2012 से पहले, यूपी में आपातकाल में तुरंत एंबुलेंस मिलना मुश्किल हो जाता था । और फ्री में मिलना तो लोगों के लिए मात्र एक कल्पना थी लेकिन आज एम्बुलेंस सेवा 108 ने इस सपने को हकीकत में बदल दिया है। तो इन सपनों को हकीकत में तब्दील करने का श्रेय किन्हें दिया जाए ? किनकी दूरदर्शिता ने प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के विकास में अहम भूमिका निभाई ? वो साल था 14 सितंबर 2012, जब यूपी में सपा की सरकार सरकार थी, जिसके मुखिया अखिलेश यादव रहे । उन्होंने एम्बुलेंस सेवा 108 की शुरुआत की।

भले ही सत्ता पक्ष इसका क्रेडिट सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को ना दे लेकिन उन्होंने जनता के लिए सरकार में रहते जो किया । आज कोरोना संकट के दौर में उनके किए कार्यों का बखूबी फायदा सरकार को तो मिल ही रहा है, जहां भी स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति से जनता जूझती है… वहां कोरोना के घातक वार से बचाने के लिए एंबुलेंस सेवा-108 बेधड़क उस मुहाने पर पहुंच जाती है । कोरोना काल में कई ऐसे मामले आए । जिसमें एंबुलेंस सेवा-108 बाहुबली बनी । अखिलेश की ओर से शुरु हुई 108 एंबुलेंस सेवा ने अपने दायित्व को बखूबी निभाया । आज अपनी इसी उपलब्धि को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जनता के सामने रख रहे हैं ।

साल 2012-17 के बीच अखिलेश ने यूपी पुलिस की जनता से मित्रता और मजबूत करने के लिए, आपात स्थिति में मदद के लिए डायल-100 की व्यवस्था की लेकिन 2017 में जब योगी सरकार बनी तो उन्होंने इसका नाम डायल-112 कर दिया । लेकिन उनकी कार्य करने की दक्षता पहले जैसे ही रही । कोरोना संकट में डायल-112 सेवा जिस मुस्तैदी से काम कर रही है वो काबिलेतारीफ है । लेकिन इस सोच को हकीकत में तब्दील करने वाले नेता कौन हैं ? सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के मुताबिक ये इस दूरदर्शी सोच को वास्तविक बनाने वाले वहीं हैं तभी उन्होंने ट्वीटर कर लिखा ।

दूरदर्शी व्यवस्थाओं का महत्व आपदा के समय ही समझ आता है । नाम या नम्बर बदलने पर भी इनसे जिनकी सहायता होती है व जिनका जीवन बचता है, वे सदैव इनके पीछे के मूल प्रेरक को ही याद करते हैं ।ऐसी जन-कल्याणकारी व्यवस्थाओं की सफलता देखकर अपने कार्यों के प्रति बेहद संतोष होता है व खुशी भी ।

अपने किये कार्यों की गति देखकर अखिलेश को संतोष है और खुशी भी है और इसी संतोष से लबालब खुशी को जनता के सामने अखिलेश शेयर कर रहे हैं ।