लखीमपुर खीरी’ में मचे बवाल को दोहराने की कोशिश हो रही है। इस बार निशाना केंद्रीय मंत्री या राज्य मंत्री नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं। जिस तरह के इनपुट मिल रहे हैं, उससे नौ अक्तूबर का दिन ‘योगी’ के लिए जोखिम भरा साबित हो सकता है। केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां और राज्य पुलिस, मुख्यमंत्री की सुरक्षा को लेकर सचेत हो गई हैं। मुख्यमंत्री के सुरक्षा घेरे और रूट को लेकर कुछ बदलाव किए जा रहे हैं। किसान आंदोलन में लोगों को तोड़फोड़ के लिए उकसाने वाला आतंकवादी एवं सिख फॉर जस्टिस का संस्थापक व कानूनी सलाहकार गुरपतवंत सिंह पन्नू एक बार फिर चर्चा में है। इस बार उसने नौ अक्तूबर को ‘लखनऊ’ में लखीमपुर खीरी जैसा बवाल मचवाने की बात कही है। पन्नू ने किसानों के पास मैसेज भेजकर कह रहा है कि वे ड्रोन, ट्रैक्टर और दूसरे वाहनों की मदद से मुख्यमंत्री ‘योगी’ को घेर लें। लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों के परिजनों से पन्नू ने कहा, वे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दी गई मुआवजा राशि वापस कर दें। वह उन्हें दोगुनी राशि प्रदान करेगा।

नौ अक्तूबर को ‘लखनऊ’ में कई बड़े नेताओं के कार्यक्रम तय हैं। इनमें बसपा प्रमुख मायावती की रैली भी शामिल है। इसके अलावा कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी भी अपने राजनीतिक अभियान की शुरुआत लखनऊ से कर सकती हैं। गुरपतवंत सिंह पन्नू, पिछले कई दिनों से ऐसे मैसेज भेज रहा है। उसने पत्रकारों को भी ऐसे मैसेज भेजे हैं। इनमें कहा गया है कि पंजाब के अलावा देश के दूसरे राज्यों के किसान एकत्रित हो जाएं। लखीमपुर खीरी में किसानों को मारा गया है। नौ अक्तूबर को सभी किसान एक होकर लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी को घेर लें। इसके लिए पन्नू ने किसानों से अपील की है कि वे योगी को घेरने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करें। ट्रैक्टर और दूसरे वाहनों की मदद से मुख्यमंत्री को घेर लें।
अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा से आ रहे हैं ये मैसेज
विदेश में बैठकर सिख फॉर जस्टिस के जरिए ‘खालिस्तान’ आंदोलन शुरू करने वाला गुरपतवंत सिंह पन्नू कहता है, लखीमपुर खीरी में जो किसान मारे गए हैं, उनके परिजन योगी सरकार से कोई मदद न लें। राज्य सरकार ने इस घटना के बाद घोषणा की थी कि वह मारे गए किसानों के परिजनों को 45-45 लाख रुपये देगी। पन्नू ने अपने मैसेज में कहा, पीड़ित परिवार यह राशि न लें। उन्हें सिख फॉर जस्टिस की तरफ से दोगुनी राशि प्रदान की जाएगी। सुरक्षा एजेंसियों ने इस मैसेज को गंभीरता से लिया है। ऐसे मैसेज अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा से आ रहे हैं। इस साल गणतंत्र दिवस पर लाल किला में मचे उपद्रव के दौरान जो किसान चोटिल हुए थे और आंदोलन के विभिन्न चरणों में जिन किसानों की जान गई थी, पन्नू ने उनका नाम, पता और घटना का विवरण मांगा था। पन्नू ने कहा था कि वह इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र संघ में ले जाएगा।

वह दुनिया को बताएगा कि भारत में किसानों को प्रताड़ित किया जा रहा है। सरकार, जानबूझकर किसान विरोधी कृषि कानूनों को वापस नहीं ले रही है। किसानों को खेत खलियान छोड़कर सड़क पर बैठने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पन्नू को आतंकियों की सूची में शामिल कर रखा है। एनआईए ने पंजाब में पन्नू की संपत्तियां जब्त की हैं। पन्नू अब भारत का नागरिक नहीं है, इसके चलते जांच एजेंसियां उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाती। एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं, मौजूदा समय में पन्नू, भारत का नागरिक नहीं है। इसी वजह से जांच एजेंसियां उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पातीं। पन्नू जहां से फोन कॉल करता है, वहां इस तरह की आजादी है। वहां पर ऐसी बातें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आती हैं। अगर वहां की पुलिस उसके खिलाफ कार्रवाई करती है तो वह मानवाधिकारों के उल्लंघन की श्रेणी में आ जाएगा। एनआईए के एक अधिकारी के मुताबिक, गुरपतवंत सिंह पन्नू को भारत लाना बहुत मुश्किल है। वहां के कानून इस तरह की छूट नहीं देते। आतंकी गुरपतवंत सिंह के पास विदेशी नागरिकता है। उसके खिलाफ कार्रवाई में यही सबसे बड़ी बाधा बन गई है। एनआईए जांच के अलावा पंजाब और हरियाणा में पन्नू के खिलाफ कई केस दर्ज हैं।