भारत में मोबाइल डाटा काफी सस्ता है, भारत में मोबाइल डाटा की औसत कीमत लगभग 19 रुपये प्रति जीबी है। वहीं विश्व में मोबाइल डाटा की औसत कीमत लगभग 650 रुपये प्रति जीबी है । लेकिन अगर टेलीकॉम कंपनियों की सिफारिशों को मंजूरी मिल जाती है तो वो दिन दूर नहीं जब मोबाइल डाटा की कीमतों में 10 गुना उछाल देखने को मिल सकता है।
ऐसे में सवाल उठता है आखिर क्या वजह है जिसके कारण मोबाइल डाटा की कीमतों में वृद्धि हो सकती है । दरअसल मोबाइल सर्विस प्रोवाइर कंपनियां मोबाइल डाटा के लिए फ्लोर रेट तय करने की मांग कर रही हैं। फ्लोर रेट मोबाइल डाटा के लिए न्यूनतम मूल्य होगा। ऐसा होने पर सभी कंपनियों को न्यूनतम मूल्य पर ही अपने मोबाइल डाटा के पैक की कीमतें तय करनी होंगी ।
वोडाफोन-आइडिया जैसी कंपनियां कर्ज में डूबी हुई हैं । रिलायंस जिओ भी चाहता है कि फ्लोर रेट तय किए जाएं । आपको बता दें कि वोडाफोन ने 35 रुपये प्रति जीबी डाटा देने की मांग की है। वहीं एयरटेल ने 30 रुपये प्रति जीबी और रिलायंस जिओ ने 20 प्रति जीबी फ्लोर रेट रखने की मांग की है।
मोबाइल डाटा की कीमतों में उछाल की संभावनाएं इसीलिए भी बन रही है क्योंकि नीति आयोग के मुखिया अमिताभ कांत ने भी मोबाइल डाटा के लिए फ्लोर रेट तय करने की मांग की है। अमिताभ कांत ने कहा है कि भारत का टेलीकॉम सेक्टर कर्ज में डूबा है। इससे उबरने के लिए ही अमिताभ कांत ने समर्थन का फैसला किया है। आपको बता दें कि फ्लोर रेट न होने के कारण टेलीकॉम कंपनियां मोबाइल डाटा की कीमतें खुद तय करती हैं. ऐसे में उनको मार्केट की दौड़ में बने रहने के लिए सस्ता मोबाइल डाटा देना पड़ता है।
अगर टेलीकॉम कंपनियों की सिफारिशें मान ली जाती हैं तो औसतन 25 रुपये प्रति जीबी तक डाटा की कीमतें चुकानी पड़ सकती हैं. ऐसे में एक महीने के लिए अगर आप 1.5 जीबी रोजाना के हिसाब से 45 जीबी डाटा यूज करते हैं तो इसके लिए आपको एक हजार रुपये से ज्यादा चुकाने पड़ सकते हैं।