याद है आपको वो घटना जब एक 14  साल की बच्ची की जान सिर्फ इसलिए ले ली गई क्योंकि उसे माहवारी हुई थी। ये बात है साल  2018 के आखिर की जब तमिलनाडु के तंजावुर जिले में एक 14 साल की बच्ची को पहली बार माहवारी हुई जिसके बाद उसे घर के बाहर एक झोपड़ी में भेज दिया गया। बच्ची को बताया गया था कि जब भी उसे माहवारी होगी वो घर के अंदर नहीं आ सकेगी। बच्ची भी परिवार की बात को ध्यान में रखते हुए घर के बाहर बनी झोपड़ी में रह रही थी कि इतने में ही इस इलाके में कहर बरपा रहे गाजा चक्रवाती तूफान ने जोर पकड़ा और एक नारियल का पेड़ उस झोपड़ी पर गिर पड़ा जिसमें वो बच्ची थी और बच्ची ने दर्द से तड़प तड़पकर उस झोपड़ी में ही दम तोड़ दिया। इसमें हैरान कर देने वाली बात ये है कि जब पता चल गया था कि बच्ची घायल है और उसे इलाज की सख्त जरूरत है उसके बाद भी बच्ची को अस्पताल नहीं ले जाया गया क्योंकि वो अशुद्ध थी, अशुद्ध का मतलब माहवारी। माहवारी को अशुद्ध समझने वाला देश का सिर्फ यही कोना नहीं है बल्कि भारत जैसे देश में माहवारी को लेकर तरह-तरह के भ्रम है जबकि सबको ये पता होना चाहिए कि माहवारी की वजह से मां की कोख में एक जिंदगी पनपती है, इस वजह से सिर्फ एक महिला इस माहवारी से जुड़ी नहीं है बल्कि इस धरती पर जितने भी मनुष्य हैं उन्होंने माहवारी की ही सुरक्षा परत में 9 महीने रहकर बाहर की ये दुनिया देख पाई है लेकिन फिर भी माहवारी को लेकर देश के क्या हालात हैं, लोगों की क्या मानसिकता है, उसका अंदाजा तमिलनाडु में गई बच्ची की जान के बाद आसानी से लगाया जा सकता है, लेकिन ये बात है साल 2018 की और अब चल रहा है साल 2020, जब सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया एक ऐसी महामारी से जूझ रही है जो सिर्फ छूने मात्र से फैल सकती है, नाम है कोरोना या फिर Covid-19 । भारत की प्रमुख स्किन और एंटी एलर्जी विशेषज्ञ डॉ. दीपाली भारद्वाज जो कि अंतर्राष्ट्रीय रूप से प्रशिक्षित एंटी एजिंग विशेषज्ञ भी हैं। वो कोरोना के समय में माहवारी की वजह से महिलाओं के लिए बढ़ती परेशानी को बहुत करीब से देख रही हैं। डॉ.दीपाली भारद्वाज पिछले कई सालों से स्वच्छता पर काम कर रही हैं। वो मेन्स्च्रुअल हाईजीन ऑफ MOHFW के टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप की सदस्य भी हैं और समाज के लिए हमेशा से ही कुछ ना कुछ करने के लिए तत्पर तैयार रही हैं और इसके लिए वो पिछले करीब 3-4 साल से लगातार काम भी कर रही हैं, वो भी अपने एक चैरिटेबल ट्रस्ट के जरिए, दीपांजन चैरिटेबल ट्रस्ट, जहां महिलाओं के हित में उनके लिए सैनिटेरी पैड्स बनाने का काम किया जाता है और फिर इसे बड़े