वयोवृद्ध बाहुबली हरिशंकर तिवारी की वजह से चर्चा में रहने वाली चिल्लूपार विधानसभा सीट पर इस बार नए समीकरण बने हैं। भाजपा, सपा और बसपा प्रत्याशी मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले मुख्य लड़ाई में बसपा रहती थी। सपा और भाजपा दूसरे या तीसरे नंबर की लड़ाई लड़ती थीं। इस बार ऐसा नहीं है। ब्राह्मण मतों के बिखराव से चिल्लूपार की लड़ाई संघर्षपूर्ण हो गई है। सियासी पंडितों का मानना है कि ब्राह्मणों का जिसे भी ज्यादा समर्थन मिलेगा, वही भारी साबित होगा।
चिल्लूपार विधानसभा सीट का इतिहास दिलचस्प रहा है। यहां से हरिशंकर तिवारी 1985 से 2007 (22 वर्षों) तक विधायक रहे हैं। यह वो दौर था जिसमें हरिशंकर जिस भी पार्टी से मैदान में उतरते, उसी से जीतकर विधानसभा पहुंच जाते। 2007 के विधानसभा चुनाव से अचानक समीकरण बदल गए और बसपा की राजनीति हावी हो गई। दिग्गज हरिशंकर राजनीति के नए खिलाड़ी राजेश त्रिपाठी से चुनाव हार गए। राजेश बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। हार की टीस बनी रही और हरिशंकर तिवारी 2012 के चुनाव में भी कूद पड़े, लेकिन जनता ने जीत का आशीर्वाद नहीं दिया। दोबारा राजेश त्रिपाठी विधायक बन गए।
इस हार के बाद हरिशंकर ने राजनीति से संन्यास ले लिया। अब राजनीतिक विरासत उनके बेटे विनय शंकर तिवारी संभाल रहे हैं। विनय ने बसपा के टिकट पर चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र से पहली बार 2017 में चुनाव लड़ा और जीतकर लखनऊ पहुंच गए। इस बार विनय शंकर तिवारी सपा और पूर्व विधायक राजेश त्रिपाठी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा ने राजेंद्र सिंह पहलवान और कांग्रेस ने सोनिया शुक्ला को चुनाव मैदान में उतारा है। लिहाजा, ब्राह्मण व दलित बहुल सीट का मुकाबला दिलचस्प हो गया है।
मुद्दों पर मुखर मतदाता
मतदाताओं की बात करें तो वे मुद्दों पर मुखर हैं। ददरी गांव के किसान अक्षयवर चौधरी कहते हैं, इस बार चुनाव में मुख्य मुद्दा विकास है। विधायक कोई भी बने, पर जनकल्याण सर्वोपरि होना चाहिए। वह आगे जोड़ते हैं कि इस बार मुकाबला त्रिकोणीय है। शनिचरा पट्टी दुबे के हनुमान शर्मा कहते हैं, चुनाव में सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा है। बहन-बेटियां आराम से बाहर जाती हैं। घर लौटने में देरी होती है तो भी चिंता नहीं रहती है। भैसहट गांव के घनश्याम मौर्या और बनकट गांव के मयंक उपाध्याय कहते हैं, सभी प्रत्याशियों के दावों व कामकाज का आकलन किया जा रहा है। वैसे मुख्य लड़ाई भाजपा, सपा व बसपा के बीच है। मुफ्त बांटे जा रहे राशन का बड़ा असर देखा जा सकता है। किसान सम्मान निधि ने भी चुनावी समीकरण बदलने में भूमिका निभाई है।
वोटों का गणित
4,29,058 कुल मतदाता
2,31,826 पुरुष
1,97,228 महिला
अनुसूचित जाति 1.15 लाख
ब्राह्मण 80 हजार
यादव 40 हजार
मुस्लिम 30 हजार
निषाद 25 हजार
मौर्य 20 हजार
वैश्य 25 हजार
क्षत्रिय 20 हजार
भूमिहार 20 हजार
सैंथवार 22 हजार