कोरोना काल में योगी सरकार ने अपनी ओर से एक बड़ा कदम उठाया है । उन्होंने संकट के दौर में यूपी को आर्थिक तौर मजबूत बनाने के लिए सपना या कह सकते हैं, बड़ी पहल की है । पहल यही यूपी देश के दवा उत्पादन या चिकित्सकीय काम में प्रयोग आने वाले उपकरणों का हब बने ।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बाबत यूपी की संभावनाओं का जिक्र करते हुए केंद्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री सदानंद गौड़ा को माह भर पहले पत्र भी लिखा है ।अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने लिखा है कि
संज्ञान में आया है कि केंद्र सरकार देश में ऐसे पार्क स्थापित करने के बारे में सोच रही है । यूपी में लखनऊ और नोएडा इसके लिए बिल्कुल उपयुक्त हैं । मसलन लखनऊ में केंद्र के चार दवा अनुसंधान केंद्र हैं । इनके शोध का स्तर बेहद स्तरीय है । इनके द्वारा कई रोगों की उच्च कोटि की दवाएं और चिकित्सकीय उपकरण बनाए भी जा रहे हैं ।इसके अलावा गौतमबुद्ध नगर नोएडा का शुमार देश के विकसित औद्यौगिक क्षेत्रों में होता है । वहां जेवर में अंतराष्ट्रीय ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बन जाने से निर्यात भी आसान हो जाएगा. सरकार की नई औद्योगिक और फार्मा नीति भी निवेशकों के बेहद मुफीद है । प्रधानमंत्री की मंशा अगले पांच वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रीलियन डॉलर बनाने का है. उसी क्रम में उसी अवधि में हम यूपी की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर करना चाहते हैं । लिहाजा यूपी को प्रस्तावित चार बल्क ड्रग्स या मेडिकल डिवाइस पार्क आवंटित करने का कष्ट करें।
दरअसल भारतीय दवा उद्योग का दुनिया में तीसरा नंबर है । लिहाजा नीति आयोग, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और केंद्र के संबंधित विभागों ने तय किया कि क्यों ने देश को दवाओं और चिकित्सकीय उपकरणों के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए देश में ही फार्मा और फार्मा उपकरण बनाने वाले पार्क बनाए जाएं । पिछले दिनों केंद्रीय कैबिनेट ने भी देश में चार ऐसे पार्क बनाने का निर्णय लिया।