स्तर पर महिलाओं तक पहुंचाया जाता है साथ ही उनको समझाया भी जाता है कि माहवारी का मतलब अशुद्ध होना नहीं बल्कि एक बच्चे को 9 महीने तक, एक जिंदगी को कोख में रखने की ताकत है। डॉ. दीपाली भारद्वाज का कहना है कि कोविड के समय में हम लोग सोशल डिस्टेंसिंग की बात कर रहे हैं जबकि भारत में रहने वाली महिला से उन पांच या सात दिन में तो शुरु से ही दूरी बनाकर रखी जाती रही है…जिन्हें माहवारी हो रही है, तो महिलाएं तो डिस्टेंसिंग का मतलब बहुत पहले और अच्छे से समझती आ रही हैं लेकिन महिलाओं की माहवारी को लेकर ये जो भ्रांति है,  उसे दूर करना है क्योंकि ये किसी के भले के लिए नहीं बल्कि उस महिला के बुरे के लिए है, जो माहवारी के वक्त पहले ही पीड़ा से गुजर रही होती है और उसके बाद उससे घरवालों का यूं दूरी बना लेना उसे और ज्यादा तोड़ देता है। कोरोना के बारे में डॉक्टर कहती हैं कि कोरोना पूरे विश्व के लिए बहुत नया है। दुनियाभर के डॉक्टर्स रोजाना इसके बारे में बहुत कुछ नया जान रहे हैं, सीख रहे हैं, ये वायरस संक्रामक जरूर है लेकिन पहले फैली महामारियों की तुलना में कम रोगजनक है यानि कि ये बीमारी भी जिंदगी लेती है लेकिन पहले फैली बीमारियों की तुलना में थोड़ा कम। अगर शुरु में ही इसके मरीजों के बारे में पता चल जा रहा है तो कई कोरोना से संक्रमित मरीजों को ठीक भी किया जा सका है। इसके बाद केंद्र सरकार की तरफ से इस बीमारी से लड़ने के लिए उठाए गए कदमों की तारीफ करते हुए डॉक्टर कहती हैं कि भारत सरकार की तरफ से लॉन्च किया गया आरोग्य सेतु एप कोरोना के समय में काफी लाभकारी है जिसके जरिए लोगों को अपने आसपास कोरोना के मरीजों के बारे में जानकारी मिल सकती है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि सरकार की तरफ से लॉन्च किए गए इस एप के जरिए कोरोना संक्रमित लोगों और होम क्वारंटाइन पर रखे गए लोगों पर भी नजर रखी जा रही है। इसे डॉ. दीपाली सरकार की तरफ से लिया गया काफी सराहनीय कदम बता रही हैं। उनका कहना है कि जितने ज्यादा लोग इस एप को डाउनलोड करेंगे उतना ही भारत को सुरक्षित भी पाएंगे। अब जब कोरोना की लड़ाई लंबी है तो फिर इसे महिलाओं के लिए थोड़ा आसान बनाने की जिम्मेदारी डॉ. दीपाली ने अपने कंधों पर उठाई और ऐसे समय में होने वाली माहवारी और उससे जुड़े महिलाओं के मन में उठ रहे सवालों के जवाब दिए जैसे कि अगर अभी लॉकडाउन की स्थिति है और हमारे घर में पैड्स नहीं हैं तो हम क्या कर सकते हैं क्योंकि महामारी भले ही घोषित की जा चुकी हो लेकिन हर महीने होने वाली माहवारी तो इसके लिए रुकती नहीं है, इसके जवाब में डॉक्टर सरल उपाय बताती हैं और कहती हैं कि 

