- अखिलेश ने JNU छात्रों की आवाज में मिलाई अपनी आवाज
- हॉस्टल फीस कम करने पर अड़े छात्र
- JNU में थमा नहीं बवाल, अखिलेश ने उठाई आवाज
- कहा- छात्रों की शांतिपूर्ण मांगों पर शक्ति का प्रयोग निंदनीय
- ‘फीस को तीन गुना कर देना भविष्य के साथ नाइंसाफी’
ये भीड़ नहीं… भीड़तंत्र नहीं… भेड़चाल नहीं… बल्कि जेएनयू में पढ़ रहे छात्रों का रोष-आक्रोष है… सरकार के उस फैसले के खिलाफ पनपा असंतोष है…. विरोध है… डर के साये में जाती जिंदगी का बेहद खौफनाक एहसास है… इसलिए सबके सबके सड़क पर उतर आए… खुले विचारों का किला जेएनयू को केंद्र सरकार की ओर से फीस बढ़ोतरी के बाद उनके दिल में विचार आया…विचार जाहिर का करने का तरीका यही है… मांग बस यही है…फीस में हुए इजाफे को वापस लेने की छात्र मांग कर रहे हैं
ये जान लीजिए जेएनयू में 40 फीसदी स्टूडेंट्स ऐसे हैं… जिनके परिवार की आय 12 हजार प्रति माह से भी कम है… फीस में बढ़ोतरी का मतलब है कि 40 फीसदी छात्रों को अपनी शिक्षा आधे में ही छोड़नी पड़ सकती है…. अबतक यहां पढ़ने वाले छात्रों से मेस के लिए सिक्यॉरिटी फीस 55 सौ रुपये ली जाती थी… जिसे अब बढ़ाकर 12 हजार कर दी गई….. इसके अलावा अब तक सैनिटेशन और मेंटिनेंस के लिए शुल्क नहीं लिए जाते थे… लेकिन, अब इसके लिए 17 सौ रुपये प्रति माह का शुल्क देना होगा… बिजली और पानी का भी अभी तक चार्ज नहीं लगता था, मगर अब इस्तेमाल के मुताबिक बिल का भुगतान करना होगा… जेएनयू में स्टूडेंट्स को हॉस्टल के सिंगल रूम के लिए 20 रुपए प्रति महीना देना होता है… लेकिन इसे 600 रुपये प्रति माह कर दिया गया है… जबकि, दो लोगों के एक साथ रहने पर कमरे की फीस 10 रुपये प्रति माह लिया जाता है… जिसे बढ़ाकर अब 300 रुपये प्रति माह कर दिया गया है
जेएनयू के नए मैनुअल के मुताबिक अब विजिटर्स को रात साढ़े 10 के बाद हॉस्टल से निकलना होगा… इसके अलावा लड़कों के कमरे में किसी लड़की या फिर लड़की के कमरे में किसी लड़के की एंट्री पर रोक होगी… हॉस्टल के नियमों का पालन न करने पर 10 हजार रुपये के फाइन का भी प्रस्ताव है… सरकार का तर्क बस इतना है… कि 19 साल बाद फीस में बढ़ोतरी की गई है…. ये भार तो छात्रों को उठाना ही पड़ेगा…. लेकिन इस दर्द को तो समझना होगा… उस यूनिर्विसिटी… कई छात्र ऐसे होंगे… जिनके सिर पर पिता का हाथ नहीं है…. अपनी जिम्मेदारी उन्हें ही उठाने है… कई छात्र ऐसे हैं… जिनपर परिवार की जिम्मेदारी भी होगी…. 7 हजार रुपए जब मंथली देने होंगे… तो सोचिए कहां से लाएंगे…. कई ऐसे छात्र भी है…. जिसके सपनों का सहारा सिर्फ जेएनयू ही पूरा कर सकता है… लेकिन दुनिया के सबसे लोकतंत्र में इस बात को भूला दी गई…. इसलिए हजारों की संख्या में छात्र सड़क पर उतर आए…. सियासत में अपने ही अंदाज में मोदी सरकार का विरोध कर रही है…. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा है… JNU में अप्रत्याशित फ़ीस बढ़ोतरी व बंदिशों के ख़िलाफ़ छात्रों की शांतिपूर्ण माँगों पर शक्ति का प्रयोग निंदनीय है. फीस को एक साथ लगभग तीन गुना कर देना छात्रों के भविष्य के साथ नाइंसाफ़ी है. जिनके बच्चे हैं वो जानते हैं कि आज के तंग हालातों में पढ़ाई का खर्चा उठाना कितना कठिन है… अखिलेश की बात को सियासत से ऊपर उठकर सुनना चाहिए… ये इन छात्रों का दर्द है… जो हद से गुजर गया है… तो हंगामा मच गया