सपा को मिल गया जीत का रास्ता… बीजेपी में मच गई हलचल !
अखिलेश, शिवपाल, रामगोपाल काम पर लग गए… बहुत कुछ ऐसा करने लगे हैं… लग रहा ऐसे मुलायम ही ये कर रहे है !
मुलायम ने 1989 में जिस रास्ते पर चलकर जीत का दिल जीता था… अब अखिलेश उसी रास्ते को अपनाकर 24 में बीजेपी को हैरान करने वाले हैं !



सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव अब इस दुनिया में नहीं हैं… लेकिन उनकी सियासत सपा को रास्ता दिखा रही है… मुलायम ने जिस राह पर चलकर सपा को नंबर वन पार्टी बनाने में कामयाबी हासिल की थी… अब उसी राह पर अखिलेश, शिवपाल और रामगोपाल यादव चल रहे हैं… मुलायम परिवार को उम्मीद है… अपने आप में राजनीति की पाठशाला मुलायम के मंत्र को अगर वो आत्मसात कर ले तो जीत से कोई रोक नहीं सकता है…. अखिलेश ने इसकी शुरुआत कर दी है… शिवपाल, रामगोपाल समेत सपाई कुछ ऐसा कर रहे हैं… जैसे लग रहा है… सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव भले इस दुनिया में नहीं हो लेकिन उनकी रणऩीति अब भी सपा में रफ्तार के साथ दौड़ रही है… ये हम क्यों कह रहे हैं… सपा इस मुलायम के राजनीतिक ट्रैक पर सरपट दौड़ रही है… इस रिपोर्ट को देखिए समझ जाएंगे…
2024 का लोकसभा चुनाव करीब है और समाजवादी पार्टी मिशन मोड में कैंपेनिंग की तैयारियों में जुट गई है… पार्टी ने बूथ और सेक्टर स्तर पर संगठन को मजबूत करने का प्लान बनाया है. इसके लिए कोऑर्डिनेशन पर जोर दिया जा रहा है… प्रशिक्षण के जरिये कार्यकर्ताओं को बूथ जीतने का मंत्र दिया जा रहा है… तो प्रतिमाओं और धार्मिक स्थलों को प्रतीक के रूप में प्रयोग किया जा रहा है…. सीतापुर जिले के नैमिषारण्य में बड़े स्तर पर पूजा और हवन की…. इसके साथ ही पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव, प्रमुख महासचिव रामगोपाल यादव और शिवपाल यादव 4000 कार्यकर्ताओं को चुनावी मंत्र दिया… सपा ने धार्मिक स्थलों से प्रशिक्षण शिविर की शुरुआत कर सॉफ्ट हिंदुत्व का संदेश देने की कोशिश की है…
यूपी में सपा प्रशिक्षण शिविर के साथ लोक जागरण यात्रा भी निकाल रही है. इसके जरिये पार्टी सामाजिक न्याय और जातीय जनगणना को लेकर माहौल तैयार कर रही है…. इसकी शुरुआत लखीमपुर खीरी से हो गई है… सपा का जिस जिले में कार्यक्रम होगा, वहां रथ यात्रा निकालकर बीजेपी के खिलाफ मुद्दों को धार देने की कोशिश की जाएगी…. यूपी में सपा ने नए तेवर और कलेवर के साथ नजर आने का प्लान बनाया है… माना जा रहा है कि पार्टी ने सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड खेलने का भी मूड बनाया है. …रथ यात्रा के जरिये बीजेपी की गलत नीतियों को सामने लाया जाएगा और पिछड़े-दलित वोटबैंक को साधने पर पूरा फोकस रखा जाएगा… रोचक ये भी है कि पार्टी ने कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग देने के लिए स्थानों का चयन भी खास ध्यान में रखकर किया है… यही वजह है कि ये शिविर ऐसे स्थानों पर आयोजित होने हैं, जहां के प्रतीकों के जरिये पूरे प्रदेश में संदेश दिया जा सके… पहला शिविर पांच जून को छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध गोला गोकर्णनाथ में हुआ था…. अब दूसरा शिविर 10 जून तक पवित्र तीर्थस्थल नैमिषारण्य में हो रहा है… जिसे ऋषि-मुनियों की तपोस्थली माना जाता है.
बताते चलें कि यह प्रशिक्षण शिविर हर जिले में लगाने की तैयारी है. शिविरों के आयोजन में धार्मिक स्थलों को तवज्जो दी जाएगी… शिविर में बूथ प्रबंधन से लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव के प्रबंधन की पुख्ता रणनीति बनाए जाने का प्लान है…. ये शिविर इसलिए भी खास हैं, क्योंकि पार्टी के संस्थापक दिवंगत मुलायम सिंह यादव हमेशा संगठन को जमीन से जोड़ने पर जोर देते रहे हैं और वो प्रशिक्षिण शिविर आयोजित करने की बात कहते थे…वैसे भी सपा ने जब भी प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए और कार्यकर्ताओं को साधा है, तब पार्टी का ग्राफ बढ़ता देखा गया है… यही वजह है कि 2017, 2019, 2022 के चुनाव में पार्टी को मिली हार ने नए सिरे से रणनीति बनाने पर मजबूर किया है… सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का हर जिले में इन शिविरों में जाने का कार्यक्रम है. इनमें बूथ स्तर से लेकर सेक्टर और नगर से लेकर ब्लॉक स्तर के पदाधिकारी शामिल होंगे…
सपा के लिए चुनावी रथयात्रा सियासी संजीवनी की तरह रही है… रथ यात्रा की परंपरा मुलायम सिंह यादव ने शुरू की थी और उसे अखिलेश यादव ने आगे बढ़ाया है… साल 1987 में मुलायम सिंह यादव ने कांग्रेस को सत्ता से हटाने के लिए ‘क्रांति रथ’ निकाला था और 1989 के चुनाव में मुलायम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे… साल 2001 में अखिलेश यादव ने पिता मुलायम के ही अंदाज में ‘क्रांति रथ’ निकाला था. पहली बार ‘क्रांति रथ यात्रा’ 31 जुलाई को शुरू हुई थी… तब अखिलेश की यह सियासी लांचिंग थी. उसके बाद 2002 विधानसभा चुनाव में सपा 143 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और 2004 में मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे थे…अखिलेश यादव ने 2012 के चुनाव से पहले बसपा सरकार के खिलाफ रथ यात्रा और साइकिल यात्रा निकाली थी… इस तरह उन्होंने पूरे प्रदेश का दौरा किया था. 2012 के विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत से सपा की सरकार प्रदेश में आई थी और अखिलेश यादव पहली बार मुख्यमंत्री बने थे… 2017 के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आंधी के सामने बड़ी हार मिली थी… कांग्रेस से गठबंधन के बाद भी दोनों को मिलाकर कुल 52 सीटें ही मिल पाई थीं… इसके बाद समाजवादी पार्टी ने सत्ता में वापसी के लिए 2022 में ‘विजय रथ’ निकाला था. इस यात्रा से सपा सत्ता में तो नहीं आ सकी, लेकिन पार्टी की सीटें दो गुना हो गई थी. सूबे में सपा 47 सीट से बढ़कर 111 पर पहुंच गई…