Modi-Shah-Yogi के ‘मुस्लिम प्रेम’ वाले प्लान से UP की सियासत में हलचल… कामयाब हुआ तो अखिलेश को लग सकता है जबरदस्त झटका !

मोदी-योगी ने मुसलमानों के दिल को पिघलाने का बड़ा रास्ता अख्तियार किया… अगर कामयाब हुआ तो यूपी में मुस्लिमों पर बीजेपी का जादू चल जाएगा , बीजेपी के प्रति मुस्लिमों का मन बदलने का बड़ा प्लान… मोदी अब डायरेक्ट मुस्लिमों से मन की बात कहेंगे !, उर्दू जुबान का जलवा बीजेपी में मारी एंट्री…. मोदी की बीजेपी मुस्लिमों के लिए अब बदलने वाली है !

जीहां ये हम यूं ही नहीं कह रहे… बीजेपी के थिंक टैंक का प्लान ही ऐसा है… यूपी में मुस्लिम समुदाय का दिल जीतने के लिए मोदी-शाह और योगी की तिकड़ी ने एक धांसू प्लान बनाया है… जो कामयाब हुआ तो मोदी का जादू मुस्लिमों के सिर चढ़कर बोलेगा… मुस्लिमों के दिल में बीजेपी के लिए जमे बर्फ पिघल जाएगा… बीजेपी का ये प्लान कुछ ऐसा है… जिससे परखा जाएगा… यूपी के मुसलमानों के दिल में पीएम मोदी और बीजेपी के लिए क्या चल रहा है… क्या ये पहले ही जैसा है… जैसा भी पीएम मोदी ने ठान लिया है… अपने मन की बात का कनेक्शन मुस्लमानों के दिल तक जोड़ेंगे… उनके मत को 2024 में मोड़ने के लिए अपने मन को मुसलमानों के मन से जोड़ेंगे… बीजेपी का ये प्लान ऐसा है… जिससे अखिलेश से लेकर मायावती…. राहुल से लेकर तमाम विरोधियों की मुस्लिम राजनीति को हिलाकर रख सकता है… बीजेपी के इस प्लान का सबसे ज्यादा असर अखिलेश की राजनीति पर होगी…क्योंकि मुस्लिम समुदाय अखिलेश यादव के बेस वोटर्स हैं… 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा को उन्होंने एकमुश्त वोट दिया था… अब भी मुसलमानों का भरोसा अखिलेश पर है… लेकिन इनका विश्वास का कुछ हिस्सा बीएसपी के खेमे में भी जा रहा है… ऐसे में बीजेपी का एक नया तरीका है… जिसमें उर्दू जुबान में मुसलमानों के ‘मन की बात’ समझाने की तैयारी में है…कहा जा रहा है कि

पीएम नरेंद्र मोदी की हर महीने के आखिरी रविवार होने वाली ‘मन की बात’ का उर्दू संस्करण मुस्लिम बहुल इलाकों में बांटा जाएगा

अब बीजेपी की इस कवायद को राजनीतिक पूंजी को और समृद्ध करने के लिए उठाए गए हालिया कदमों का विस्तार माना जा रहा है… हिंदुत्व के कोर अजेंडे और विपक्ष पर ‘तुष्टीकरण’ की राजनीति को चुनावी हथियार बनाने वाली भाजपा की रणनीति में पिछले कुछ समय से बदलाव देखने को मिल रहा है…साल 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान ही ‘सबका साथ, सबका विकास’ के साथ ही ‘सबका विश्वास’ की कड़ी को अल्पसंख्यकों तक विस्तृत करने का इशारा नरेंद्र मोदी ने किया था… तीन तलाक के बहाने मुस्लिम महिलाओं की चिंता को उन्होंने खासतौर पर साझा किया था… इसके बाद से लगातार मुस्लिमों खासकर पिछड़ों-गरीब तबकों में पैठ बनाने के लिए पार्टी नेतृत्व ने सक्रियता बढ़ाई है… पसमांदा सम्मेलन, भाईचारा रैलियों जैसी राजनीतिक मंचों के साथ ही सरकारी योजनाओं में अल्पसंख्यकों की भागीदारी के नियमित तौर पर रखे जाने वाले आंकड़े इसका ही हिस्सा हैं…इसी कड़ी में अब ‘भाषाई संवाद’ का भी नाता जोड़ने की तैयारी है…

सूत्रों के अनुसार भाजपा के प्रदेश अल्पसंख्यक मोर्चा ने पिछले एक वर्ष के मोदी के ‘मन की बात’ का उर्दू अनुवाद कराकर उसे किताब की शक्ल दी है… ये कमोबेश वही दौर है, जब बीजेपी ने अल्पसंख्यकों में पैठ बनाने की कवायद भी तेज की है…

130 से भी अधिक पेजों वाली ‘मन की बात’ किताब में मन की बात के 12 संस्करण को शामिल किया गया है।

अल्पसंख्यक मोर्चा मुस्लिम बहुल इलाकों खास तौर पर उन क्षेत्रों में जहां भाजपा की जड़ें कमजोर हैं वहां इनका वितरण करेगा,,, इन्हें मदरसों, बुद्धजीवियों, युवाओं तक विशेष तौर पर पहुंचाया जाएगा, जिससे इनका ‘इम्पैक्ट फैक्टर’ और बेहतर किया जा सके… ‘मन की बात’ सरकार की नीतियों व उपलब्धियों को नीचे तक पहुंचाने का एक कारगर माध्यम रहा है…

बीजेपी के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 सीटों के नतीजे जरूरी है… बीजेपी के लिए दिल्ली की सत्ता का रुख यही 80 सीटें तय करेंगी… 2019 में हुए सपा-बसपा गठबंधन ने मुस्लिम बहुल सीटों पर भाजपा के लिए मुश्किल पैदा की थीं… फिलहाल अभी विपक्ष में बिखराव हैं लेकिन कई सीटों पर मुस्लिम वोटरों के प्रभावी असर का सवाल अभी भी प्रत्यक्ष है… इसलिए भाजपा बर्फ पिघलाने में लगी है… आजमगढ़ व रामपुर लोकसभा उपचुनाव व रामपुर विधानसभा उपचुनाव की जीत ने उम्मीदों को हवा भी दी है, इसलिए प्रयास और तेज हैं…