जहां से मुलायम के गुरु राममनोहर लोहिया ने लड़ा था चुनाव… वहीं से अब अखिलेश देंगे मोदी-योगी को चुनौती
जिस सीट से बीजेपी 52 साल में सिर्फ दो बार जीती है… उसी सीट अखिलेश लड़ेंगे चुनाव
इस सीट से चुनाव लड़कर अखिलेश दे देंगे यूपी को संदेश… सपाईयों को पहले ही मिल गया है आदेश



सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने फैसला कर लिया… 2024 में उन्हें क्या करना है….तय कर लिया है… सपा को राष्ट्रीय पार्टी बनाने का अखिलेश ने प्रण लिया… उस प्रण का धार देने के लिए अखिलेश ने राष्ट्रीय स्तर पर जाकर लड़ाई लड़नी है… तो 24 की लड़ाई में हिस्सा लेना ही था… बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दल महागठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं… इस गठबंधन में यूपी से समाजवादी पार्टी भी शामिल हो सकती है… ऐसे में हर किसी की नजर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पर टिकी है… देश में सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें यूपी में ही हैं। ऐसे में खासतौर पर अखिलेश यादव की साख यहां दांव पर है…एसपी प्रत्याशियों के नाम पर भी अभी से चर्चा शुरू हो गई है…
अखिलेश यादव ने भी कन्नौज से लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला ले लिया है… इसका एलान वह खुद पिछले साल नवंबर में कर चुके हैं… आइए जानते हैं कन्नौज लोकसभा सीट का सियासी समीकरण क्या है? यहां अब तक कौन-कौन चुनाव लड़ चुका है? कितनी बार समाजवादी पार्टी और कितनी बार भाजपा को जीत मिली है? अखिलेश यादव क्यों यहां से चुनाव लड़ना चाहते हैं?
नवंबर 2022 में अखिलेश यादव मीडिया से रूबरू हो रहे थे… उस वक्त मैनपुरी लोकसभा का उपचुनाव था… अखिलेश से पूछा गया था कि कन्नौज से पहले सांसद रहीं डिंपल यादव अब मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव लड़ रहीं हैं। ऐसे में क्या आप कन्नौज से चुनाव लड़ेंगे? इसका जवाब देते हुए अखिलेश ने कहा क्यों, क्या करेंगे खाली बैठकर? हमारा तो काम ही है चुनाव लड़ना… जहां हम पहला चुनाव लड़े थे, वहां फिर से चुनाव लड़ेंगे… उन्होंने यह भी कहा कि कन्नौज उनकी कर्मभूमि है और कन्नौज के लोगों ने उन्हें तीन बार सांसद के रूप में चुना है…
‘कन्नौज समाजवादी पार्टी और खासतौर पर अखिलेश यादव के परिवार की परंपरागत सीट है… इस सीट से समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया खुद चुनाव लड़ चुके हैं… मुलायम सिंह यादव भी यहां से सांसद रह चुके हैं। अखिलेश यादव ने भी अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत इसी सीट से की थी… साल 2000 में वो यहां से पहली बार सांसद चुने गए थे… इस सीट से अखिलेश की पत्नी भी सांसद रह चुकी हैं… लेकिन 2019 में यहां से भारतीय जनता पार्टी के सुब्रत पाठक चुनाव जीत गए…अखिलेश जानते हैं कि अगर कन्नौज का गढ़ बचाना है तो उन्हें खुद इस सीट से चुनाव लड़ना पड़ेगा… अगर इस सीट पर दोबारा उनकी पार्टी चुनाव हारती है तो इसका सियासी खेमे और पब्लिक के बीच गलत संदेश जाएगा… इसका असर अन्य सीटों पर भी पड़ सकता है। ऐसे में अखिलेश हर हालत में ये सीट वापस पाना चाहते हैं… यही कारण है कि इस बार उन्होंने काफी पहले से इसके लिए एलान कर दिया है…
1967 में पहली बार ये सीट अस्तित्व में आई थी… तब समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया ने खुद यहां से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। लोहिया संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर यहां से चुनाव जीते थे… 1999 में यहां से मुलायम सिंह यादव सांसद चुने गए…साल 2000 में जब मुलायम ने ये सीट छोड़ी तो अखिलेश यादव यहां से चुनाव लड़े… अखिलेश लगातार 2000, 2004 और फिर 2009 में यहां से सांसद चुने गए… 2012 में जब अखिलेश मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपनी सीट से पत्नी डिंपल यादव को चुनाव लड़ाया… डिंपल तब यहां से पहली बार सांसद चुनी गईं… 2014 में हुए चुनाव में भी डिंपल ने ही यहां से जीत हासिल की। 2019 में मोदी लहर और भाजपा की तैयारी ने दूसरी बार सपा के गढ़ में सेंध लगाई… भाजपा उम्मीदवार सुब्रत पाठक ने डिंपल यादव को हरा दिया और सांसद चुन लिए गए… कन्नौज लोकसभा के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटें आती हैं… इनमें से चार पर अभी भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है, जबकि एक सीट ही समाजवादी पार्टी के खाते में है… छिबरामऊ से भाजपा की अर्चना पांडेय, र्तिवा से कैलाश सिंह राजपूत, कन्नौज से असिम अरूण, रसूलाबाद से पूनम शंखवार विधायक हैं। बिधुना सीट से समाजवादी पार्टी की रेखा वर्मा विधायक चुनी गईं थीं…