Site icon UP News | Uttar Pradesh Latest News । उत्तर प्रदेश समाचार

Bihar News : कचरे ने कराई नीतीश सरकार की फजीहत

कचरे ने कराई नीतीश सरकार की फजीहत, एनजीटी ने बिहार सरकार पर ठोका 4 हजार करोड़ रुपये का जुर्माना…

Bihar News : कचरे ने कराई नीतीश सरकार की फजीहत | The Rajneeti Bihar

फिर मुश्किलों में घिरी बिहार की नीतीश सरकार
अब तक बागेश्वर धाम को लेकर चल रहा था बिहार में बवाल
अब बिहार सरकार पर पड़ी एनजीटी की मार, ठोंक दिया भारी भरकम जुर्माना
एनजीटी ने बिहार सरकार पर लगाया 4 हजार करोड़ रुपये का जुर्माना
अगर नीतीश कुमार कचरे पर ध्यान लेते तो नहीं लगता जुर्माना

बिहार में नीतीश कुमार की सरकार इन दिनों नई नई समस्याओं से घिरी हुई है अभी बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र शास्त्री के पटना में शिविर को लेकर विवाद थमा नहीं था कि अब नीतीश सरकार पर एक और मुश्किल आ गई है…अब NGT यानि राष्ट्रीय हरित अधिकरण ठोस और तरल कचरे का वैज्ञानिक रूप से प्रबंधन करने में नाकाम रहने के लिए बिहार सरकार पर बरस पड़ा है…जिसके नतीजे में NGT ने बिहार की सरकार पर 4,000 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया है…जिसके बाद अब बिहार सरकार परेशान नजर आ रही है…और उसके मंत्रियों और अधिकारियों को जवाब देते नहीं बन रहा है…चलिए आपको विस्तार से बताते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है और एनजीटी बिहार सरकार से इतना नाराज क्यों है कि उसने बिहार सरकार पर चार हजार करोड़ का जुर्माना ही ठोंक दिया है….बताएंगे आपको पूरी खबर बस आप हमारे इस वीडियो को आखिर तक देखते रहें
दरअसल हुआ ये कि एनजीटी के मुताबिक बिहार पर तकरीबन 11.74 लाख मीट्रिक टन से अधिक पुराने कचरे के साथ प्रति दिन उत्पन्न होने वाले 4,072 मीट्रिक टन अशोधित शहरी कचरे के प्रबंधन का बोझ है। राज्य में तरल अपशिष्ट उत्पादन और उपचार में 2,193 मिलियन लीटर प्रति दिन का अंतर है…और इसी बात पर एनजीटी ने बिहार सरकार पर इतना बड़ा जुर्माना लगा दिया….इतना ही नहीं एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गोयल की पीठ ने निर्देश दिया कि

जुर्माने की राशि दो महीने के भीतर ‘रिंग-फेंस खाते’ में जमा
कराई जाए और मुख्य सचिव के निर्देशों के मुताबिक इसका
इस्तेमाल राज्य में सिर्फ अपशिष्ट प्रबंधन के लिए किया जाए

आपको बता दें कि रिंग-फेंस खाते में जमा राशि के एक हिस्से को विशिष्ट उद्देश्य के लिए आरक्षित रखा जाता है….दरअसल ये सब हुआ इसलिए क्योंकि बिहार सरकार कचरे के वैज्ञानिक प्रबंधन में नाकाम रही है

कचरे के वैज्ञानिक प्रबंधन में नाकाम रही सरकार

कचरे के वैज्ञानिक प्रबंधन में नाकाम रहने पर सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि

हम कानून के आदेश, विशेष रूप से उच्चतम न्यायालय और इस
न्यायाधिकरण के फैसलों का उल्लंघन कर, तरल और ठोस कचरे के
वैज्ञानिक प्रबंधन में नाकाम रहने के कारण प्रदूषक भुगतान सिद्धांत
के तहत राज्य पर 4,000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाते हैं जुर्माने की राशि का इस्तेमाल ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं
की स्थापना, पुराने कचरे के उपचार और जलमल उपचार संयंत्रों के
निर्माण के लिए किया जाएगा, ताकि बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन
सुनिश्चित किया जा सके

शहरी कचरे के प्रबंधन का भारी बोझ

इस सुनवाई के दौरान एनजीटी ने ये आंकड़ों के जरिए ये भी बताया कि बिहार पर कितने कचरे का बोझ है….दरअसल

बिहार पर 11.74 लाख मीट्रिक टन से अधिक पुराने कचरे के
साथ प्रति दिन उत्पन्न होने वाले 4,072 मीट्रिक टन अशोधित
शहरी कचरे के प्रबंधन का बोझ है राज्य में तरल अपशिष्ट उत्पादन
और उपचार में 2,193 मिलियन लीटर प्रति दिन का अंतर है

एनजीटी के चार हजार करोड़ के भारी जुर्माने को सुनकर आप सोच रहे होंगे कि एनजीटी ने सिर्फ जुर्माना लगाकर अपनी जिम्मेदारी खत्म कर ली है…दरअसल नहीं सुनवाई कर रही पीठ ने बिहार सरकार पर कचरे के वैज्ञानिक प्रबंधन को सुझाव भी दिया कि उपयुक्त जगहों पर खाद बनाने में गीले कचरे का इस्तेमाल करने के लिए बेहतर विकल्पों का पता लगाया जाना चाहिए…

बता दें कि सुनवाई कर रही इस पीठ में न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी के साथ विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद तथा ए सेंथिल वेल भी शामिल थे…फिलहाल बिहार में एनजीटी के इस भारीभरकम जुर्माने की चर्चा है और बिहार सरकार इससे उबरने की कोशिश कर रही है….आपको हमारी ये खबर कैसी लगी हमें कमेंट कर जरूर बताएँ साथ ही इस तरह की और खबरों के लिए हमारा चैनल भी सब्सक्राइब कर लें….शुक्रिया

Exit mobile version