AtiqAhmad: तांगे वाले का बेटा कैसे बन गया जरायम की दुनिया का बादशाह।

उत्तर प्रदेश में जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह अतीक अहमद… जिसकी आंखों से कोई जज भी केस नहीं लड़ना चाहता था एक नहीं 10जजों ने अतीक अहमद का केस लड़ने से इनकार कर दिया… लेकिन कहते हैं ना पाप का घड़ा एक दिन जरूर फूटता है…

इलाहाबाद और पूर्वांचल में ठेका खनन पट्टे और जमीन माफिया के कैरक्टर का कॉकटेल बन गया अतीक अहमद… 10 अगस्त 1962 को इलाहाबाद के चकिया में एक तांगे वाले के घर बेटा पैदा हुआ जिसका नाम रखा गया था अतीक अहमद

अतीक को बचपन से पढ़ाई में…कोई रुचि नही थी… वो हाई स्कूल में फेल हो गया. उसके पिता उसके इलाहाबाद स्टेशन पर तांगा चलाते थे, लेकिन रातों रात अमीर बनने का चस्का अतीक के पिता और अतीक को किसी भी हद तक…ले जाने वाला था… 17 साल की उम्र में हत्या का आरोप लगा और इसके बाद उसका धंधा चल निकला. खूब रंगदारी वसूली जाने लगी. जिससे भी उगाही करनी होई उसे बस इतना बताया जाता… अतीक अहमद. फिरोज तांगावाले का लड़का… फिर सामने वाला खुद बखुद पैसे भेज देता…

17 साल की उम्र में जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही अतीक अहमद के खिलाफ पहला मुकदमा दर्ज हुआ और वो भी हत्या का. साल 1979 में 17 साल की उम्र में अतीक अहमद पर कत्ल का इल्जाम लगा. उसके बाद जुर्म जैसे अतीक का शग़ल बन गया और अतीक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. पढ़ाई के पन्ने तो कोरे थे लेकिन साल दर साल उनके जुर्म की किताब के पन्ने भरते जा रहे थे.

अतीक कैसे बना.. कैसे फला फूला.. ये जानना भी बेहद दिलचस्प है… कभी इलाहाबद में चांद बाबा का खौफ हुआ करता था.. जिसके सामने जाने से पुलिस भी कांपती थी… तब अतीक की उम्र यही कोई 20-22 साल की थी.. पुलिस चांद बाबा के खौफ को खत्म करना चाहती थी.. इसलिए अतीक सियासी और पुलिसिया दोनो शह मिलने लगे थे. 1986 आते आते अतीक गैंग खूंखार हो चुका था. चांद बाबा के गैंग से भी ज्यादा खूंखार.. फिर एक दिन अतीक को पुलिस उठाकर ले गई.. तब उत्तर प्रदेश में वीर बहादुर सिंह की सरकार थी.. और दिल्ली में प्रधानमंत्री थे राजीव गांधी.. एक फोन दिल्ली से आया.. और पुलिस अतीक कोघर तक छोड़कर गई.. अतीक ने चांद बाबा के गैंग को एक एक करके खत्म कर दिया.

1987 ते आते अतीक को पता चल चुका था जुर्म की दुनिया की बादशाहत बरकरार रखी है तो राजनीति की छांव में जाना ही पड़ेगा… अतीक अहमद को समझ आ चुका था कि सत्ता की ताकत क्या से क्या कर सकती है… इसलिए 1989 में पहली बार उसने इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और विधायक बन बैठा…

चांद बाबा के खात्में के बाद अतीक का खऔफ इस कदर हावी हो चुका था कि कोई उसके खिलाफ चुनाव लड़ने को राजी नहीं होता था.. अतीक 1991 और 1993 में फिर से इलाहाबाद पश्चिमी सीट से चुनाव जीत गया..

फिर या 1992… जब पुलिस ने अतीक का कच्चा चिट्ठा खोल तो आंखें फटी रह गयी… यानी 30 साल की उम्र तक अतीक के खिलाफ 44 मामले दर्ज हो चुके थे…

उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कौशाम्बी, चित्रकूट, इलाहाबाद में कई मामले दर्ज हुए… अतीक के खिलाफ सबसे ज्यादा मामले इलाहाबाद जिले में ही दर्ज हुए.
उसके जुर्म का किस्सा उत्तर प्रदेश से बाहर निकल कर बिहार चला गया… बिहार में भी अतीक के खिलाफ हत्या, अपहरण, जबरन वसूली आदि के मामले दर्ज हुए.

