Yogi Adityanth के गढ़ में फिर से सेंधमारी के लिए Akhilesh Yadav ने चल दिया पुराना दांव!… अखिलेश ने इसी दांव से योगी को दी थी मात
योगी के गढ़ में जीत के लिए अखिलेश का प्लान… इस ऐलान से योगी को हार के वो दिन याद आए होंगे !
योगी के गढ़ में फिर से सेंधमारी के लिए अखिलेश ने चल दिया पुराना दांव!… किसकी सियासत पर कितना पड़ेगा प्रभाव ?
योगी आदित्यनाथ के शहर में चलेगा अखिलेश का ‘ग्लैमर कार्ड’!… काजल निषाद के रिपोर्ट कार्ड पर निषाद समाज क्या होंगे मेहरमान ?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ में सेंधमारी करने के लिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने वही प्लान बनाया है… जिसको अमल में लाने के बाद उन्हें कामयाबी मिली थी… उस वक्त सीएम योगी की सियासत को बड़ी उलझन वाली स्थिति से गुजरनी पड़ी थी… अखिलेश ने इस बार भी वही चाल चली है… गोरखपुर में मेयर पद के लिए भोजपुरी फिल्मों की एक्ट्रेस काजल निषाद को मैदान में उतारकर उन्होंने अपने इरादे जता दिए है… इस बार कहा से वो शुरुआत करने वाले हैं… तो अखिलेश की वो चाल क्या है… काजल निषाद की राजनीति से उसका क्या कनेक्शन हैं… क्या काजल निषाद वैसा ही जादू कर पाएगी… जो आज से 6 साल पहले हुआ था… जब सीएम योगी को अपने ही गढ़ में फजीहत का शिकार होना पड़ा था.. तब ना सिर्फ योगी बल्कि बीजेपी के लिए जवाब देते बन नहीं रहा था… अब अखिलेश वैसी ही स्थिति फिर से वापस लाने के रास्ते पर हैं… इस बार उन्होंने काजल निषाद को जिम्मा दिया है… योगी के गढ़ फिर से वहीं जीत को दोहराने के लिए रास्ता दिया… यही वजह है… जब अखिलेश निकाय चुनाव के प्रचार का अभियान शुरू करते हैं… तो काजल जिस गोरखपुर से मेयर पद का चुनाव लड़ रही है… वहां आकर अखिलेश उनके लिए माहौल बना रहे हैं… चलिए अखिलेश की उस सियासी चाल से वाकिफ कराते हैं… जिसके सामने योगी की सियासत धरी की धरी रह गई…
वो दौर था 2017 का…. तब यूपी में बीजेपी की सरकार बनी थी… तब योगी को यूपी की सत्ता की कमान बीजेपी की और से सौंपी गई थी… जिसके बाद योगी ने अपनी संसद सदस्यता छोड़ी थी… तब बीजेपी के गढ़ और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को उनके ही क्षेत्र में मात देने के लिए सपा ने संजय निषाद के बेटे प्रवीन निषाद को मैदान में उतारा था… गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र के उपचुनाव में संजय निषाद ने अपनी जीत से बड़े-बड़े राजनीतिक विश्लेषकों के अनुमान को ध्वस्त कर दिया था…. न सिर्फ प्रवीण निषाद के लिए, बल्कि गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा के लिए भी यह जीत मायने रखती थी… क्योंकि यहां से किसी दूसरी पार्टी के लिए जीत के अनुमान लगाना अभी तक नामुमकिन ही माना जा रहा था… लेकिन सपा और बसपा के तालमेल ने गोरखपुर की सियासत में नया इतिहास रच दिया है….अखिलेश ने तब इसे ऐताहिसक फैसला करार दिया था… 2017 में जब प्रवीण निषाद चुनाव लड़ रहे थे… वो चुनाव उनके लिए पहला ही चुनाव था… लेकिन सियासी गहमा-गहमी के बीच पूरा चुनावी घटनाक्रम उनके लिए यादगार बन गया था… उन्होंने 21 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी…
कहा जाता है…मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसी भी हाल में गोरखपुर लोकसभा सीट को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहते थे… यहां से उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ सांसद हुआ करते थे…. इसके बाद खुद योगी आदित्यनाथ यहां से 1998 से लगातार सांसद चुने जाते रहे… 2017 में सीएम बनने के बाद उन्होंने त्यागपत्र दे दिया था… इसके बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी ने पूरा जोर लगाया था कि यह सीट बरकरार रहे लेकिन सपा ने यह सपना चकनाचूर कर दिया था… इस बार भी निकाय चुनाव में अखिलेश यादव ने निषाद समाज से आने वाली काजल निषाद पर दांव लगाया है… इसके पीछे बड़ी वजह है गोरखपुर में निषाद वोटर्स की भारी संख्या में होना… गोरखपुर में 3.5 लाख मतदाता निषाद जाति के हैं… इन्हीं निषाद वोटर्स ने 2017 में हुए लोकसभा उपचुनाव में प्रवीण निषाद की जीत में अहम भूमिका निभाई थी… उपचुनाव में सपा और बसपा ने साझा उम्मीदवार खड़ा किया था… इससे पहले के चुनावों में भी सपा और बसपा निषाद जाति के लोगों का वोट हासिल करने के लिए निषाद उम्मीदवार को ही टिकट देती रही हैं. लेकिन उनके वोट बंट जाते थे… 2017 में लोकसभा उपचुनाव में साझा उम्मीदवार होने के कारण निषाद जाति के लोगों के वोट एक ही खाते में गए, जिसका नतीजा ये हुआ कि बीजेपी को पर हार मिली…. तो क्या माना जाए काजल निषाद को मेयर पद के लिए मैदान में उतारकर अखिलेश ने एक बड़ा दांव खेला है… जिसमे अखिलेश की सियासत के लिए कामयाबी की संभावनाएं ज्यादा है…