कौन कहता है की बेटियां उड़ान नहीं भर सकती, एक बार बेटियों को पंख फैलाने तो दो. फिर देखना कैसे माता-पिता का नाम गर्व से रोशन करती हैं. कुछ इसी तरह का नजारा इस बार कॉमनवेल्थ गेम्स (Birmingham 2022 Commonwealth Games) में भी देखने को मिल रहा है. इसी कड़ी में मेरठ बहादुरपुर गांव की अन्नू रानी ने भी कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में जैवलिन थ्रो 60 मीटर भाला फेंक में ब्रॉन्ज मेडल लाकर एक नया इतिहास रच दिया है.

विश्वभर में तिरंगे की आन और बान बढ़ाने वाली मेरठ की बेटी अन्नू रानी ने बर्मिंघम में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में जैवलिन थ्रो में कांस्य पदक भारत की झोली में डाल दिया है. अन्नू के गांव मेरठ के बहादुरपुर में बड़ी टीवी पर अन्नू का मैच देखा गया. इसके लिए घर में कार्यक्रम चला. पूरा गांव बहादुरपुर की बिटिया के मैच को देखकर इस रोमांचक पल का गवाह बना. बिटिया की जीत की खबर मिलते ही हर कोई बधाई देने के लिए अन्नू रानी के घर पहुंच रहा है.

अन्नू के संघर्षों का मेडल है कामयाबी
आज के समय में देखा जाता है कि आर्थिक तंगी और अगर किसी की हाइट कम हो तो वह हार मानकर पीछे हट जाता है, लेकिन अन्नू रानी के हौसले इतने बुलंद हैं कि विदेशों की बड़ी-बड़ी हाइट वाली महिला खिलाड़ी उनके आगे गच्चा खा जाती हैं. 5 फीट की अन्नू रानी जब हवा में भाला फेंकती है तो वह जमीन पर आते-आते नया कीर्तिमान हासिल कर चुका होता है. यही नहीं आर्थिक संकटों से जूझने के बावजूद भी अन्नू ने कभी हार नहीं मानी और वह अपने पथ पर आगे बढ़ती रही.

पिता ने कहा, सिर गर्व से ऊंचा कर दिया
अन्नू के पिता किसान अमरपाल सिंह ने कहा कि वह अपनी पांच बहन भाइयों में सबसे छोटी है, लेकिन अन्नू रानी ने उनका सिर गर्व से पूरे विश्व में ऊंचा किया है.

जब भाला खरीदने के पैसे नहीं थे
अमरपाल सिंह ने बताया कि वह कॉलेज से ही भाला फेंक में प्रयास करती आई है. उसका यही जुनून आगे बढ़ाता गया. साथ ही उन्‍होंने बताया कि लाखों रुपए का भाला दिलाने में वह असमर्थ थे, एक बार बेटी को घर बैठने के लिए कह दिया था. हालांकि बेटी की खातिर बाद में कोशिश करते हुए 2500 रुपये का भाला दिलाया था. अन्नू ने कमाल कर दिया.

अन्नू रानी की उपलब्धियां
अन्नू रानी की बात की जाए तो वर्ष 2014 में हुए एशियाई गेम्स में कांस्य, 2015 की एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य पदक और 2017 एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक अपने नाम किया. यही नहीं, वह वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में अपनी जगह पक्की करने वाली भारतीय भी बनी. इस बार रानी ने कॉमनवेल्थ गेम्स में जैवलिन थ्रो में कांस्य पदक पाकर नाम रोशन किया है.