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UP chunav: जिस दिन भाजपा की रैलियां, उस दिन अखिलेश भी सजा रहे मंच…जानें सपा की यूपी चुनाव में क्या है रणनीति

यूपी में 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर सत्ता और विपक्ष ने अपनी जोर-आजमाइश तेज कर दी है। सरकार और भाजपा विकास योजनाओं से लेकर संगठनात्मक कार्यक्रमों से जमीन बचाने में जुटे हैं तो सपा सहित विपक्ष खोई जमीन वापस पाने की रणनीति में जुटा है। इस दौरान सपा ने भाजपा के आरोपों व सवाल को तुरत काउंटर करने की रणनीति अपना रखी है। जिस दिन पीएम के यूपी में कार्यक्रम में हो रहे हैं, उसी दिन सपा मुखिया अखिलेश यादव भी रैलियों, यात्राओं के जरिए जवाबी वार कर रहे हैं।

सत्तारूढ़ भाजपा मिशन 2022 के अभियान को सफल बनाने के लिए दोहरी मुहिम में लगी है। एक ओर पार्टी अपने अभियानों के जरिए जनता तक पहुंच रही है, वहीं पीएम नरेंद्र मोदी व सीएम योगी आदित्यनाथ विकास योजनाओं के लोकार्पण-शिलान्यास के जरिए चुनावी टोन सेट कर रहे हैं। इस दौरान पीएम-सीएम के निशाने पर मुख्य विपक्षी दल सपा है। इसकी काट निकालते हुए सपा ने भी रणनीतिक तौर पर पीएम के कार्यक्रमों के दिन ही अपनी रैलियां और कार्यक्रम तय करने शुरू कर दिए हैं।

‘उधर आरोप, इधर जवाब’
पीएम नरेंद्र मोदी ने 25 नवंबर को जेवर एयरपोर्ट का शिलान्यास कर पिछली सरकारों पर विकास की उपेक्षा का आरोप लगाया। उसी समय अखिलेश यादव ने लखनऊ में सहयोगी दल जनवादी पार्टी की रैली में यह कहकर इसका जवाब दिया कि एयरपोर्ट जिस दिन तैयार हो जाएगा, सरकार उसे भी बेच देगी।

2 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और सीएम योगी सहारनपुर में कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे थे, ललितपुर में अखिलेश सरकार की नाकामियों को गिना रहे थे। पिछले डेढ़ महीने में यूपी में बढ़ी पीएम की सक्रियता के बाद ही सपा के जवाबी वार का यह ट्रेंड देखने में आ रहा है।

क्या कहते हैं सपा के रणनीतिकार
सपा के रणनीतिकारों का कहना है कि आमतौर पर भाजपा या सरकार के मेगा कार्यक्रमों में जब हम पर हमला होता है तो हमारी बात और पक्ष नहीं आ पता है। अब उसी दिन बड़े रैलियों-कार्यक्रमों से अखिलेश जनता को आरोपों और सरकार के दावों की हकीकत बता देते हैं। दूसरी ओर मीडिया सहित अन्य माध्यमों में भी पार्टी की प्रमुखता से भागीदारी बनी रहती है।

2014 में भी थी एक-दूसरे पर नजर

यूपी की सियासत में एक-दूसरे की रैलियों पर नजर रखने और जवाबी वार की रणनीति 2014 के लोकसभा चुनाव में भी अपनाई गई थी। यह अलग बात थी कि उस समय इस ट्रेंड को भाजपा ने अपनाया था। आम तौर पर मुलायम-अखिलेश की रैलियों और भाजपा के तत्कालीन पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की रैलियों की तारीख एक होती थी। मुलायम-अखिलेश के सवालों व आरोपों पर उसी दिन रैली के मंच पर मोदी पलटवार कर देते थे। इस दौरान ’56 इंच का सीना’ जैसे तमाम जुमले भी ट्रेंड में आए थे।

20 अक्टूबर : पीएम नरेंद्र मोदी ने कुशीनगर में एयरपोर्ट का लोकार्पण किया, अखिलेश यादव ने ओम प्रकाश राजभर से गठबंधन का ऐलान कर दिया।
25 अक्टूबर : पीएम सिद्धार्थनगर में मेडिकल कॉलेजों का शिलान्यास कर रहे थे, सपा मुखिया ने बसपा के दो बड़े नेताओं लालजी वर्मा व रामअचल राजभर को पार्टी में शामिल किया।
13 नवंबर : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आजमगढ़ में विवि का शिलान्यास कर रहे थे, अखिलेश यादव गोरखपुर में समाजवादी विजय यात्रा निकाल रहे थे।
16 नवंबर : पीएम ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण किया, अखिलेश गाजीपुर से समाजवादी यात्रा निकालना चाह रहे थे, प्रशासन से अनुमति नहीं मिली।
25 नवंबर : मोदी ने नोएडा में जेवर एयरपोर्ट का शिलान्यास किया, अखिलेश यादव उसी वक्त लखनऊ में जनवादी क्रांति पार्टी की रैली में थे।
7 दिसंबर : पीएम गोरखपुर में एम्स व खाद कारखाने का लोकार्पण करेंगे, अखिलेश-जयंत की इसी तारीख पर मेरठ में रैली होगी।

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