राज्य सरकार ने गोरखपुर में पुलिस की पिटाई से कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता के मौत की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की है। राज्य सरकार की ओर से इस संबंध में केंद्र को संस्तुति भेजी गई है। सीबीआई जांच शुरू होने तक मामले की जांच गोरखपुर से कानपुर स्थानांतरित करके विशेष रूप से गठित एसआईटी द्वारा की जाएगी।

अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मनीष गुप्ता की मौत के मामले की जांच सीबीआई से कराने के लिए भारत सरकार को संस्तुति भेज गई है। उन्होंने बताया कि स्व. मनीष गुप्ता की पत्नी को कानपुर विकास प्राधिकरण में ओएसडी के पद पर नियुक्त करने के निर्देश भी दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने मनीष गुप्ता के परिवार को 40 लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी देने के निर्देश दिए हैं।

गौरतलब है कि गोरखपुर के रामगढ़ताल इलाके के होटल कृष्णा पैलेस में 27 सितंबर को देर रात पुलिस की पिटाई से मनीष गुप्ता की मौत हो गई थी। इस मामले में इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह, दरोगा अक्षय मिश्रा व विजय यादव समेत छह पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है। इन सभी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई है। चार दिन बीत जाने के बाद भी पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।
मृतक मनीष की पत्नी मीनाक्षी कर चुकी हैं सीबीआई जांच की मांग
मृतक मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी ने शुक्रवार को कहा कि मुख्यमंत्री योगी ने एक बड़े भाई की तरह अच्छे निर्णय लिए हैं, लेकिन गोरखपुर के एडीजी गलत बयान देकर मेरी हिम्मत तोड़ रहे हैं। सीएम से अपील करती हूं कि पति को न्याय दिलाने के लिए जल्द से जल्द सीबीआई जांच शुरू कराएं। हत्याकांड के बाद गोरखपुर पुलिस और प्रशासन का जो रवैया रहा। इसे देखते हुए मैं उन पर विश्वास नहीं कर सकती।

बर्रा निवासी मीनाक्षी ने बताया कि गोरखपुर के एसपी क्राइम ने शुक्रवार सुबह उन्हें फोन किया और कहा कि मनीष के दोनों साथियों प्रदीप व रिंकू के बयान दर्ज होने हैं। साथ ही उनके भी बयान लिए जाने हैं। इस पर मीनाक्षी ने एसपी से कहा कि जब केस ही कानपुर ट्रांसफर हो रहा है तो वहां बयान देने क्यों जाएंगी। उन्होंने गोरखपुर पुलिस को बयान देने से इनकार कर दिया। 

पुलिस हत्या को बताना चाहती है हादसा 
मीनाक्षी ने मीडिया कर्मियों से कहा कि मुझे सीएम पर बहुत भरोसा है। वह बड़े भाई की तरह हैं। उन्होंने जो निर्णय लिए बहुत अच्छे हैं, लेकिन धैर्य बनाए रखना थोड़ा मुश्किल होता है। गोरखपुर पुलिस साक्ष्य संकलन करने के बजाय सबूत मिटाना चाहती है। सोशल मीडिया के जरिये उन्हें पुलिस की कहानी का पता चला कि वारदात के वक्त उनके पति मनीष के पास कोई आईडी नहीं थी। पुलिस ने दबिश दी तो वह भागने लगे। जबकि होटल के कमरे में उनकी आईडी मिली थी। उन्होंने सीएम से अपील की कि दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तारी करें। इसके साथ ही अधिकारियों को बेतुके बयान देने से मना करें।