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OM Prakash Rajbhar से Sanjay Nishad को लगा डर !

ओम प्रकाश राजभर से संजय निषाद को लगा डर !… मोदी-शाह को देने लगे अपनी राजनीति का डेमो !

OM Prakash Rajbhar  से Sanjay Nishad को लगा डर ! | The Rajneeti Special Report

ओम प्रकाश राजभर की बीजेपी में बढ़ी पूछ… संजय निषाद समेत बीजेपी में राजभर समुदाय के नेताओं लगा डर
मोदी-शाह को ओपी राजभर की राजनीति भाने लगी… संजय निषाद ने बदले अपने सियासी अंदाज
बीवी है कि वोट बयान से सुर्खियों में निषाद… लोग कहने लगे ये ओपी राजभर वाला अंदाज… क्या बीजेपी-राजभर में बढ़ी नजदीकियों से असहज हैं निषाद ?


क्या ओम प्रकाश राजभर बीजेपी के आलाकमान के बेहद करीब हो गए हैं… क्या इस वजह से बीजेपी में रहने वाले राजभर समुदाय के नेता को अपने अस्तित्व पर संकट के बदल नजर आने लगे… क्या इसलिए अनिल राजभर हो या भीम राजभर सब ओमप्रकाश राजभर के खिलाफ आक्रामक हैं… ऐसा दिख रहा है… कही ना कही डर तो है… लेकिन इससे आगे लगता है…ओपी राजभर को बीजेपी के करीबी बनते देख एनडीए गठबंधन के साझेदार संजय निषाद कुछ ज्यादा असहज हो गए हैं… सोच में पड़ गए… ओम प्रकाश राजभर का बढ़ता कद संजय निषाद के लिए खतरे की तरह है… अगर ऐसा हुआ तो संजय निषाद की स्थिति गठबंधन में ऐसी रहेगी… जैसी उम्मीद संजय निषाद ने नहीं की होगी… और शायद इसी बात को जानकार उनका अंदाज अब बिलकुल जुदा सा दिख रहा है… ओमप्रकाश राजभर से संजय निषाद को किन वजह से डर लग रहा है… क्या संजय निषाद का ओपी राजभर से डरना जरूरी है… इस रिपोर्ट को आखिर तक जरूर देखिए… ओपी राजभर और संजय निषाद की राजनीति को पूरी तरह से समझ जाएंगे…


ओम प्रकाश राजभर से संजय निषाद को डर हैं इसे समझने के लिए डॉक्टर संजय निषाद का एक वीडियो जो काफी वायरल है… जिसमें वो अपने कार्यकर्ताओं के सामने मंच पर खड़े हैं और पूछ रहे हैं… क्या दिखाई देना चाहिए? दूसरी तरफ से आवाज आती है, वोट… संजय फिर पूछते हैं, तो आपकी बीवी क्या है? संजय के कार्यकर्ता कहते हैं, वोट… मंत्री संजय निषाद फिर वही सवाल दोहराते हैं, बीवी है कि वोट है? कार्यकर्ताओं का फिर वही जवाब, वोट… इसके बाद संजय निषाद कार्यकर्ताओं को समझाते हुए कहते हैं, जिस दिन समझ जाओगे कि वोट है तो उस दिन वोट से वोट खड़ा होगा…तो क्या समझे ये ओपी राजभर के बढ़ते कद को रोकने के लिए संजय निषाद का अपना तरीका है…


ये वाकिया तब का है, जब मंत्री संजय निषाद अपने कार्यकर्ताओं को वोट का मूल्य समझा रहे थे…अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर वो अपने वोटबैंक को पहले से ज्यादा मजबूत करना चाहते हैं ताकि उनकी पैठ और पूछ बीजेपी के साथ गठबंधन में कम न हो… उनके इस डर की वजह ओम प्रकाश राजभर हैं… वो एक बार फिर बीजेपी के प्रति नर्म और साल 2022 में अपने गठबंधन सहयोगी रहे अखिलेश पर हमलावर हैं… सियासी गलियारे में चर्चा है… बीजेपी भाजपा अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में ओम प्रकाश राजभर की महत्ता को देखते हुए उन्हें फिर अपने साथ ले लेगी… ओपी राजभर का प्रभाव पूर्वांचल के एक दर्जन से ज्यादा जिलों में माना जाता है…


संजय निषाद के डरने की बड़ी वजह… असहज होने का सबसे बड़ा कारण सुभासपा की क्षेत्र में अपने वोटबैंक में मजबूत पकड़ है… दर्जन भर से ज्यादा जिलों में वो अपनी जाति के वोटों को एकजुट करने में इतने कामयाब रहे हैं कि वो किसी भी विपक्षी खेमे का खेल बिगाड़ सकते हैं… साल 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी उनके विरोधी गुट में होने का नुकसान उठा भी चुकी है… साल 2017 के मुकाबले भाजपा को कम से कम 12 सीटों का नुकसान पूर्वांचल के उन जिलों में हुआ, जहां राजभर का प्रभाव माना जाता है… आजमगढ़ और गाजीपुर में तो बीजेपी का खाता तक नहीं खुल सका था… जबकि इसके उलट सपा को सुभासपा का साथ मिलने की वजह से हुए फायदे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2017 में जहां वो 12 सीटें जीत पाई थी, वहीं 2022 में 31 सीटें उसके खाते में आईं… हालांकि, बीजेपी निषाद पार्टी को अपने पाले में लाकर कुछ हद तक यह डैमेज कंट्रोल करने में सफल रही थी… यही वजह है कि निषाद पार्टी अपनी साझेदारी में ‘हिस्सेदारी’ बांटने से कतरा रही है…


माना जा रहा है कि राजभर अगर बीजेपी के पाले में आकर खड़े हो जाते हैं तो इससे गठबंधन में संजय निषाद के दबदबे को झटका लगेगा… वजह है कि एक ही क्षेत्र में दोनों नेता अपनी-अपनी जातियों में ठीक पकड़ रखते हैं… ऐसे में अगर दोनों ही गठबंधन में सहयोगी होंगे तो उससे प्रभाव में कुछ कमी तो जरूर ही आएगी… इस स्थिति को जानकर संजय निषाद ने अपने कील कांटे दुरुस्त करना शुरू कर दिया है…वो सुभासपा के लोगों को अपनी पार्टी में जॉइन भी करवा रहे हैं… हाल ही में जब उन्होंने सुभासपा के लोगों को निषाद पार्टी में जॉइन करवाया था तब भी कहा था कि राजभर अपनी पार्टी के स्थापना के मूल्यों से भटक गए हैं…दावा है कि संजय निषाद अभी सुभासपा के और सदस्यों को अपनी पार्टी में जॉइन करवाने की कोशिशों में लगे हैं…वो खुद को मजबूत क्षत्रप साबित करने में कोई कसर नहीं रखना चाहते… पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकातें और बार-बार 17 जातियों के आरक्षण के मसले पर बयान देना इसी रणनीति के हिस्से में गिना जाता है..

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