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PM मोदी कल करेंगे चित्रकूट में बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे का शिलान्यास, 12 महीने में बनाने का टारगेट

अब बुंदेलखंड में बहेगी विकास की बयार
4 लेन बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे का शिलान्यास
296 किमी. लंबा एक्सप्रेस वे
97 फीसदी जमीन का हुआ अधिग्रहण

शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूपी के चित्रकूट के भरतकूप में बुंदेलखंड एक्स्प्रेसवे का शिलान्यास करेंगे। यह एक्सप्रेसवे फरवरी, 2018 में सरकार की ओर से घोषित उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर की सहमति के बिंदुओं को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा ।

बुंदेलखंड को विकास की राह से जोड़ने के लिए केंद्र की मोदी सरकार और योगी सरकार पूरी तरह से गंभीर है । इस क्षेत्र को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने के लिए सरकार की कोशिश सड़क मार्ग को सही ट्रैक पर लाना है। इसके लिए योगी सरकार ने अपनी महत्वाकांक्षी योजना बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे की समय सीमा तय कर ली है। सरकार की ओर से दावा है कि एक साल के अंदर बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे बनाने का काम पूरा कर लिया जाएगा ।
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे चित्रकूट के भरतकूप के पास से शुरू होकर बांदा, हमीरपुर, महोबा और औरैया होते हुए इटावा के कुदरैल गांव के पास यमुना एक्सप्रेसवे से मिल जाएगा। इससे बुंदेलखंड से देश की राजधानी दिल्ली तक आने-जाने में समय और संसाधनों की बचत होगी।
296 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का निर्माण योगी सरकार कर रही है। करीब 15 हजार करोड़ की लागत से बनने वाला ये एक्सप्रेस वे चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर और जालौन जिलों से गुजरेगा । जो बुंदेलखंड क्षेत्र को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और यमुना एक्सप्रेसवे के रास्ते से जोड़ेगा । साथ ही बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा ।
यूपीडा के CEO अवनीश अवस्थी के मुताबिक एक्सप्रेस वे के लिए 97 फीसदी किसानों की दमीन ली जा चुकी हैं । जिसे पूर्वांचल एक्सप्रेस वे की तरह ही 24 महीने में पूरा किया जाएगा । अवनीश अवस्थी ने कहा कि इससे बुंदेलखंड के विकास को आगे बढ़ाने के साथ साथ पर्यटन में बढ़ावा मिलेगा ।
आपको बता दें कि 29 फरवरी को पीएम मोदी पहले इलाहाबाद आएंगे । उसके बाद दोपहर तक चित्रकूट पहुंचेंगे। जहां कृषि विभाग की कई

योजनाओं का शुभारम्भ करने के साथ साथ बुंदेलखंड को लेकर बड़ा तोहफा देंगे । इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चित्रकूट में देशभर में 10,000 किसान उत्पादक संगठनों की शुरुआत करेंगे । करीब 86 प्रतिशत किसान छोटे और सीमांत किसान हैं, जिनके पास देश में औसतन जोत क्षेत्र 1.1 हेक्टेयर से भी कम है।

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