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Anand Mohan को रिहा करने के लिए CM Nitish Kumat बेकरार क्यों ?

Anand Mohan को रिहा करने के लिए CM Nitish Kumat बेकरार क्यों ? जेल से रिहा होने के बाद नीतीश क्या हो सकता है फायदा ?

Anand Mohan को रिहा करने के लिए CM Nitish Kumat बेकरार क्यों ? | The Rajneeti Bihar

डॉन आनंद मोहन पर नीतीश कुमार फिदा… इसलिए सियासत का रास्ता सबसे जुदा !
नीतीश कुमार, आनंद मोहन की रिहाई के लिए बेकरार… हो गया नया सियासी करार !
जबतक नीतीश ‘डॉन’ रिहा नहीं कराएंगे… तब तक चैन से नहीं बैठेंगे !
IAS की हत्या के दोषी, क्यों डॉन आनंद मोहन को जेल से छुड़ाने में लगे हैं नीतीश कुमार?

जितनी जल्दीबाजी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ने में नहीं की… जितनी जल्दबाजी नीतीश ने लालू-तेजस्वी से सियासी दोस्ती करने में नहीं की… महागठबंधन बनाने में नहीं की… उतनी जल्दबाजी आखिर एक आईएएस की हत्या के दोषी आनंदमोहन को जेल से छुड़ाने में क्यों कर रहे हैं… पूछने वाले पूछ रहे हैं… आनंद मोहन को जेल से छुड़ाने से आखिर नीतीश कुमार को क्या फायदा है… जिस वजह से वो बेचैन हैं… बेकरार है… किसी तरह से आनंद मोहन जेल से बाहर आ जाए… साल 2007 में पटना हाईकोर्ट ने आनंद मोहन को मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन बाद में उसे आजीवन कारावास की सजा में बदल दिया गया… नीतीश सरकार एक माफिया डॉन को जेल से रिहा करने के लिए इतनी हड़बड़ी में क्यों है और इसके सियासी समीकरण क्या हैं?इस रिपोर्ट को आखिर तक देखिए… पूरी तरह से समझ जाएंगे… आखिर नीतीश आनंदमोहन के लिए इतनी दरियादिली क्यों दिखा रहे हैं…

नीतीश सरकार बिहार के चर्चित माफिया डॉन आनंद मोहन को जेल से छुड़ाने की कोशिश कर रही है। इसके लिए उसने बीती 10 अप्रैल को जेल मैनुअल में बदलाव भी किया है…बिहार में जेल मैनुअल में बदलाव के मुताबिक, अब किसी सरकारी अधिकारी की हत्या में दोषी पाए गए अभियुक्त को भी उसके अच्छे आचरण के आधार पर जेल से रिहा किया जा सकता है… पहले ऐसा प्रावधान नहीं था… जिस आनंद मोहन को छुड़ाने की कोशिश में सरकार है, 29 साल पहले उसने क्या किया था… यह जानने की जरूरत है…1994 में बिहार पीपल्स पार्टी यानी BPP का नेता और उस जमाने का गैंगस्टर कहा जाने वाला छोटन शुक्ला पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था, जिसकी शव यात्रा में हजारों लोगों की भीड़ जुटी…भीड़ की अगुआई कर रहे BPP के संस्थापक आनंद मोहन ने गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैय्या को उनकी कार से बाहर निकाला और भीड़ के हवाले कर दिया… आंध्र प्रदेश के गरीब दलित परिवार में जन्मे 35 साल के IAS कृष्णैय्या को पहले पीटा गया, फिर उन पर पत्थर बरसाए गए और फिर उन्हें गोली मार दी गई… तब बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव थे…

नीतीश सरकार एक माफिया डॉन को जेल से रिहा करने के लिए इतनी हड़बड़ी में क्यों है और इसके सियासी समीकरण क्या हैं? ये तो सर्वविदित है कि बिहार की पूरी राजनीति जातियों पर ही चलती आई है… बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनावों से पहले नीतीश सरकार को राजपूत वोटों की दरकार है, जिसे वह आनंद मोहन के जरिए साधने की कोशिश में है…इस साल जनवरी में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने पटना में राजपूत सम्मेलन का आयोजन किया था… उसे अहसास हो गया है कि सिर्फ पिछड़ों के दम पर लोकसभा की पर्याप्त सीटें नहीं जीती जा सकतीं…जब तक वह बीजेपी के साथ थी, उसे अगड़ी जातियों के वोट भी मिल जाते थे… अब हालात एकदम उलट हैं… वो अगड़ों का साथ नहीं ले पाती है तो नैया डूबते देर नहीं लगेगी…बताया जाता है कि उस सम्मेलन में आनंद मोहन के समर्थकों ने उनकी रिहाई के लिए नारेबाजी की तो नीतीश कुमार ने उनसे कहा था, ‘आप उनकी चिंता न करें… मैं भी इसी कोशिश में जुटा हुआ हूं कि वह जल्द आपके बीच आएं…

बिहार में अगड़ी जातियों का कुल 12 फीसदी वोट बैंक है, जिनमें तकरीबन 4 फीसदी राजपूत हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में यही बीजेपी का सबसे मजबूत आधार रहा है… आज भी यह बीजेपी का ही वोट बैंक समझा जाता है… लोगों के लिए डॉन ही सही, लेकिन अपनी बिरादरी में आनंद मोहन की आज भी तूती बोलती है… देखने वाली बात होगी कि यह तूती वोटों में कितनी तब्दील होती है…

तोमर राजपूत बिरादरी से आने वाला आनंद मोहन एक डीएम की हत्या का ही अभियुक्त नहीं है, उस पर ढेरों और मामले भी हैं..जेल में रहते हुए ही 1996 में वह लोकसभा का चुनाव भी जीत चुका है… पुलिस रेकॉर्ड के मुताबिक, वो एक स्वतंत्रता सेनानी का बेटा है..साल 2007 में पटना हाईकोर्ट ने उसे मौत की सजा सुनाई थी… आजाद भारत के इतिहास में यह इकलौता मामला था, जिसमें किसी राजनेता को मौत की सजा सुनाई गई… हालांकि अगले साल 2008 में उसकी सजा सश्रम आजीवन कारावास में बदल दी गई…

वैसे नीतीश सरकार की इस मेहरबानी का अहसास तो बिहार के लोगों को शायद उसी दिन हो गया था, जब आनंद मोहन अपने बेटे की शादी से पहले होने वाली रस्मों को निभाने के लिए जेल से पैरोल पर बाहर आया था…इसी समारोह के दौरान जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह और आनंद मोहन की एक-दूसरे को गले लगाने और लड्डू खिलाने की तस्वीर वायरल हुई थी…

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