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अखिलेश यादव और डिंपल के लिए कितने खास थे मुलायम सिंह यादव

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सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की जब पहली पुण्य तिथि थी… तब पूरा मुलायम परिवार सैफई में मौजूद था… अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav), डिंपल, शिवपाल, रामगोपाल, अपर्णा समेत पूरा कुनबा सैफई में रहकर नेताजी को अपनी श्रद्धांजलि दे रहा था… बस एक को छोड़कर… मुलायम परिवार का सदस्य वहां नहीं दिखा… इस तस्वीर को देख लीजिए… तस्वीर में अखिलेश के साथ डिंपल यादव बैठी हैं… आगे की दोनों के आगे दूसरी ओर अपर्णा यादव नजर आयी… लेकिन मुलायम सिंह यादव का छोटा बेटा प्रतीक यादव नहीं दिखे…तो लोगों के जेहन में सवाल आया… आखिर पिता की पहली पुण्यतिथि में प्रतीक यादव को ऐसी कौन जरूरी काम गया कि वो सैफई में नहीं दिखे.. अब जो तस्वीर आपको दिखाएंगे… उससे समझ जाएंगे… अपर्णा यादव के पति प्रतीक यादव को अपने पिता मुलायम सिंह यादव से कितना गहरा लगाव है… कितना प्यार वो अपने माता पिता से करते हैं…


दरअसल समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव को बद्रीनाथ धाम में नजर आए… यहां ब्रह्मकपाल पहुंचकर उन्होंने अपने पिता मुलायम सिंह यादव और अपनी मां साधना यादव का पिंडदान किया…. बता दें कि इस समय श्राद्ध पक्ष का समय चल रहा है… ऐसे में हर कोई बद्रीनाथ धाम में पहुंचकर अपने पितरों का पिंडदान करवा रहा है…. मुलायम सिंह के बेटे प्रतीक यादव भी बद्रीनाथ धाम इसी मकसद के साथ पहुंचे थे… इस अवसर पर बात करते हुए प्रतीक ने कहा है कि पिछले साल उनके माता और पिता का निधन हो गया था, इस सिलसिले में उन्होंने आज पिंडदान किया है… उन्होंने कहा कि पिंडदान करने के बाद वह भगवान बद्री विशाल का दर्शन करने जा रहे हैं…


ऐसी मान्यता है कि बद्रीनाथ धाम का ब्रह्मकपाल वो तीर्थ है, जहां भगवान शिव को ब्रह्म हत्या से मुक्ति मिली थी… तब से ही आज तक यहां पर लोग अपने पितरों के मोक्ष की कामना करने के लिए आते हैं….मान्यता है कि एक बार यहां पितरों का पिंडदान कर दिया जाए तो कहीं भी दूसरे स्थान पर पिंडदान करने की आवश्यकता नहीं होती है… बदरीनाथ धाम स्थित ब्रह्म कपाल को गया और काशी से भी सर्वोच्च मोक्ष धाम का दर्जा प्राप्त है. ब्रह्मकपाल तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि गया और काशी में भी पिंडदान किया जाता है लेकिन ब्रह्मकपाल में पिंडदान का विशेष महत्व है… श्राद्ध पक्ष में गाय, कौआ और कुत्ते को भोजन दिया जाता है… इसके साथ ही श्राद्ध में चावल की खीर बनाई जाती है. चावल को देवताओं का अन्न माना जाता है… इसलिए चावल की खीर बनाई जाती है… देवताओं और पितरों को चावल प्रिय है… इसलिए ये पहला भोग होता है… साथ ही चावल, जौ और काले तिल से पिंडदान बनाकर पितरों को अर्पित किए जाते हैं….


गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के संस्थापक, उत्तर प्रदेश के तीन बार के मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश की राजनीति से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले मुलायम सिंह यादव का पिछले साल 10 अक्टूबर को बीमारी के चलते 82 साल की उम्र में निधन हो गया था… इटावा जिले के सैफई गांव में एक किसान परिवार में 22 नवंबर 1939 को जन्मे मुलायम सिंह यादव ने राज्य का सबसे प्रमुख सियासी कुनबा भी बनाया… यादव 10 बार विधायक रहे और सात बार सांसद भी चुने गए… वह तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और 1996 से 98 तक देश के रक्षा मंत्री भी रहे… एक समय उन्हें प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर भी देखा गया था…

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