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बिहार सीएम नीतीश कुमार के गुस्से का वो किस्सा… जो बिहार के तीन नेताओं के जीवन का है हिस्सा

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गांव देहात अक्सर जो बुजुर्ग अपने समाज में चिड़चिड़ा होते हैं… तो बच्चे उसे चिढ़ाकर भाग जाते हैं… फिर जो बुजुर्ग अपने शब्दों से बच्चों का हाल करते… गांव के हर कौने में सुर्खिया बंटोरने लगता है… लोग कहने लगते हैं… फलां दादा तो बहुतै गुस्सा गए… बिहार की राजनीति में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बिहार की सियासत में बिहार के यूथ ब्रिगेड में शामिल नेता कुछ ऐसा ही कर रहे हैं… समय समय पर ये नेता सुशासन बाबू को अपने शब्दों से इस तरीके से चिढ़ाते हैं…कि फिर नीतीश के जेहन में ये नहीं रहता है… अब क्या बोलना है… और क्या नहीं बोलना है…. गुस्से में नीतीश कुमार अल्बर्ट पिंटो बन जाते हैं… ये अल्बर्ट पिंटो नाम का कैरेक्टर फिल्म वाला है… 1980 में एक फिल्म आयी थी… जिसका नाम अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है… फिल्म अल्बर्ट पिंटो का कैरेक्टर अपने अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करता है… यहां अपने सियासी अधिकार के लिए नीतीश भी बहुत ही सावधान मुद्रा वाले हैं… अपने अधिकार से नीतीश कभी समझौता नहीं करते हैं… इसे ना सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश ने देखा… इसी का परिणाम है कि उनके दोस्त वक्त वक्त पर बदलते रहे हैं… क्योंकि नीतीश के नजरिए से उनके अधिकार के साथ उनके दोस्त खेल कर रहे थे…

अब दोस्ती समकक्षों के बीच थी… तो सुशासन बाबू ने सबक सिखाने के लिए पाला बदल लिया… लेकिन जब कोई नेता जुनियर हो… और उनके मुंह के सामने टपड़ टपड़ करे… तो नीतीश गुस्सा दिखाने से भी परहेज नहीं करते हैं… इसी का परिणाम है… कि चिराग और तेजस्वी के बाद अब बिहार बीजेपी के अध्यक्ष सम्राट चौधरी पर अपने शब्दों से सीधा अटैक किया है… कुल मिलाकर ये है कि बिहार में गुस्से में जुबानी हमलों की राजनीति जोर पकड़ रही… बिहार की राजनीति इन दिनों निजी हमलों पर चल रही है…देखा ये जा रहा है कि पर्सनल अटैक में आपसी रिश्ते को भी तार-तार किया जा रहा… राजनीति के निचले पायदान पर इस तरह के हमले होते रहते हैं… हालांकि यहां अब शीर्ष नेताओं के बीच भी निजी हमलों की तलवारबाजी जारी है… हैरत वाली बात तो ये है कि निजी हमलों के युद्ध की आग में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी अपने हाथ को जला रहे हैं…


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी पर निजी हमला कर जमकर भड़ास निकाली… बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के पिता शकुनी चौधरी की चर्चा करते हुए यहां तक कह डाला कि उन्हें इज्जत किसने दी… सम्राट चौधरी की उम्र कम थी तो उन्हें विधायक और मंत्री कौन बनाया था… तेजस्वी यादव की ओर इशारा करते हुए कहा कि इन्हीं के पिता लालू प्रसाद ने… ये तो रोज पार्टी बदलते रहते हैं, उसका कोई मतलब है? कोई पार्टी अब बचा है क्या?…बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निजी हमले करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी… उन्होंने कहा कि याद है न किस तरह से आरजेडी के गुंडों ने आपकी पिटाई की थी… पुरानी बातें याद दिलाते कहा कि अरे नीतीश बाबू…आपको तो लालू यादव के गुंडे ने गोरैल में पीटने का काम किया था… लव-कुश समाज ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की गद्दी तक पहुंचाया लेकिन यह किसी के नहीं हुए… यह किसके हुए… लालू प्रसाद के बेटे का हुए… ये तो अब की बात हुई… पीछे जाएंगे तो पाएंगे… बिहार में 7वीं विधानसभा के पहले सत्र में आखिरी दिन विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कह दिया कि नीतीश कुमार को एक लड़का है… है भी या नहीं, पता नहीं और लड़की पैदा न हो जाए, इस वजह से उन्होंने आगे बच्चे पैदा नहीं किए.. मुख्यमंत्री को यह शोभा नहीं देता कि वह दूसरों के बच्चों को गिनें। इस बात पर नीतीश कुमार बहुत गुस्सा आ गए…

नीतीश कुमार ने उस समय कहा कि तुम मेरे भाई समान दोस्त के बेटे हो इसलिए सुनता रहता हूं… तेजस्वी चार्जशीटेड हैं… ये झूठ बोल रहा है… इस मामले में जांचकर इसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। नीतीश कुमार ने कहा कि एक वोट से जीत भी जीत होती है। तुम्हें आपत्ति है तो कोर्ट जाओ… बात करता है… लालू प्रसाद को विधायक दल का नेता मैंने बनाया था… तेजस्वी को भी डिप्टी सीएम मैंने ही बनाया था…बकौल चिराग पासवान, नीतीश ने मेरे पिता के व्यक्तिगत जीवन को मजाक बनाया… निधन के बाद ऐसी निचले स्तर की बयानबाजी किसी मुख्यमंत्री को शोभा नहीं देती… बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तब कहा था कि चिराग पासवान अभी बच्चा हैं… उनके पिता से हमारे अच्छे संबंध रहे… हालांकि बाद में उन्होंने दूसरी शादी कर ली… लेकिन नीतीश कुमार ये भूल गए कि इसी बच्चे की रणनीति ने उन्हें पहली पार्टी का दर्जा छीन कर तीसरे पार्टी के पायदान पर ले आया… तो सवाल यही है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नए नेताओं पर इतना गुस्सा क्यों आता है… अक्सर अपने से जुनियर नेताओं की कही बात को इग्नोर करने के बजाए उसपर जवाब क्यों देते हैं… क्या अपनी नाराजगी को जाहिर करने के लिए नीतीश को सम्राट चौधरी को जवाब देने के लिए उनके पिता को आगे करना चाहिए था… और क्या राजनीति में दशकों का अनुभव रखने वाले नीतीश के खिलाफ सम्राट चौधरी को ऐसे वैसे लफ्जों का इस्तेमाल करना चाहिए था… आपकी क्या राय है… अपनी राय जरूर दीजिए… पेज अगर सब्सक्राइब नहीं किया है तो सब्सक्राइब कीजिए और लाइक कीजिए…

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