Site icon UP News | Uttar Pradesh Latest News । उत्तर प्रदेश समाचार

नीतीश-लालू की जोड़ी इस बार मोदी-शाह की जोड़ी की चाल में फंस गए

मोदी शाह

नीतीश-लालू की जोड़ी इस बार मोदी-शाह की जोड़ी की चाल में फंस गए… जैसा मोदी-शाह चाहते थे… नीतीश-लालू ने वैसा ही किया
रोहिणी आयोग की रिपोर्ट पर अब ना तो लालू-नीतीश और ना ही अखिलेश-राहुल कर पाएंगे विरोध…
नीतीश-लालू को कोर वोटर्स खिसकने का खतरा… बिहार जातीय गणना के ‘मास्टर स्ट्रोक’ से क्या नीतीश-लालू हो जाएंगे हिट विकेट ?


ये हम क्यों कह रहे हैं… इसके पीछे वजह है… जब बिहार में जातिगत सर्वे रिपोर्ट की गहराईयों में जाएंगे… जब इस रिपोर्ट का विश्लेषण करेंगे… तो पाएंगे जिस एकजुटता की मुहिम नीतीश-लालू ने चलाई… उसकी पहल बीजेपी भी करना चाहती थी… लेकिन इंतजार में थी… नीतीश-लालू की ओर से कदम उठाया जाए… बीजेपी बखूबी समझ गई थी… पहल करेगी तो बुरी तरह से फंसेगी… इसके लिए मोदी-शाह की जोड़ी ने नीतीश-लालू की जोड़ी की सियासत को आगने बढ़ने का रास्ता दिया… इस जातीय गणना की रिपोर्ट की गहराई में जाने के बाद यही लग रहा है… अति पिछड़ों की राजनीति अब ओबीसी पर भारी पड़ने वाली है… बिहार सरकार ने ये मान लिया है कि करीब 36 फीसदी आबादी आबादी अति पिछड़ी है… यानी कि उनकी आर्थिक-सामाजिक दशा पिछड़ी जातियों से भी बुरी है… जाहिर है कि न्याय यही कहता है कि इन्हें सबसे ज्यादा लाभ मिलना चाहिए…. अगर ऐसा होता है तो वर्तमान में दी जा रही सारी सहूलियतों में अति पिछड़ों और माहदलितों को, जो अब तक हाशिये पर रहे हैं उन्हें प्राथमिकता मिलेगी… निश्चित है कि ऐसा होता है तो यूपी-बिहार ही नहीं देश के अन्य हिस्सों में भी आरक्षण की मलाई खा रही दबंग जातियों को धक्का लगेगा… समाजिक न्याय के मसीहा लालू यादव और नीतीश कुमार के लिए ये किसी बेहद खराब सपने से कम नहीं होगा…


दरअसल बिहार में लालू यादव और नीतीश कुमार की राजनीति का आधार शुरू से ओबीसी कैटेगरी के सबसे संपन्न और दबंग माने जाने वाले यादव और कुर्मी रहे हैं… यादवों की जनसंख्या सिर्फ 14 फीसदी है… कहा जाता है… ओबीसी आरक्षण की सारी मलाई ये लोग ही काट रहे थे… जबकि रोहिणी आयोग के अनुसार जिसकी रिपोर्ट अभी राष्ट्रपति के पास है, देश की 25 फीसदी ओबीसी जातियां 95 फीसदी आरक्षण का लाभ उठा रही हैं… अब जातिगत सर्वे में ये बात खुलकर आ गई है कि कुल 63 फीसदी ओबीसी आबादी में 36 परसेंट अति पिछड़े हैं.. न्याय यही होगा कि बिहार सरकार सबसे पहले अति पिछड़ों के कल्याण के लिए काम करें… जो जितना गरीब जितना पिछड़ा उसे सबसे अधिक संसाधन खर्च होने चाहिए…. नैतिक रूप से जेडीयू-आरजेडी गठबंधन की सरकार को ऐसा ही करना होगा… तय है कि ऐसा करने से इनके कोर वोटरों को नुकसान होगा जिसका परिणाम चुनावों में इनके लिए उल्टा होगा….


