Mukhtar Ansari की हनक का किस्सा जो उसकी जिंदगी का हिस्सा ! मछली खाने को खुदवाया तालाब… 25 बैरिक पर कब्जा कर पत्नी के साथ रहा…

मुख्तार अंसारी की हनक का किस्सा… जो रहा है… उसकी जिंदगी का हिस्सा
जेल में मछली खाने को खुदवाया तालाब… 25 बैरिक पर कब्जा कर पत्नी के साथ रहा
मुख्तार दशकों ने दशकों से चलाई अपनी ‘सरकार’… अब हो गया बर्बाद…उसकी हनक से लेकर बर्बादी का किस्सा

मुख्तार अंसारी बाहुबलियों के संसार में एक ऐसा नाम जो 2023 में नहीं पनपा… ये एक ऐसा नाम है… जो दशकों से यूपी के पूर्वांचल में अपनी हनक से कईयों को डराया… और कईयों के लिए रॉबिनहुड की तरह बन गया… अब जबकि मुख्तार अंसारी को बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की जान खत्म करने के मामले में 10 साल की सजा काटनी होगी… इन्ही की जिंदगी से जुड़ा किस्से के कुछ हिस्से आपके सामने पेश है…
साल था 2005…
यूपी के पूर्वांचल का जिला मऊ…
दंगे की आग में झुलस रहा था…
सड़कों पर कहीं सन्नाटा था…
कहीं उन्मादियों की भीड़…
पुलिस की गाड़ियों का सायरन कहीं-कहीं सन्नाटों को तोड़ रहा था… इसी बीच मऊ की सड़कों पर खुली जीप में हथियार लहराते और मूछों पर ताव देते एक माफिया नमूदार हुआ… न प्रशासन का खौफ, न कानून की चिंता यूं लगा वह खुद ‘सरकार’ है… नाम था मुख्तार अंसारी…
प्रदेश में खौफ का पर्याय बनी ये तस्वीर खिंचवाने के कुछ महीनों बाद मुख्तार अंसारी जेल चल गया… तो क्या जिले की दीवारों ने मुख्तार के अपराध की रफ्तार रोक ली? इसका जवाब पिछले महीने इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक टिप्पणी देती है… प्रयागराज हाईकोर्ट ने कहा,

मुख्तार अंसारी गिरोह देश का सबसे खुंखार आपराधिक गिरोह है

पिछले 18 साल से सलाखों के पीछे बंद मुख्तार की सत्ता की सरपरस्ती में अपराध की ‘मुख्तारी’ इतनी मजबूत हुई कि आठ राज्यों में उसके अपने अपराध के साम्राज्य का विस्तार कर डाला…

बीजेपी साल 2017 के विधानसभा चुनाव उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के लिए पसीना बहा रही है… सपा को सत्ता से हटाने के लिए रास्ता बना रही थी… उस दौरान भी मऊ में मुख्तार के आतंक और सियासी रसूख का जलवा था… तब एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंच से कहा था…

यूपी में कोई बाहुबली जेल जाता है तो मुस्‍कुराता हुआ जाता है, ऐसा क्‍यों है भाई?

इस सवाल के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक और जवाब दिया… कहा- ऐसा इसलिए क्‍योंकि यहां की जेल अपराधियों के लिए महल में बदल दी गई हैं, सारे सुख वैभव उन्‍हें वहीं मिलते हैं… फिर मोदी ने आगे कहा- देखते हैं, 11 मार्च के बाद जेलों में कैसे रंगीनियत रहती है। जेल को जेल ही बनाकर रख देंगे… और अब वही हुआ… उस वक्त भी पीएम मोदी के निशाने पर मुख्तार का ही रसूख था। 11 मार्च के बाद यूपी में सरकार बदल गई…

गाजीपुर के मोहम्मदाबाद में एक राजनीतिक परिवार में जन्मे मुख्तार अंसारी पर हत्या का पहला मुकदमा 1988 में मंडी परिषद में ठेकेदारी को लेकर दर्ज हुआ… इसके बाद मुख्तार के अपराधों की फेहरिश्त और उसके दबदबे का सिलसिला दोनों आगे बढ़ना लगा… जेल की सलाखों के पीछे जो रसूख मुख्तार ने जिया है उसके आगे बाकि बाहुबलियों का जलवा भी फीका ही रहा है… गाजीपुर जेल में 90 के दौर में तैनात रहे एक अधिकारी बताते हैं कि उस समय मोबाइल फोन का चलन शुरू नहीं हुआ था… बात करने का जरिया लैंडलाइन फोन हुआ करता था…मुख्तार के गाजीपुर जेल पहुंचने के बाद वहां के फोन के बिल का ग्रॉफ भी मुख्तार के अपराध की तरह बढ़ने लगा… बाद में पता चला कि यह बिल जेल अधिकारियों के चलते नहीं बढ़ा था बल्कि जेल का यह फोन मुख्तार के निजी संपर्क के जरिए में बदल गया था। इस टेलीफोन से वह अपना अपराध का साम्राज्य चला रहा था और उसे रोकने का दम किसी में नहीं था…

