कौन थी पहाड़ की बेटी Chetana Bhat, 22 साल की उम्र में कह दिया दुनिया को अलविदा, जिसके जाने से हर पहाड़ी रो रहा है…
जिंदगी से जंग हार गई पहाड़ों की बहादुर बेटी
22 साल की उम्र में पर्यावरण प्रेमी चेतना भट्ट की मौत
छोटी सी उम्र में पर्यावरण के लिए अलख जगा गईं चेतना भट्ट
उस तूफानी रात में एंबुलेंस नहीं फंसती तो बच जाती चेतना की जान
कोई सालों की लंबी जिंदगी गुजार कर इस दुनिया से चला जाता है और उसे जाते ही भुला दिया जाता है लेकिन कई ऐसे बिरले भी होते हैं जो कम उम्र में भी ऐसे काम कर जाते हैं कि जब दुनिया से जाते हैं तो पीछे लोग जार जार रोते हैं….ऐसी ही एक बेटी थी देवभूमि उत्तराखंड की… जो सिर्फ 22 साल की उम्र में इस दुनिया से चली गई लेकिन इस 22 साल की छोटी सी उम्र में भी ऐसा काम कर गई कि अब पूरा उत्तराखंड अपनी इस बेटी याद कर रहा है न केवल याद कर रहा है बल्कि पहाड़ों के लोग भावुक भी हो रहे हैं। कौन है यह उत्तराखंड की बहादुर बेटी जिसके जाने के बाद लोग उसे इतना याद कर रहे हैं आखिर उसने ऐसा क्या किया था और उसे हुआ क्या था कि ये बहादुर बेटी जिंदगी से जंग हार गई…अगले कुछ मिनटों में हम इन्हीं सवालों की पड़ताल करेंगे….
दरअसल हम आज उत्तराखंड की जिस बेटी की बात कर रहे हैं उसका नाम चेतना भट्ट है जो अब इस दुनिया में नहीं है…तस्वीरों मैं नजर आ रही चेतना भट्ट शरीर से भले ही कमजोर लग रही हो लेकिन चेतना मजबूत इरादों वाली लड़की थी चेतना ने अपनी छोटी सी जिंदगी में ऐसे से काम किए थे जो नई पीढ़ी सोच भी नहीं सकती चेतना पर्यावरण प्रेमी थी और अपने आसपास के लोगों को पर्यावरण के लिए जागरूक करती रहती थी पूरे उत्तराखंड में कहीं भी कोई आंदोलन होता चेतना सबसे आगे खड़ी नजर आती लेकिन आज उनकी तस्वीर के आगे गमगीन लोगों की भीड़ खड़ी है… लेकिन अब भी कई लोगों के मन में यह सवाल है कि आखिर उस रात हुआ क्या था जब चेतना भट्ट इस दुनिया से चली गई…. उस खौफनाक रात के बारे में चेतना की मां बताती हैं कि
मेरी बेटी बीमार जरूर थी लेकिन उसकी हालात धीरे धीरे सुधार हो
रहा था और कुछ दिन पहले ही वो अस्पताल से घर भी लौट आई थी
लेकिन उस रात मेरी बच्ची ने रात में मुझसे कहा कि उसकी तबीयत
कुछ ठीक नहीं लग रही है जिसके बाद हम उसे तुरंत अस्पताल ले गए
चेतना भट्ट की मां अपनी बेटी को अस्पताल तो ले गई लेकिन उस तूफानी रात में जो हुआ उसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी क्योंकि किस्मत को कुछ और ही मंजूर था उस रात जिस एंबुलेंस से चेतना को अस्पताल ले जाया जा रहा था उसके सामने कई पेड़ टूट कर गिर गए और एंबुलेंस फंसी रही बहुत देर बाद दूसरी एंबुलेंस आई और चेतना को अस्पताल ले जाया गया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। चेतना बहादुरी से लड़ते हुए जिंदगी से जंग हार चुकी थीं
अब चेतना भट्ट हमारे बीच नहीं हैं लेकिन अपनी छोटी सी उम्र में उत्तराखंड और पर्यावरण के लिए चेतना भट्ट ने जो काम किया है उसके लिए उन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकेगा और आने वाली पीढ़ी चेतना की जिंदगी से प्रेरित भी होती रहेगी… हम सब की तरफ से भी चेतना भट्ट को शत शत नमन….
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