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जम्मू-कश्मीर 2020 बजट ने विस्थापित कश्मीरी पंडितों को धोखा दिया

नई दिल्ली:- विस्थापित कश्मीरी पंडितों के एक संगठन ने कहा है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के इस वित्तीय वर्ष के बजट ने घाटी में उनकी वापसी और पुनर्वास के लिए कुछ भी आवंटित न कर इस समुदाय को धोखा दिया है।

कश्मीरी प्रवासियों के मेल-मिलाप, वापसी और पुनर्वास समिति के अध्यक्ष सतीश महालदार ने कहा, जम्मू और कश्मीर के लिए 2020 का बजट जो पहली बार 1 लाख करोड़ रुपये को पार करने वाला है, उसमें विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए पुनर्वास, राहत और कल्याण के लिए कोई आवंटन नहीं है।

महालदार ने कहा, मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को सत्ता में आए लगभग छह साल बीत चुके हैं, लेकिन कश्मीरी पंडितों की वापसी और पुनर्वास के लिए कोई प्रस्ताव नहीं किया गया है। 419 कश्मीरी पंडित परिवारों को कश्मीर में जमीन और घर देने का वादा किया गया था, लेकिन अब तक कुछ भी नहीं किया गया।

संगठन ने उन विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए आरक्षित 600 कनाल भूमि की मांग की है जो कश्मीर में मामूली लागत पर उद्योग स्थापित करना चाहते हैं। साथ ही समुदाय के वरिष्ठ नागरिकों के लिए 200 कमरों वाला वृद्धाश्रम बनाना चाहते हैं।

महालदार ने यह भी बताया कि पिछले 30 वर्षों में, जम्मू और कश्मीर के पेशेवर कॉलेजों में कश्मीरी पंडित शरणार्थी छात्रों को कोई आरक्षण नहीं दिया गया है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के सभी पेशेवर कॉलेजों में 20 प्रतिशत सीटों का आरक्षण और प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत कश्मीरी पंडितों के लिए आयु और योग्यता में छूट की मांग भी की।

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