- मोदी सरकार की नई बात पर क्या कहेंगे अखिलेश-चंद्रशेखर
- अखिलेश-चंद्रशेखर की मांग पर फिर गया पानी
- मोदी सरकार की ‘सोच’ से खफा अखिलेश-चंद्रशेखर
- अब जातियों के नाम पर नहीं बनेगी सेना में कोई रेजीमेंट
सपा और भीम आर्मी की उस मांग पर मोदी सरकार ने पानी फेर दिया है, जिसकी मांग को वो अर्से से कर रहे हैं । सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कभी अहीर रेजीमेंट की मांग की थी । तो भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर ने अंग्रेजों के समय रही चमार रेजीमेंट को फिर बहाल करने की आवाज उठाई। चमार रेजीमेंट के लिए कुछ दलित नेताओं ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का भी दरवाजा खटखटाया था, जबकि अहीर रेजीमेंट के लिए दक्षिण हरियाणा में कई बार प्रदर्शन हो चुके हैं। लेकिन अब अखिलेश और चंद्रशेखर की इसी ख्वाहिश, इसी सपने को चकनाचूर कर मोदी सरकार ने साफ किया है कि अब किसी जाति या धर्म के नाम पर सेना में कोई रेजीमेंट नहीं बनेगी ।
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा ने तो अपने घोषणापत्र में ‘अहीर बख्तरबंद रेजिमेंट’ बनाने का वादा किया था। यादव समाज में यह मांग इतनी बड़ी है कि तब आजमगढ़ से अखिलेश यादव के सामने खड़े बीजेपी कंडीडेट रहे दिनेश लाल यादव उर्फ ‘निरहुआ’ को भी इसका समर्थन करना पड़ा था ।
भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर ने तो अखिलेश को ये याद दिलाने से पीछे नहीं रहे। जब अखिलेश ने सेना में अहीर रेजीमेंट बनाने की मांग उठाई तो चंद्रशेखर ने लोकसभा चुनाव के दौरान सपा के घोषणापत्र पर एक ट्वीट किया था जिसमें लिखा कि
अखिलेश यादव जी आपको अहीर रेजिमेंट तो याद रही परंतु चमार रेजिमेंट को भूल गए, जबकि हम काफी समय से चमार रेजिमेंट को बहाल करने की मांग कर रहे हैं. अभी से हमारे समाज की अनदेखी करना शुरू कर दिया है। प्रमोशन में रिज़र्वेशन बिल पर भी आपने अबतक जुबान नही खोली है ।
चंद्रशेखर आजाद, भीम आर्मी चीफ
बहरहाल नई रेजीमेंट पर सरकार ने कहा कि नई रेजीमेंट स्थापित करने को लेकर संसद में कई अवसरों पर चर्चा की जा चुकी है।सरकारी नीति के मुताबिक सभी नागरिक चाहे वे किसी वर्ग, पंत, क्षेत्र या धर्म के हों, भारतीय सेना में भर्ती होने के लिए पात्र हैं । आजादी के बाद सरकार की नीति किसी विशेष वर्ग, समुदाय, धर्म या क्षेत्र के लिए कोई नई रेजीमेंट गठित करने की नहीं रही है।आपको बता दें कि इस समय सेना में 23 रेजीमेंट हैं। जिनमें से कई जातियों और इलाकों के नाम पर भी हैं।