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Akhilesh Yadav ने निकाय चुनाव में BJP को मात देने के लिए बनाया धाकड़ प्लान

Akhilesh Yadav ने निकाय चुनाव में BJP को मात देने के लिए बनाया धाकड़ प्लान… Shivpal Yadav ने ली एक बड़ी जिम्मेदारी…

Akhilesh Yadav ने निकाय चुनाव में BJP को मात देने के लिए बनाया धाकड़ प्लान | The Rajneeti

निकाय चुनाव अब बीजेपी के लिए पहले जैसा आसान नहीं रहने वाला… क्योंकि भतीजे के साथ चाचा है !
बीजेपी को घेरने के लिए आक्रमक मूड में अखिलेश… शिवपाल तो बीजेपी के पीछे पड़ गए !
शिवपाल को अखिलेश से मिला टारगेट… 2024 पहले 2023 में बीजेपी की राजनीति पर शिवपाल करने वाले अबतक का सबसे बड़ा अटैक !

निकाय चुनाव अब बीजेपी के लिए पहले जैसा आसान नहीं रहने वाला है… सपा ने इस बार कमर कस ली… इस बार अखिलेश के साथ चाचा शिवपाल यादव है… जिन्हें राजनीति का एक ऐसा खिलाड़ी माना जाता है… जिसकी रणनीति से बीजेपी के चाणक्य अमित शाह से लेकर मायवती हर किसी को डर लगता है… जिसने अगर चाल दी… समझ जाईए सियासी खेल तो विरोधियों के साथ होना तय है… मैनपुरी में बीजेपी के साथ क्या खेल हुआ… ये प्रत्यक्ष में प्रमाण की तरह हर किसी के सामने हैं… इसलिए तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इस बार निकाय चुनाव में बीजेपी से सीधा टक्कर लाने के इरादे से… अपने चाचा शिवपाल यादव की राजनीतिक समझ को बड़ा सम्मान देते हुए उन्हें एक बड़ी जिम्मेदारी दी है… जैसा काम बीजेपी किया करती है… वैसा ही अब शिवपाल करेंगे… जिस इरादे से बीजेपी में मैदान में उतरती है… उसी इरादे से शिवपाल यादव मैदान में अब उतरेंगे…. बीजेपी के टारगेट को तोड़ने के लिए अखिलेश ने शिवपाल को राजनीति के फ्रंट पर लाकर खड़ा कर दिया…

2017 के निकाय चुनाव में 16 में से 14 सीटों पर भाजपा मेयर चुने गए थे… बीजेपी इस बार भी अपने इस ट्रैक रिकॉर्ड को कायम रखना चाहती है… इसलिए, 9 केंद्रीय मंत्रियों और 30 से ज्यादा कैबिनेट और राज्य मंत्रियों को निकाय चुनाव का जिम्मा दिया गया… संगठन और सरकार में कहीं भी किसी भी तरह का गैप न आए, इसलिए एक-एक जिले की जिम्मेदारी दो मंत्रियों को दी गई है… पहला-प्रभारी मंत्री, जिसे सरकार ने नियुक्त किया है… दूसरा मंत्री जिसे संगठन ने नियुक्त किया है…भूपेंद्र चौधरी के अध्यक्ष बनने के बाद ये पहला चुनाव है… भूपेंद्र चौधरी का दावा है कि निकाय चुनाव में सभी 17 मेयर भाजपा के जीतेंगे… सपा, बसपा और कांग्रेस इस चुनाव में कहीं भी भाजपा के सामने नहीं टिकेगी… वही बीएसपी को 2022 के विधानसभा में सिर्फ एक सीट मिली थी…पार्टी के कई बड़े नेता टूटकर सपा में जा चुके हैं… ऐसे में बसपा के लिए अपना कैडर बचाने की चुनौती होगी… अगर चुनाव में वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई तो फिर 2024 की राह उसके लिए बेहद मुश्किल होगी… इसलिए, खुद सुप्रीमो मायावती ने निकाय चुनाव की कमान संभाली है….

बहरहाल बीजेपी के लिए 2017 जैसा प्रदर्शन दोहरा पाना बड़ी चुनौती है…क्योंकि सपा संस्थापक मुलायम सिंह के निधन के बाद अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल एक हुए हैं… दोनों की रणनीति में ये पहला चुनाव है… दोनों नेता लगातार जिलों के दौरे कर रहे हैं… चुनाव अनाउंस के बाद अखिलेश ने प्लानिंग तेज कर दी… अखिलेश ने पार्टी के राष्ट्रीय और प्रदेश पदाधिकारियों की जिलेवार जिम्मेदारी तय की है…उन्होंने खुद लगातार जिताऊ उम्मीदवार को लेकर समीक्षा की… अपने रिस्क पर सपा के उम्मीदवारों के नाम तय करने का काम पूरा किया….अब इससे भी दो कदम आगे शिवपाल और अखिलेश आगे बढ़ गए है…

निकाय चुनाव में साथ करेंगे प्रचार चाचा शिवपाल के साथ अखिलेश
यादव मैनपुरी कन्नौज फिरोजाबाद और इटावा में करेंगे प्रचार
अखिलेश यादव और जयंत चौधरी पश्चिमी यूपी में साथ मिलकर
करेंगे प्रचार चाचा शिवपाल बीजेपी के गढ़ वाले इलाकों में संभालेंगे कमान

साफ है…. अखिलेश और शिवपाल ने अपनी सियासत की पूरी ताकत झोंक दी हैं… तो अपनी लोकप्रियता का एहसास है… इसलिए दोनों ही उन क्षेत्रों में साथ मिलकर चुनाव प्रचार करेंगे… जो सपा कभी गढ़ रहा है… लेकिन जो अब बीजेपी कब्जे में चला गया है… इनमें मैनपुरी, कन्नौज, फिरोजाबाद और इटावा हैं…. इसके साथ ही अखिलेश ने अपने चाचा शिवपाल यादव को एक और अहम जिम्मेदारी दी है… उन्हें वहां चुनाव प्रचार करने के लिए अपने विश्वास में लिया है… जो बीजेपी का गढ़ है… ये एक तरह बीजेपी को अखिलेश की ओर से खुली चुनौती है… शायद अखिलेश यादव कह रहे हो… आप हमारे गढ़ की ओर नजर गराईए… हम आपके गढ़ को अपने हाथों से छीन लेंगे… क्योंकि हमारे सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव की रणनीति है… यहीं नहीं निकाय चुनाव में मात देने के लिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पश्चिमी यूपी में इसबार आरएलडी चीफ जयंत चौधरी के साथ मिलकर प्रचार करेंगे… अब सोचेंगे… निकाय चुनाव में अखिलेश यादव और शिवपाल यादव अपनी पूरी ताकत क्यों झोंक रहे हैं…

दरअसल, निकाय चुनाव में अच्छा प्रदर्शन अखिलेश-शिवपाल के सामने चुनौती है… वजह है कि निकाय का असर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव तक दिखेगा… कार्यकर्ताओं का मनोबल बना रहेगा और सपा विपक्ष की मुख्य पार्टी बनी रहेगी… 2017 में हुए मेयर चुनाव में सपा अपना खाता भी नहीं खोल सकी थी… ऐसे में सभी नगर निगमों, जिला मुख्यालय वाली नगर पालिका परिषद के साथ प्रमुख नगर पंचायत सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए सपा ने कवायद शुरू कर दी… साल 2017 में नगर निकाय के चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत हुई थी…

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