है… हालांकि रामपुर की स्वार टांडा की सीट उपचुनाव को लेकर अभी पेंच फंसा हुआ है…लेकिन किसी भी सूरत में अखिलेश यादव इन चुनाव में साइकिल को सरपट दौड़ाना चाहते हैं…क्योंकि यहां से ही निकलेगा 2024 के लिए बड़ा सियासी संदेश…अखिलेश इस वक्त ना सिर्फ यादव-मुस्लिम समीकरण को और मजबूत करने में लगे हैं…बल्कि वो गैर यादव पिछड़े वर्ग की सियासत को धार दे रहे हैं…वही कांशीराम के सहारे अखिलेश यादव दलित समाज का वोट भी अपनी ओर मोड़ने में लगे हैं… अब रोजा इफ्तार पार्टी में जाकर अखिलेश यादव ने मुस्लिम और यादवों को संदेश दिया ही… इसके साथ गैर यादव ओबीसी के सामने अपनी बात रख दी… तस्वीर देख लीजिए… अखिलेश के सिर पर समाजवादी टोपी है… तो इसके क्या मायने निकलते हैं… क्या संदेश सामने आ रहे हैं… संदेश तो यही लग रहा है… अखिलेश मुस्लिम धर्म के मानने वाले लोगों को कह रहे हैं… वो उनके साथ हैं… और संदेश ये भी दिख रहा है… वो हिंदुओं को बता रहे हैं… उन्हें सनातन धर्म पर आस्था है… बहरहाल अब अखिलेश की रोजा इफ्तार की तस्वीरों पर अलग अलग तरह की प्रतिक्रिया भी रही है…कोई अखिलेश की तरीफ कर रहा है…उन्हें सेक्युलर बता रहा है…तो कोई उनपर तंज कंस रहा है… आपको क्या लगता हैं… अखिलेश के इस अंदाज से सियासी गलियारे से होता हुआ जनता के बीच क्या संदेश गया…