सुल्तानपुर में मंगलवार को लखनऊ से गाजीपुर को जोड़ रहे नवनिर्मित ‘पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे’  का उद्घाटन करने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के ‘सामर्थ्य’ तथा केंद्र व प्रदेश में भाजपा सरकारों के आने के बाद तेजी से हुए विकास के सरोकारों पर बात करते हुए  2022 के विधानसभा के चुनाव के संभावित मुद्दों को और धार दे दी।

उन्होंने सिर्फ  केंद्र की अपनी और प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार के काम बताकर ही नहीं बल्कि गैर भाजपा सरकारों में ‘परिवारवाद की पार्टनर शिप’ में विकास के फंस जाने तथा ‘माफियावाद’ के चलते उत्तर  प्रदेश के ‘सामर्थ्य’  की अनदेखी होने जैसे वाक्यों से भी लोगों का ध्यान खींचकर 2022 की बिसात पर विपक्ष की घेराबंदी की। यह भी साफ  कर दिया कि चुनाव  में विपक्ष को इन मुद्दों पर घेरा जाएगा।

प्रधानमंत्री ने गैर भाजपा सरकारों और वर्तमान सरकारों की कार्यसंस्कृति में अंतर समझाने के बहाने लोगों की दुखती रग पर हाथ रख केंद्र व प्रदेश में भाजपा की सरकारों की जरूरत लोगों को फिर समझाई। यह कहते हुए कि वे प्रदेश के विकास के लिए इतनी तेजी से काम कर पा रहे हैं तो लोगों को भाजपा को समर्थन देकर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनवाना है। इस बहाने एक तरह से प्रधानमंत्री ने 2022 व 2024 के मद्देनजर लोगों को भावनात्मक रूप से भाजपा के साथ जोड़ने की भी कोशिश की।

कार्यक्त्रस्म की शुरुआत में मुख्यमंत्री की तरफ  से प्रधानमंत्री को अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर का मॉडल देकर और अंत में इस नवनिर्मित एक्सप्रेस-वे पर मिराज, जगुआर और सुखोई जैसे विमानों को उतारकर पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के सहारे यह  संदेश साफ  कर दिया गया कि चुनाव में हिंदुत्व व यूपी के सामर्थ्य के सरोकारों से लेकर संस्कृति, समस्याओं, जनसुविधाओं, बेहतर कानून व्यवस्था और देश की सुरक्षा तक के सवालों पर विपक्षी दलों खासतौर से सपा और कांग्रेस को भाजपा के सवालों का सामना करना पड़ेगा।

एजेंडे के साथ राजनीतिक समीकरणों पर काम
प्रधानमंत्री के भाषण में सुल्तानपुर की धरती को कालनेमि की कथा से जोड़ना, अवधी में संबोधन की शुरुआत, प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में सुल्तानपुर की धरती के उत्कर्ष का जिक्त्रस्, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र के साथ कांग्रेस के तत्कालीन नेतृत्व की तरफ  से किए गए अपमानजनक व्यवहार का उल्लेख एक तरह से लोगों को यह बताने की कोशिश दिखी कि केंद्र व प्रदेश की गैर भाजपा सरकारों ने किस मानसिकता से काम किया। इतिहास से खिलवाड़ हुआ। सच को छिपाया।

इसलिए उनकी और योगी सरकार के एजेंडे में सड़कें बनवाना, इज्जतघर और उज्ज्वला जैसी योजनाओं से लोगों को समस्याओं से मुक्ति दिलाना, उद्योग लगवाकर लोगों के लिए रोजगार के अवसर मुहैया कराना, बिजली व स्वच्छ पेयजल मुहैया कराना तो है ही लेकिन भारतीय संस्कृति के साथ उन सरोकारों, स्थानों और व्यक्तियों  को सम्मान देकर  इतिहास की गलतियां सुधारना तथा  भावी पीढ़ियों के लिए देश व प्रदेश का सही इतिहास तैयार करना भी है। जिनकी उनके पहले की गैर भाजपा सरकारों ने अनदेखी की है ।
आक्रामक होगी भाजपा  की चुनावी रणनीति
प्रधानमंत्री ने भाजपा की चुनावी रणनीति का संकेत भी दे दिया। प्रो. अंबिका प्रसाद तिवारी कहते हैं कि मोदी ने जिस तरह पूर्वांचल और उत्तर प्रदेश के लोगों के सामर्थ्य एवं इस क्षेत्र के विकास की उपेक्षा और अनदेखी तथा इसे माफियावाद व गरीबी के हवाले कर देने के लिए गैर भाजपा सरकारों पर  निशाना साधा, उससे यह साफ  हो गया कि सत्ता में होने के बावजूद भाजपा रक्षात्मक शैली में नहीं बल्कि आक्त्रसमक अंदाज में चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।