1996 में मऊ सदर सीट से पहली बार विधायक बना मुख्तार अंसारी जेल से बाहर आता जाता रहा… 25 अक्टूबर 2005 को वह अपनी जमानत रद्द कराकर जेल चला गया.. इसके ठीक महीने बाद गाजीपुर से भाजपा विधायक और उसके प्रतिद्वंदी कृष्णानंद राय को गोलियों से भून दिया गया… सौ राउंड से अधिक गोलियां चली थी। घटना के कुछ दिनों बाद मुख्तार अंसारी का एक आडियो वॉयरल हुआ… इसमें वह कृष्णानंद राय की हत्या और उनकी चुटिया काटे जाने के बारे में बता रहा था.. मामले की जांच सीबीआई को गई लेकिन वह मुख्तार और बाकी आरोपियों को कोर्ट में दोषी नहीं साबित कर पाई…

2005 से जेल मुख्तार का ‘घर’ हो गया… इसलिए, उसने अपने लिए वहां भरपूर इंतजाम करवाया.. गाजीपुर जेल में मुख्तार ने अपनी पसंदीदा मछली खाने के लिए जेल के अंदर ही तालाब खुदवा दिया… उसके बैडमिंटन खेलने के लिए बाकायदा कोर्ट बनवाया गया जहां वह अफसरों के साथ बैडमिंटन खेलता था… मुख्तार की जिससे मर्जी होती थी वही उससे जेल में मिलता था। हर सुख सुविधा का साधन मुहैया होता था… उससे मुलाकात के लिए आने वाले लोगों की जेल में कहीं चेकिंग तक नहीं होती थी… इसकी सबसे बड़ी वजह यह थी कि जेल में मुख्तार की मर्जी के खिलाफ जो भी चला या तो उसे जान से हाथ धोना पड़ा या फिर घुटनों के बल आना पड़ा… लखनऊ जेल में तैनात रहे जेल अधीक्षक को राजभवन के सामने गोलियों से भून दिया गया था… इस हत्याकांड में मुख्तार और उसके गुर्गों का नाम सामने आया था… आरोप है कि उनकी सख्ती से मुख्तार नाराज था। हालांकि इस मामले में भी पुलिस कुछ खास साबित नहीं कर पाई.. जेल अधीक्षक और जेल अधिकारियों को धमकाने के कई मुकदमे दर्ज हुए…

पुलिसिया जांच के अनुसार मुख्तार अंसारी का गैंग आठ राज्यों में फैला है। फिर चाहे वह मुंबई हो या गुजरात या फिर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, दिल्ली और मध्य प्रदेश।गुजरात में मुख्तार ने कुख्यात एजाज लकड़वाला और फरजू रहमान के जरिए सिंडिकेट तैयार किया… यहां दहशत के बल पर उसने अपने करीबियों के जरिए कोयला सप्लाई पर अपना कब्जा किया… महाराष्ट्र में खासतौर से मुंबई में तेल के प्राइवेट रिजर्वॉयर में अपने करीबी शूटर मुन्ना बजरंगी के बल पर अपना एकाधिकार बनाया.. उस दौरान मुन्ना बजरंगी मुंबई में मनोज जायसवाल के नाम से ये धंधा संभालता था…

1994 से वर्ष 2016 तक पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में आतंक का पर्याय बने पंजाब के गैंगस्टर जसविंदर सिंह राकी से माफिया मुख्तार अंसारी की नजदीकियां जग जाहिर थीं… रॉकी की मदद से मुख्तार ने पंजाब, हरियाण और राजस्थान के गैंग्स में अपनी पकड़ मजबूत की…वाराणसी के नंद किशोर रूंगटा अपहरण व हत्याकांड में मुख्तार के साथ रॉकी सह अभियुक्त था…जब तक रॉकी जिंदा रहा तब तक पंजाब के शूटर्स का यूपी में और यूपी के शूटर्स का पंजाब, हरियाणा व राजस्थान में जमकर इस्तेमाल हुआ… 2016 में जब रॉकी को हिमाचल प्रदेश के परवाणु में गोलियों से भून दिया गया तो उसकी हत्या कराने में पांच संदिग्धों के नाम सामने आए.. ये सभी एक-एक करके अननैचुरल मौत का शिकार हुए.. किसी की भी मौत में हत्या की बात सामने नहीं आई लेकिन किसी की भी मौत नैचुरल भी नहीं थी… इन पांचों की मौत के पीछे चर्चाओं में मुख्तार अंसारी गैंग का नाम आया। हालांकि ये साबित नहीं हो पाया…