बीजेपी शुरू से अति पिछड़ों की राजनीति करती रही है… यूपी और बिहार में बीजेपी को अति पिछड़ों का वोट मिलता रहा है… एक सर्वे के अनुसार यूपी में 2019 के लोकसभा चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग के यादव-कोइरी-कुर्मी को छोड़ दिया जाए तो ओबीसी की अन्य जातियों में से 72 फीसदी ने बीजेपी, 18 फीसदी ने सपा-बसपा, 5 फीसदी ने कांग्रेस और 5 फीसदी ने अन्य दलों को वोट दिया था…


बिहार में अति पिछड़ों की लिस्ट में लोहार, कुम्हार, बढ़ई, कहार, सोनार समेत 114 जातियों को रखा गया है… 114 जातियों को एक वर्ग के तले ले आना नीतीश कुमार का दूरदर्शी कदम था… दरअसल नीतीश कुमार के लिए आरजेडी हमेशा से प्रतिस्पर्धी पार्टी रही है… अति पिछड़ों का वोट नीतीश को मिलता रहा है… इसका सबसे बड़ा कारण रहा कि आरजेडी पर यादवों की पार्टी का ठप्पा लगना… चूंकि यादवों का वोट आरजेडी को जाता रहा है इसलिए अति पिछड़े का हिस्सा नीतीश को या बीजेपी को मिलता रहा है… अब चूंकि नीतीश कुमार आरजेडी के साथ गठबंधन में हैं तो अतिपिछड़ों का वोट बीजेपी को जाना तय माना जा रहा है…


जातिगत सर्वे के हिसाब से जिसकी जितनी संख्या उतनी उसकी हिस्सेदारी का नारा लालू यादव ने बुलंद कर दिया है… ये नारा जितना जोर पकड़ेगा सवर्ण अपने आपको असुरक्षित पाएंगे… अब तक भूमिहारों और राजपूतों का अच्छा खासा वोड आरजेडी और जेडीयू को मिल रहा था… अब सरकार पर ये दबाव होगा कि वो संख्या के हिसाब से हिस्सेदारी तय करें… निश्चित है कि जातिगत सर्वों में अपनी अल्पसंख्यक को देखते हुए सवर्ण एकजुट होंगे… जाहिर है कि जातिगत जनगणना को लेकर मुखर जातियों के पास वो जाएंगे नहीं… उनके सामने एक ही विकल्प बीजेपी का बचेगा… नीतीश कुमार और लालू यादव हों या कांग्रेस सवर्ण वोटरों के लुभाने के लिए उनके पास शब्द नहीं होंगे… बीजेपी बहुत पहले से अति पिछड़ों के न्याय दिलाने की तैयारी में थी… ओबीसी आरक्षण का लाभ समुचित रूप से सबको मिल सके इसके लिए मोदी सरकार ने 2017 में ही रोहिणी कमीशन का गठन किया था… इस आयोग ने अभी हाल ही में अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपा है… अभी बीजेपी इस आयोग की रिपोर्ट को संसद में रखने की सोच ही रही थी पर शायद राजनीतिक परिणामों के लेकर आशंकित थी….

Modi-Shah पर Nitish-Lalu की सियासत के बीच बड़ी लड़ाई | The Rajneeti Bihar

अब उसे इसका आधार मिल गया… अगर बीजेपी रोहिणी आयोग के रिपोर्ट को लागू करना चाहेगी तो उसे सपोर्ट करना विपक्ष का नैतिक कर्तव्य हो जाएगा…. रोहिणी आयोग की सिफारिशों के पहले ही देश के कई राज्यों में ओबीसी के कोटे में कोटा दिए जाने की कोशिश हुई है… उत्तर प्रदेश में अति पिछड़ों के नेता ओम प्रकाश राजभर से लेकर संजय निषाद तक ओबीसी आरक्षण को वर्गीकृत करने के मुद्दे को लेकर आंदोलन करते रहे हैं…. राजनाथ सिंह के यूपी के मुख्यमंत्रित्व काल में भी अतिपिछड़ों को बांटने की कोशिश हुई थी… कोर्ट में रोक लगाने के चलते ये संभव नहीं हो सका…. अब नीतीश-लालू के इस कदम से बीजेपी को मोटिवेशन मिला है… तो अब बीजेपी वो करने वाली है… जो विपक्ष के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है…

Exit mobile version