सुल्तानपुर के इस कार्यक्त्रस्म के जरिये प्रधानमंत्री ने संकेतों से यही संदेश देने की तो कोशिश की है कि सपा, कांग्रेस सहित गैर भाजपा दलों को वोट का मतलब प्रदेश को तुष्टीकरण, अराजकता, परिवारवाद, भ्रष्टाचार तथा बेरोजगारी जैसी समस्याओं में फंसना होगा। जाहिर है कि विकास, कानून-व्यवस्था, हिंदुत्व और सरोकार के सवाल पर भाजपा उसी तरह इस बार भी आक्त्रसमक होगी जिस तरह 2013 व 2017 से  पहले थे और 2019 में अपने कामों के साथ विपक्ष को घेरा था ।

योगी की मजबूती के भी मायने अहम
कुछ दिन पहले लखनऊ आए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का 2024 में दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाने के लिए 2022 में लखनऊ में योगी की सरकार बनाने की जरूरत समझाना । प्रधानमंत्री का कुशीनगर से लेकर हरैया और वाराणसी तक योगी के नेतृत्व, नीति नीयत तथा निर्णयों की प्रशंसा तथा आज उनकी तरफ  से मुख्यमंत्री योगी को ओजस्वी, तेजस्वी, कर्मयोगी और ऊर्जावान बताने के राजनीतिक मायने अहम हैं।

वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद न सिर्फ  यह साबित कर दिया है कि वे हिंदुत्व के सरोकारों के प्रति जितना समर्पित हैं उससे ज्यादा वह प्रदेश के विकास के लिए संकल्पित हैं। जिस तरह उन्होंने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे को तय समयसीमा और तय बजट से कम खर्च करके पूरा कर दिखाया है, जिस तरह विकास को परवान चढ़ा सांस्कृतिक सरोकारों को सम्मान दिया, कोरोना के दौरान सामने आई चुनौतियों से पार पाकर दिखाया, कानून-व्यवस्था की स्थिति को सुधारकर खासतौर से पूर्वांचल को अपराध व आपराधिक छवि वालों के आतंक के चंगुल से मुक्त कराया है, उससे उन्होंने  परिपक्व नेतृत्व व एजेंडे को लेकर दृढ़ प्रतिज्ञ होना प्रमाणित कर दिया है। 

खास है 2024 की बाजी सजाना
लाल की बात सही है।  प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वांचल व अवध की धरती को जोड़ने  वाले इस पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के मौके पर एक तरह से विधानसभा चुनाव में योगी के नेतृत्व में मैदान में उतरने का संदेश देते हुए चुनावी चौसर पर सियासी चेहरों की भी बाजी सजा दी है। उन्होंने परिवारवाद की पार्टनर शिप से यूपी की आकांक्षाओं को बरबाद करने और कुचलने का आरोप लगाकर लोगों को यही समझाया है कि मोदी की सरकार बनाने की इच्छा रखने वालों को प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भी सरकार बनाने के लिए जुटना होगा। केंद्र के लिए उत्तर प्रदेश का रणनीतिक रूप से काफी महत्व है जिसका प्रधानमंत्री मोदी ने खुद आज कई बार प्रमाण दिया।

उन्होंने जहां केंद्र में उनकी सरकार बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के योगदान को सराहा तो यह कहते हुए,  एक्सप्रेस-वे पर आज होने वाली विमानों का गर्जना उनके लिए भी होगी जिन्होंने देश के इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत को और सुरक्षा को अनदेखा किया। लोगों को डबल इंजन सरकार का महत्व भी समझाया। मोदी ने शायद ऐसा उन चर्चाओं के मद्देनजर कहा जिनमें  मोदी और योगी सरकार को लेकर कई तरह की बातें की जा रही हैं।

प्रधानमंत्री ने एक तरह से सुल्तानपुर से सिर्फ  सपा पर निशाना नहीं साधा बल्कि प्रियंका के नेतृत्व में रास्ते तलाश रही कांग्रेस की राह में सवालों के अवरोध खड़े करने की रणनीति पर काम कर दिया है। एक तरह से प्रधानमंत्री ने  भाजपा की तरफ से प्रदेश की चुनावी बिसात पर योगी आदित्यनाथ बनाम अखिलेश और अन्य की बाजी सजा दी है ।