मुख्तार अपराध के साथ ही सियासत में भी अपने पांव जमाता गया। जेल से उम्मीदवारी कर और चिट्ठियां जारी कर मऊ सीट से वह विधानसभा पहुंचता रहा… मुख्तार की सियासी पहुंच का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि कभी वह बसपा तो कभी सपा में अपने और अपने परिवार का सियासी भविष्य सुरक्षित करते हुए गाजीपुर, मऊ, बनारस जैसे जिलों का राजनीति का रंग तय करता रहा… 2009 में भाजपा के गढ़ माने जाने वाजे बनारस से भाजपा के कद्दावर नेता मुरली मनोहर जोशी मुख्तार से हारते-हारते बचे और महज 18 हजार वोटों से जीत दर्ज कर पाए… मुख्तार के परिवार की पार्टी कौमी एकता दल के सपा से गठबंधन को लेकर अखिलेश और शिवपाल के बीच ‘जंग’ छिड़ गई थी… अखिलेश ने यह कहकर गठबंधन तोड़ दिया कि उनकी पार्टी में माफियाओं के लिए जगह नहीं है… इसके बाद अखिलेश-शिवपाल के रास्ते अलग हो गए थे और मुख्तार परिवार ने बसपा का दामन थाम लिया। हालांकि, 2022 के विधानसभा चुनाव के पहले मुख्तार के भतीजे मन्नू अंसारी को अखिलेश ने खुद पार्टी में शामिल कराया और विधानसभा का टिकट दिया… वहीं, मुख्तार के बेटे अब्बास को मऊ सदर सीट से सपा के सहयोगी दल सुभासपा ने अपना उम्मीदवार बनाया…
जेल से समानांतर सत्ता चला रहे मुख्तार को सलाखों के पीछे पहली बार डर तब लगा जब 10 जुलाई 2018 को उसके करीबी माफिया मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में हत्या हो गई… इससे दहले मुख्तार ने खुद को यूपी से बाहर निकालने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया… उसे कामयाबी तब मिली जब पंजाब पुलिस वहां एक दर्ज मुकदमे के सिलसिले में यूपी से ले गई… उसके बाद वह पंजाब की जेल में ही जम गया… यूपी की योगी सरकार और पंजाब की तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मुख्तार को रखने और लाने को लेकर ठन गई…दो साल तीन महीने की अथक मेहनत के बाद यूपी पुलिस मुख्तार की घर वापसी करा पाई। पंजाब के जेल मुख्तार के लिए कैसे ऐशगाह थी इसका खुलासा कुछ महीने पंजाब के ही जेल मंत्री हरजोत बैंस ने वहां की विधानसभा में किया.. बैंस का कहना है कि मुख्तार को फर्जी मुकदमा दर्ज करके पंजाब जेल में रखा गया… उसने इस दौरान जमानत कराने की भी कोशिश नहीं की। जेल मंत्री ने यह भी दावा किया कि 25 बंदियों वाली बैरिक में मुख्तार अकेले या फिर अपनी पत्नी के साथ रहता था…

छह अप्रैल 2021 से मुख्तार अंसारी बांदा जेल में बंद है… मुख्तार के बांदा जेल लौटने के एक माह आठ दिन बाद ही चित्रकूट जेल में बंद मुख्तार के एक और करीबी मेराज को जेल के अंदर गोलियों से भून दिया गया… उसे गोली मारने वाले अंशू दीक्षित ने जेल में बंद एक और कैदी मुकीम काला को भी मारा था… बाद में अंशू पुलिस मुठभेड़ में खुद भी मारा गया… फिलहाल, मुख्तार का अब जेल में ऐश का तिलिस्म काफी हद तक टूट चुका है… हाल में मुख्तार के विधायक बेटे अब्बास अंसारी को चित्रकूट जेल में विशेष सुविधा देने पर आठ जेल अधिकारी व कर्मी निलंबित हुए हैं…अब्बास पत्नी निखत करीब 60 दिनों तक उससे जेल में मिलने आती रही…इस मामले में अब्बास की पत्नी भी जेल भेज दी गई है… बहरहाल अब खतरे में मुख्तार की सियासत भी है… इस बार उसने मऊ की अपनी सियासी विरासत बेटे अब्बास को सौंपी थी, विधायक बनने के बाद वो भी जेल में है.. बड़ा भाई अफजाल अंसारी भी जेल में कैद है…