पेपर टिशू को तीन फोल्ड करके माहवारी के वक्त कर सकते हैं इस्तेमाल

आप पेपर टिशू की जगह किसी कपड़े का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन ऐसे वक्त में हाईजीन का ख्याल रखना बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है

माहवारी के वक्त इस्तेमाल किए गए कपड़े को फेंक सकते हैं और अगर फेंकना नहीं चाहते तो आप उसे अच्छे से धोकर , धूप में सुखाकर फिर से इस्तेमाल भी कर सकते हैं

लेकिन ये परेशानी 2-3 महीने में और तब बढ़ जाएगी जब बारिश होगी और फिर पानी से होने वाली बीमारियां भी पनपना शुरु हो जाएंगी और निश्चित तौर पर इन पैड्स से ये बीमारियां और ज्यादा फैलेंगी। इसके लिए जो उपाय डॉक्टर दीपाली ने बताए हैं, उसमें वो कहती हैं कि कुछ महिलाएं सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए एक 5  या 10 फुट नीचा गड्ढा खोद सकती हैं और उसमें अपने इस्तेमाल किए गए पैड्स को डाल सकती हैं और क्योंकि ये माहवारी हर महिला को होती है तो ऐसा होता है जब एक साथ कई महिलाओं को माहवारी हो रही होती है तो अलग-अलग गड्ढा खोदने के बजाय सबकी सहमति से एक जगह पर एक बड़ा गड्ढा खोदें और अपने पैड्स उसी में डालते रहें और फिर उसको बंद कर दें। इस समय में क्योंकि एंग्जायटी और स्ट्रेस लेवल ज्यादा हो सकता है तो अगर इन 5-6 महीनों के दौरान माहवारी के दिन कुछ ऊपर नीचे भी हो जाते हैं तो परेशान होने की कोई बात नहीं है। अगर आपको लगता है कि ऐसे वक्त में आपको काउंसलिंग की जरूरत है तो किसी काउंसलर से वीडियो कॉल पर बात कर आप अपनी समस्याओं का हल पा सकते हैं। इसके लिए सरकार ने काफी बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाई हुई हैं। अगर आप खांसी, जुकाम या कोरोना से मिलते जुलते किसी लक्षण को अपने शरीर के अंदर महसूस कर भी रहे हैं, तो उसके लिए आपको डॉक्टर के पास जाने की भी जरूरत नहीं है, आप फोन पर ही या वीडियो कॉलिंग का इस्तेमाल कर भी अपनी परेशानी का जवाब पा सकते हैं और बाकी कोहनी का इस्तेमाल कर छींकने और फिर एक इंसान से कम से एक मीटर की दूरी बनाकर रखना कितना जरूरी है वो बताने के लिए भारत में दिनों दिन बढ़ रहे कोरोना के मामले काफी हैं। आप लोगों को पता ही है कि इस वक्त जो अपनी जान पर खेलकर हमारी जान को बचाने पर लगे हैं वो डॉक्टर्स ही हैं, वो मेडिकल स्टाफ ही है, वो आशा वर्कर्स ही हैं जो अपने परिवार को घर में छोड़कर बाकी लोगों की जान बचाने के लिए रोज घरों से निकलते हैं इसलिए इन लोगों को भी अपना ख्याल रखने की बहुत ज्यादा जरूरत है जिसके लिए सबसे पहला तो यही है कि आप अपने हाथ 20-30 सेकंड्स तक अच्छे से धोएं, घर से निकलने से पहले ही मास्क पहन लें, हाथों में ग्लव्स भी पहन लें और मास्क जिसकी शॉर्टेज से भारत गुजर रहा है उसके लिए अब लगभर हर एक डॉक्टर कहने लगा है कि आपको N95 मास्क की जरूरत नहीं है। आप अपने घर पर ही किसी भी साफ कपड़े से अपने लिए मास्क बना सकते हैं जिसे बनाना बहुत ही आसान है साथ ही उससे भी आसान है उसको साफ करना क्योंकि प्रेशर कुकर तो सभी के घर में होता है। मास्क को यूज करने के बाद प्रेशर कुकर में या फिर किसी पतीले में 5 मिनट तक के लिए तेज आंच पर कपड़े के मास्क को उबाल लीजिए और फिर उसे 4-5 घंटों के लिए कड़कड़ाती धूप में सूखने दीजिए और तब तक अपने ही घर में बने दूसरे मास्क का आप इस्तेमाल करिए यानि कि आपको घर में मौजूद हर एक सदस्य के लिए 2-2 मास्क बनाने हैं और फिर उनकी स्वच्छता का कुछ इस तरह से ख्याल रखना है और हां अगर मास्क गीला या फिर गंदा हो गया है तो उसका इस्तेमाल बिना उसको स्वच्छ करे बिल्कुल भी ना करें। अब बात करते हैं ग्लव्ज की, तो ग्लव्ज अगर रीयूजेबल हैं तो आप ग्लव्ज के ऊपर से ही साबुन से बार बार हाथ धो सकते हैं और घर पहुंचने पर उनके लिए एक अलग से प्लास्टिक बैग रखिए, उसे उसमें डाल दीजिए। अगले दिन के लिए नया ग्लव्ज ले सकते हैं, इस दौरान एक जो सबसे महत्वपूर्ण बात का खास ख्याल उन लोगों को रखना है जो किसी भी तरह की मेडिकल फेसिलिटी से जुड़े हैं, वो ये कि आप आज ही सभी तरह के मेटल को अपने शरीर से दूर कर दें। हमारा मेटल से खास मतलब जूलरी से है क्योंकि ये वायरस सबसे ज्यादा देर तक मेटल पर ही टिकता है और क्योंकि आप इस वायरस से संक्रमित लोगों के करीब रहकर उनका इलाज करते हैं तो आपके शरीर पर मौजूद मेटल पर वायरस जल्द ही पहुंच सकता है और क्योंकि ये वायरस जब तक शरीर के बाहर है तभी तक मरा हुआ है तो इस वायरस को अपने शरीर के अंदर ले जाने की भूल बिल्कुल भी ना करें और इसको लेकर ज्यादा से ज्यादा एहतियात बरतें। 