1996 में अतीक को समाजवादी पार्टी ने अपना कोहिनूर बना लिया… अतीक फिर चुनाव जीत गया… हर चुनाव अतीक के बाहुबल को कई गुणा बढ़ा दे रहे थे… 1999 में अतीक ने दल बदला और अपना दल में शामिल हो गया. फिर वो 5वीं बार विधायक बन गया. महंगी और लक्जरी गाड़ियों. इंपोर्टेड हथियार.. ये अतीक अहमद के सबसे बड़े शौक बन गए..

2004 में अतीक फूलपुर लोकसभा से सीट से चुनाव लड़ा और संसद पहुंच गया… फिर अपनी विधानसभा की सीट इलाहाबाद पश्चिमी से उसने अपने भाई को चुनाव मैदान में उतारा लेकिन उसका भाई चुनाव हार गया.. 4 हजार वोटों से जीतकर विकयक बने बसपा के राजू पाल को जीत मिली.. राजू कभी अतीक का दाहिना हाथ हुआ करता था… अतीक अपने भाई की हार से बौखला गया.. उसने 25 जनवरी 2005 को राजू पाल को 19 गोलियों से भून जाला… इसके बाद से ही अतीक के बुरे दिन शुरू हो गए..

2007 के विधानसभा चुनाव में अतीक का भाई इलाहाबाद पश्चिमी सीट से हार गया.. समाजवादी पार्टी ने अतीक को बाहर कर दिया.. और अतीक के खिलाफ तत्कालीन मायावती की सरकार ने ऑपरेशन अतीक शुरू किया.. अतीक गैंग के 227 लोगों की लिस्ट तैयार हुई.

1986 से 2007 तक अतीक पर एक दर्जन से ज्यादा मामले केवल गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज किए गए. 2 महीने के भीतर अतीक पर इलाहाबाद में 9, कौशांबी और चित्रकूट में एक-एक मुकदमा दर्ज हुआ. अतीक पर 20 हजार का इनाम घोषित किया गया. उसकी करोड़ों की संपत्ति सीज कर दी गई. बिल्डिंगें गिरा दी गईं. अलीना सिटी को इलीगल घोषित हुई… सब प्रॉपर्टी या तो गिरा दी गई या जब्त कर ली गई.. सांसद रहते हुए अतीक के खिलाफ पूरे देश में अलर्ट जारी हुआ… अतीक दिल्ली से गिरफ्तार हुआ और जेल में डाल दिया गया. 2012 में अतीक ने अपना दल से चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू की… उसने इलाहाबाद हाईकोर्टमें बेल के लिए अर्जी डाली.. लेकिन कोर्ट के 10 जजों ने उसका मामला सुनने से खुद को अलग कर लिया.. 11वें जज तैयार हुए और अतीक को बेल मिल गई. अतीक इलाहाबाद की पश्चिमी सीट से पूजा पाल के खिलाफ मैदान में उतरा लेकिन हार गया..

2016 में अतीक अहमद को कानपुर कैंट सीट से उम्मीदवार बनाया गया.. तो खुशी के मारे 500 लक्जरी गाड़ियों का काफिला लेकर अतीक कानपुर पहुंच गया… वो खुद 8 करोड़ की हमर गाड़ी पर सवार था.. 14 दिसंबर 2016 को अतीक और उसके गुर्गों पर इलाहाबाद की थिआट्स कॉलेज में तोड़फोड़ की…
लेकिन कहते हैं ना पाप की कहानी का अंत एक ना एक दिन जरूर आता है… 2017 में योगी सरकार आई और उसने ताबड़तोड़ अतीक के खिलाफ सभी फाइलें खुलवाई.. अतीक के खिलाफ कई मामलों में जांच सीबीआई को भी दी गई… और अतीक के लंका की बर्बादी योगी के हाथों लिख डाली गई… 2017 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जैसे ही अतीक की जमानत रद्द की… उसके दुर्दिन शुरू हो गए.. और तब से अब तक अतीक जेल में बंद है. योगी सरकार की बुरी नजर उसपर पड़ गई है… और अब उसे जेलम सड़ना पड़ेगा