बाहर से घर पहुंचने से पहले ही आप अपने घर पर फोन कर दें कि आप पहुंचने वाले हैं, घर वालों को निर्देश दें कि वो कोई टिशू या फिर कोरोना से पहले का अखबार तैयार रखें। घर पहुंचते ही आप सबसे पहले अपने पास मौजूद सारा सामान जैसे मास्क, मोबाइल, चाबी सब कुछ उस टिशू या अखबार पर रख दें…और सीधे बाथरूम में जाकर सबसे पहले हाथ धोएं। देखें अगर आरपार दिखने वाला साबुन हो तो बहुत अच्छा है, लेकिन अगर आपके पास वो साबुन नहीं भी है तो उसके लिए बाजार भागने की जरूरत नहीं है। आपके पास जो साबुन मौजूद है आप उसी साबुन से अच्छे से हाथ धोएं और फिर नहा लें और सिर को भी शैम्पू करना नहीं भूलें…क्योंकि आप ही इस वायरस के कैरियर भी हो सकते हैं तो अपने परिवार के हित में काम करते हुए, अपनी सफाई का ध्यान रखने में लापरवाही बिल्कुल भी ना बरतें। 

आपको बता दें कि जो सरकार की तरफ से लगातार आपको होम क्वारंटाइन होने के लिए कहा जा रहा है, असल में वो बहुत जरूरी है। आपके लिए भी और बाकियों के लिए भी। हम तो आपसे सिर्फ यही कह सकते हैं कि सरकार की तरफ से कोरोना को लेकर जारी गाइडलाइन्स को अच्छी तरह फॉलो करके ही हम कोरोना को हरा सकते हैं साथ ही जो एहतियात हमें खुद से बरतनी है जिसके लिए शुरुआत से ही कहा जा रहा है, साबुन से हाथ धोना है, घर से निकलने से पहले मास्क लगाना है, हाथों में भी ग्लव्ज पहन लें तो और अच्छा है, इस समय कैमिकल्स का यूज करने से बचें, कम से कम परफ्यूम्स लगाएं, अपने नाखुनों को काट लें, हर वक्त गरम पानी पीते रहना है, खुद के इम्यून सिस्टम को और बेहतर बनाने के लिए अच्छा खाना खाना है, समय समय पर योगा और अलग- अलग तरह के व्यायाम करते रहना है, हम से जो नीचे तबके के लोग हैं उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाना है और सबसे बड़ी बात तरह-तरह की भ्रांतियों से दूर रहना है। भ्रांतियां कई तरह की हो सकती हैं लेकिन हमें ये ध्यान जरूर रखना है कि हमारे मन का वहम या शंका या भ्रांति किसी और के लिए दुखदायी ना बन जाए जैसे कि एक भ्रांति माहवारी से जुड़ी है जिसका हमारे देश में अंत कब होगा ये तो पता नहीं लेकिन इसका अंत होना बहुत जरूरी है, ये अच्छे से पता है तो अगर आप भी माहवारी को लेकर उसे अशुद्ध समझने की भ्रांति से ग्रसित हैं तो जल्द ही उसे अपने मन से निकाल दीजिए क्योंकि इस मुश्किल समय में यानि कि महामारी के वक्त माहवारी की परेशानी झेल रही उस महिला के साथ गैरों जैसा व्यवहार ना करें, उसको घर से बाहर निकाल देना आपकी सबसे बड़ी भूल हो सकती है। अंत में इसी उम्मीद के साथ कि विश्व पर आए इस संकट से हम जरूर और अच्छे से पार पा लेंगे, अपना ख्याल रखेंगे साथ ही अपने घर में मौजूद अपनी बेटी, मां, बहन को भी कष्ट नहीं पहुंचाएंगे। 

डॉ. दीपाली भारद्वाज, जिन्होंने कोविड 19 के दौरान माहवारी को लेकर फैली भ्रांतियों का कितना दुष्प्रभाव पड़ सकता है, उस पर प्रकाश डाला है। उन्होंने अपने दीपांजन ट्रस्ट के जरिए कोटला मुबारकपुर में बायो डीग्रेडेबल सैनिटेरी पैड्स बंटवाए, इसके अलावा महिलाओं के स्वास्थ्य और उनकी स्वच्छता का भी विशेष ख्याल रखा है साथ ही दिनों दिन वो अपने इस लक्ष्य की तरफ और तेजी से बढ़ती चली जा रही हैं। हमें डॉ. दीपाली भारद्वाज जैसे नेकदिल और हमेशा दूसरों की मदद के लिए तत्पर तैयार रहने वाले लोगों की सख्त जरूरत है तो इनकी बताई बातों का ध्यान रखिए और कोरोना को खुद से दूर भगाइए